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महिलाओं के लिए क्या कुछ नया है, नए क़ानून में? (What Is New For Women In The New Law?)

पिछले डेढ़ सौ सालों की बात करें, तो महिलाओं के ख़िलाफ़ होनेवाले अपराधों की तस्वीर लगभग पूरी तरह बदल चुकी है. बदलते समय और तकनीक के साथ अपराधियों ने अपराध के नए-नए तरीक़े भी इजाद किए हैं. ऐसे में अगर देश की क़ानून व्यवस्था में बदलाव नहीं किए जाते, तो समाज में पिछड़ापन आने लगता, जो कुछ सालों में हमें काफ़ी पीछे धकेल देता. इसी को ध्यान में रखते हुए पूरे देश में 1 जुलाई, 2024 को 3 नए आपराधिक क़ानून लागू हुए हैं, पर एक महिला होने के नाते आपसे जुड़े किन क़ानूनों में हुए हैं बदलाव, यह जानना आपका अधिकार है, तो आइए देखते हैं क्या कुछ नया है महिलाओं के लिए इन नए क़ानूनों में? 

सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि देश में जो तीन नए क़ानून लागू हुए हैं, वो पूरी तरह नए नहीं हैं, बल्कि अंग्रेज़ों के ज़माने से चले आ रहे 3 महत्वपूर्ण आपराधिक क़ानून हैं, जिन्हें नए ज़माने और ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए नया चोला पहनाया गया है. ये पुराने क़ानून हैं-

  1. इंडियन पीनल कोड, 1872
  2. इंडियन एविडेंस एक्ट,1872
  3. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर, 1882.
    इन 3 क़ानून की जगह, जो 3 नए क़ानून लागू हुए हैं, वो हैं-
    1.  भारतीय न्याय संहिता 2023
    2.  भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
    3.  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
    अब ये समझ लीजिए कि इन तीन क़ानूनों में से महिलाओं के लिए जिस क़ानून में बदलाव हुए हैं, वो है इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस). जहां इंडियन पीनल कोड में कुल 511 धाराएं थीं, वहीं भारतीय न्याय संहिता में मात्र 358 धाराएं हैं और कई धाराओं में बड़े फेरबदल किए गए हैं. इस क़ानून में क्या कुछ नया है महिलाओं के लिए आइए जानते हैं.

शादी का झांसा देकर संबंध बनाना है नया अपराध
पिछले कुछ सालों में शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने के मामले तेज़ी से बढ़े हैं, पर कोई सटीक धारा न होने के कारण ऐसे मामले को आईपीसी की धारा 90 यानी झूठ के आधार पर ली गई सहमति और 375 यानी बलात्कार की धाराओं के तहत दाख़िल किए जाते थे, पर अब ऐसा नहीं होगा. शादी के नाम पर लड़कियों की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करनेवालों को धारा 69 के तहत अपराध की श्रेणी में रखा गया है और इसके तहत दोषी पाए जानेवालों को 10 साल तक की सज़ा भुगतनी पड़ सकती है. 

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नौकरी व प्रमोशन के नाम पर धोखा देनेवालों की ख़ैर नहीं
भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 में ही महिलाओं के लिए एक और बड़ा बदलाव किया गया है. अब तक नौकरी और प्रमोशन के नाम पर यौन संबंध बनाने और फिर धोखा देनेवालों पर बलात्कार की धारा के तहत या फिर कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले चलाए जाते थे, लेकिन अब क़ानून में इसे स्थान मिल गया है. गौरतलब है कि डेढ़ सौ साल पहले के मुकाबले अब महिलाएं कई गुना ज़्यादा संख्या में कामकाजी हो रही हैं. ऐसे में यह धारा उन महिलाओं को जल्द न्याय दिलाने में मदद करेगी और साथ ही अपराध को रोकने में सहायक होगी. महिलाओं के ख़िलाफ़ कार्यस्थल पर होनेवाले इन अपराधों को रोकने के लिए ही इस अपराध की भी सज़ा 10 साल की क़ैद रखी गई है.
अपनी पहचान छुपाकर धोखे से शादी करनेवालों पर गिरेगी गाज
पिछले कुछ सालों में शादी में धोखाधड़ी के मामले कई गुना बढ़ गए हैं, इसीलिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 में इस अपराध को भी शामिल किया गया है. अब अगर कोई पुरुष अपनी असली पहचान छुपाकर किसी महिला से शादी करता है, तो ये सिर्फ़ धोखाधड़ी का मामला नहीं रह जाएगा, बल्कि इस धारा के तहत अपराध माना जाएगा. समाज के बदलते रवैये पर नज़र डालें, तो बहुत से शातिर पुरुष कभी अपना धर्म छुपाकर, तो कभी अपनी पहली शादी की जानकारी छुपाकर लड़कियों को फंसा लेते हैं और शादी के बाद ही अक्सर ऐसे अपराधों का खुलासा होता है. ऐसे अपराध से निपटने के लिए ही सरकार ने यह सख़्त क़ानून बनाया है, ताकि अपराधी अपराध करने से पहले 10 बार सोचें, क्योंकि इस अपराध की सज़ा भी 10 साल की क़ैद है.     


बलात्कार की धारा में हुआ बदलाव
इंडियन पीनल कोड में धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया था, जबकि उसकी सज़ा 376 में दी गई थी, लेकिन भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में इन अपराधों को प्राथमिकता देते हुए अपराध की श्रेणी में आगे कर दिया गया है और अब इसकी धाराएं 63 से 70 तक हैं. हालांकि बलात्कार की परिभाषा और सज़ा के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, पर सबसे बड़ा और अहम बदलाव इस अपराध श्रृंखला में जो हुआ है, वो है नाबालिग बच्चियों से गैंगरेप के अपराध में सज़ा मृत्युदंड कर दी गई है.

