आनंद सिर्फ़ उसे नज़रअंदाज़ करता आया था, कभी तलाक़ की बात करता भी नहीं था. तो क्या उसे ज़िंदगीभर उस व्यक्ति के साथ रहना होगा, जो उसके क़रीब होकर भी उसके क़रीब नहीं है?
रीता को संदेह था कि उसका पति आनंद उसे धोखा दे रहा है. कई बार उसने आनंद से कहा भी था, "कहीं तुम्हारा किसी के साथ अफेयर तो नहीं चल रहा?"
"बिल्कुल चल रहा है डार्लिंग." आनंद उसके गले लगते हुए जवाब देता था.
"क्या तुम्हारे साथ मेरा अफेयर नहीं चल रहा?"
"मज़ाक मत करो, मैं गंभीर हूं." रीता उसे परे धकेलते हुई कहती थी.
"मज़ाक तो तुम कर रही हो. तुम मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती हो?" आनंद कहता था. पर रीता को उसकी बात सही नहीं लगती थी. वह जिस प्रकार घर में सिर्फ़ खाने और सोने के लिए आता था, उससे रीता को संदेह था कि उसका ज़रूर किसी के साथ अफेयर चल रहा है. वरना नई-नई शादी होने के बाद कोई भी व्यक्ति उसकी तरह घर में मेहमान बनकर नहीं रहता. बल्कि शादी के शुरुआत के दिनों में पति पत्नी पर कुछ इतना फ़िदा होता है कि उसके घरवाले और उसके मित्र उसे जोरू का ग़ुलाम और न जाने क्या-क्या कहकर पुकारने लगते हैं. उन्हें यह ज़रा भी नहीं सुहाता कि जो व्यक्ति उनके साथ इतना समय व्यतीत करता था वह बीवी के अलावा किसी को समय देता ही नहीं.
इस स्थिति के उलट आनंद उसके साथ शायद ही कभी समय बिताता था. स्पष्ट था कि उसका किसी के साथ अफेयर चल रहा था. पर रीता आख़िर इस बात को साबित कैसे करती? जब तक कोई सबूत न हो, तो वह आनंद को क्या कह सकती थी? कभी-कभी मौक़ा मिलने पर वह उसके मोबाइल को चेक भी करती थी, पर उसे कोई भी संदेश या कॉल ऐसा नहीं मिलता, जिससे वह अपने संदेह को सही ठहरा सकती. पर उसका दिल कहता था कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. और दिल ही नहीं दिमाग़ भी यही कहता था.
आनंद आख़िर उसके प्रति इतना तटस्थ कैसे रह सकता था. एक वर्ष से कुछ ही अधिक हुए होंगे शादी के और वह क़रीब आने के पहले ही दूर जाने लगा था. उसके टोकने पर वह थोड़ा-बहुत प्यार-मोहब्बत थोड़ी आत्मीयता जता दिया करता था.
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क्या तरकीब अपनाए वह हक़ीक़त जानने के लिए वह समझ नहीं पा रही थी. उसे यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी कि कोई व्यक्ति उसके साथ मजबूरी में जीवन बिताए. यदि आनंद उसे नहीं चाहता, तो वह साफ़-साफ़ कहकर अलग हो सकता है. अब वह समय नहीं रहा कि शादी का रिश्ता ज़िंदगीभर निभाना ज़रूरी ही है भले ही मन न मिले. अब शादी के बाद यदि दंपती को लगता है कि साथ रहने में दोनों का नुक़सान है, तो वे सहमति से अलग हो जाते हैं. क़ानून ने भी तलाक़ का अधिकार सभी को दे रखा है.
आनंद सिर्फ़ उसे नज़रअंदाज़ करता आया था, कभी तलाक़ की बात करता भी नहीं था. तो क्या उसे ज़िंदगीभर उस व्यक्ति के साथ रहना होगा, जो उसके क़रीब होकर भी उसके क़रीब नहीं है?
कभी-कभी उसके मन में निजी जासूस से बात करने का ख़्याल भी आता था, पर कोई ऐसा व्यक्ति उसकी जानकारी में नहीं था. फिर निजी जासूसों के बारे में उसने सुना था कि वे कई बार उस व्यक्ति को ही ब्लैकमेल करने लगते थे, जिसकी जासूसी का जिम्मा उन्हें मिलता था. उसे संदेह था कि ऐसा जासूस उसके पति से मिलकर उससे अधिक पैसे लेकर उसे गुमराह करने की कोशिश कर सकता था. ऐसे में उसे लेने के देने पड़ सकते थे.
काफ़ी सोच-विचार करने के बाद रीता को एक युक्ति सूझी. वह आईटी सेक्टर में काम करती थी और उसने आईटी को ही अपने संदेह को पुख्ता करने का साधन बनाने का निर्णय लिया. थोड़ा रिसर्च करने के बाद उसे एक उपाय सूझा. उसने आनंद के फोन में हिड्डन कॉल रिकॉर्डर इंस्टॉल करने का निर्णय लिया.
यह कोई मुश्किल काम भी नहीं था उसके लिए. उसके ऑफिस में आईटी से संबंधित कई कंपनियों के कर्मचारी आते रहते थे. उसने बात ही बात में इसके बारे में एक व्यक्ति से जानकारी ली. उसने पाया कि कई ऐप्स के फ्री वर्जन भी उपलब्ध हैं, पर इनमे फीचर्स काफ़ी कम थे. वह ऐसा ऐप चाहती थी, जिसे वह बिल्कुल गोपनीय तरीक़े से अपने पति के फोन में अपलोड करे और उसके पति को पता भी न चले. ऐसी ही स्थिति में वह अपने संदेह को सुनिश्चित कर सकती थी, क्योंकि ऐप की जानकारी होने पर आनंद सावधान हो सकता था.