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नाबालिग के साथ गैंगरेप की सज़ा मृत्युदंड

यह कहना ग़लत नहीं होगा कि इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध होनेवाले गंदे साहित्य ने छोटी बच्चियों के साथ होनेवाले अपराध के मामलों को कई गुना बढ़ा दिया है. आजकल जिस तरह नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार और अपराध के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में हर मां अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर चिंचित रहती है. इस जघन्य अपराध पर नकेल कसने के लिए ही भारतीय न्याय संहिता की धारा 70 (2) में नाबालिग बच्चियों की उम्र जहां पहले 16 साल थी, उसे बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है और सज़ा को बढ़ाकर मृत्युदंड कर दिया गया है. इससे पहले इस अपराध की सज़ा उम्रकैद और ज़ुर्माना था, जिसे और कठोर बनाते हुए मृत्युदंड में बदल दिया गया है. यहां समझने की बात यह है कि अब 18 साल तक की बच्चियों के ख़िलाफ़ होनेवाले गैंगरेप जैसे घिनौने अपराध में सज़ा सीधे-सीधे मृत्युदंड कर दी गई है.   
 
बदल गई यौन उत्पीड़न की धाराएं
इंडियन पीनल कोड में यौन उत्पीड़न की धारा 354 से 354 डी थी, जबकि भारतीय न्याय संहिता में ये धाराएं 74 से 77 के तहत आती हैं, जबकि सज़ा के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यौन उत्पीड़न के तहत ज़बरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करने की सज़ा एक साल से लेकर पांच साल तक हो सकती है और साथ ही ज़ुर्माने का भी प्रावधान है.

ज़बरन कपड़े उतारना या नग्न करने की कोशिश करना
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को बेइज़्ज़त करने के इरादे से उसके कपड़े उतारने की कोशिश करता है या उतारता है या नग्न करता है, तो उसकी सज़ा कम से कम तीन साल है, जो बढ़ाकर 7 साल भी हो सकती है और साथ ही ज़ुर्माना भी है.

महिला के प्राइवेट एक्ट की तस्वीरें खींचना और शेयर करना
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की तांक-झांक करता है, उसके प्राइवेट एक्ट को देखता है या उसकी तस्वीर खींचता है या उसे कपड़े बदलते हुए देखता है या उसकी तस्वीर खींचता है और उसे शेयर करता है, तो पहली बार पकड़े जाने पर उसे कम से कम एक साल और ज़्यादा से ज़्यादा 3 साल की सज़ा हो सकती है, वहीं दूसरी बार दोषी पाए जाने पर कम से कम 3 साल की सज़ा हो सकती है, जो बढ़कर 7 साल भी हो सकती है.

मना करने के बावजूद पीछा करना
अगर कोई व्यक्ति मना करने के बावजूद किसी महिला का पीछा करता है या महिला इंटरनेट या ईमेल पर क्या करती है, उस पर नज़र रखता है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर पहली बार 3 साल तक की सज़ा हो सकती है, जबकि दोबारा दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सज़ा भुगतनी पड़ सकती है.


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बदली दहेज हत्या की धारा
इंडियन पीनल कोड की धारा 304 बी के तहत दहेज हत्या को परिभाषित किया गया था, जो अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 80 है. दहेज हत्या यानी शादी के सात साल के भीतर अगर किसी महिला की जलने, चोट लगने या संदिग्ध परिस्थिति में मौत होती है और मौत से पहले उसके ससुरालवालों ने उसके साथ उत्पीड़न किया हो, तो वह दहेज हत्या माना जाएगा. इसके तहत दोषियों को कम से कम सात साल की क़ैद या उम्रक़ैद भी हो सकती है.  

मैरिटल रेप को अपराध का दर्ज़ा नहीं
पिछले कई सालों से मैरिटल रेप यानी शादी के बाद अपनी पत्नी से ज़बरन संबंध बनाने को अपराध घोषित करने पर विवाद चल रहा था, पर इस नए क़ानून में भी इसे अपराध घोषित नहीं किया गया है. हालांकि इंडियन पीनल कोड की तरह भारतीय न्याय संहिता में भी इसका ज़िक्र है. भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 (2) में साफ़तौर पर कहा गया है कि अगर कोई पति अपनी पत्नी से ज़बर्दस्ती यौन संबंध बनाता है, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा, बशर्ते पत्नी की उम्र 18 से अधिक हो. यहां यह समझने की बात है कि अगर पत्नी नाबालिग है, तो उसके साथ ज़बरन संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा.

कुछ ख़ास प्रावधान

  • बलात्कार पीड़िता का बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा उसके अभिभावक या किसी रिश्तेदार की मौजूदगी में ही दर्ज़ किया जाएगा.
  • महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध की जांच को प्राथमिकता दी गई है, जिससे मामला दर्ज़ होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी.
  • नए क़ानून के तहत अपराध पीड़ित महिलाओं और बच्चों को सभी अस्पतालों में निःशुल्क प्राथमिक इलाज मुहय्या कराया जाएगा.
  • महिलाओं, 15 साल से कम उम्र के बच्चों, बुज़ुर्गों और दिव्यांगों को पुलिस स्टेशन जाने में छूट मिलेगी और वो अपने घर पर ही पुलिस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.    

- ऐडवोकेट अनीता सिंह 

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