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उसके पास एक और भी उपाय था. अपना आईडी आनंद के फोन में इंटीग्रेट करने का और डाटा बैकअप अपने क्लाउड स्टोरेज पर लेने का. पर उसे संदेह था कि आनंद यदि अपना आईडी चेक करेगा, तो उसे इस बात की जानकारी हो जाएगी. यदि आनंद सचमुच में किसी के साथ अफेयर है, तो वह सावधान हो जाएगा और यदि नहीं है, तो खुद रीता को शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है.
आनंद की आदत थी बाथरूम में काफ़ी देर बिताने की. वह सामाचार पत्र लेकर बाथरूम जाता था और काफ़ी देर के बाद निवृत्त हो कर वापस आता था. इसी बीच मौक़ा मिलने पर रीता ने आनंद के मोबाइल में हिड्डन कॉल रिकॉर्डर ऐप इंस्टाल कर दिया.
रीता के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उसे आनंद के एक नहीं तीन-तीन महिलाओं के साथ अंतरंग संबंध का पता चला. जब आनंद इतना रंगीन मिजाज़ का व्यक्ति था, तो उसे शादी नहीं करनी चाहिए थी. शादी तो ज़्यादा से ज़्यादा एक महिला से की जा सकती है. और उसने शादी के लिए उसे शायद अपने परिवारवालों को ख़ुश करने के लिए हां कह दी थी. बेशक उसने यह ग़लत कदम उठाया था.
पर इसका हल क्या था? यदि रीता आनंद से इस बारे में बात करेगी, तो वह इस बात को स्वीकार नहीं करेगा. लेकिन सबूत ऐसे है कि वह इंकार नहीं कर सकता. फिर वह झूठी कसमें खाएगा. आइंदा ऐसा न करने का वादा करेगा. किंतु जिस व्यक्ति का तीन-तीन महिलाओं के साथ अफेयर चल रहा है उसकी बात का यक़ीन करना ख़ुद को धोखे में रखने जैसा होगा. और फिर ऐसे व्यक्ति के साथ जीवन बिताना, जो उसे नहीं किसी और को, बल्कि कई और महिलाओं को पसंद करता है और उनसे ताल्लुक रखता है, ख़ासा मुश्किल होगा.
रीता ने भी अपने घरवालों की ज़िद पर ही शादी के लिए हामी भरी थी. वह प्रतीक्षा कर रही थी किसी ऐसे व्यक्ति के मिलने की, जो उसका सही अर्थ में जीवनसाथी बनता. पर घरवालों को लड़की के ज़्यादा उम्र तक कुंवारी रहने को लेकर परेशानी हो रही थी और उन्होंने तरह-तरह की बातें करके उसे आनंद के साथ विवाह करने पर मजबूर कर दिया था.
परंतु अब सब कुछ जानने के बाद आनंद के साथ जीवन बिताना संभव नहीं था. एक दिन मौक़ा देख उसने आनंद से कहा, "हमारे लिए बेहतर होगा कि हम अलग हो जाएं."
"ऐसा क्यों कह रही हो? हो सकता है मुझे प्यार जताना नहीं आता हो, पर प्यार तुमसे मैं करता हूं. धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा. कुछ दिन हम धैर्यपूर्वक रहें तो हमारे घरवालों को अच्छा लगेगा."
"आया न हमको प्यार जताना प्यार तुम्हीं से हम करते हैं…" आनंद शोखी के साथ गुनगुनाने लगा.
रीता से वह गुनगुनाने की उम्मीद लगाए था, "भोलापन तेरा भा गया मुझको सादगी पर तेरे मरते हैं…"
रीता ने जवाब दिया, "घरवालों को भी अच्छा लगता और मुझे भी अच्छा लगता यदि हमारी जानकारी में तुम्हारी तीन देवियां नहीं आतीं. एक सप्ताह में तीन देवियां प्रकट हुई हैं, हो सकता है आगे और भी हों. मुझे आपत्ति भी नहीं है. तुम्हारा जीवन है और तुम्हें अपने तरीक़े से जीने का अधिकार भी है. पर मुझसे इस तरह का जीवन नहीं जीया जाएगा."
"क्या कह रही हो तुम? मैं कुछ समझा नहीं." आनंद ने अनजान बनते हुए कहा.
"कहते हैं सोए व्यक्ति को जगाना आसान होता है, पर जगा हुआ व्यक्ति यदि सोने का नाटक करें, तो उसे जगाना मुश्किल होता है. उसी तरह तुम्हें समझाना मेरे वश में नहीं है, किंतु तुम्हारे मोबाइल पर एक हिड्डन ऐप है, जो मैं तुम्हें दिखाना चाहती हूं. ज़रा अपना मोबाइल देना." रीता ने आनंद से मोबाइल ले लिया.
उसने ऐप खोलकर आनंद के सामने कर दिया, जिसमें तीनों महिलाओं से उसके मैसेज, कॉल आदि के रिकॉर्ड थे.
"रीता… वो…" आनंद हकलाया.
"कुछ नहीं आनंद. मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है. तुम्हारा अपना जीवन है, जैसे चाहो जीयो. पर जीवनसाथी को मजबूर मत करो अपने बंटे हुए जीवन में साथ देने का."
आनंद के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था और रीता के पास पुख्ता सबूत था, जिसके आधार पर उसने तलाक़ की अर्जी लगाई और उसे तलाक़ मिल भी गई. अब वह प्रतीक्षा में है अपने मनपसंद व्यक्ति के मिलने का और अगर मनपसंद व्यक्ति नहीं मिलता, तो शादी ऐसी भी कोई अनिवार्य शर्त नहीं है जीने के लिए.
- विनय कुमार पाठक
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