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गीत- शुभ जन्माष्टमी (Geet- Shubh Janmashtami)

मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।
हे बंशीधर सर्व जगत के, कण-कण में तुम मिलते हो।

नटवर नागर नंद दुलारे, नटखट गोकुल के प्यारे।
मुखमंडल पर बसा तेज लख, सब जाते तुम पर वारे।
बाल सुलभ अनुपम क्रीड़ाएँ, सखा-सखी सँग करते हो।
मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।1

लीलाधर लीलाएँ करके, जन-जन का मन मोह लिया।
खेल-खेल में चतुराई से, असुर जनों का नाश किया।
जग पीड़क से मुक्ति दिलाने, दुष्ट दलन हरि करते हो।
मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।

ग्वाल सखा सँग धेनु चरा कर, नित्य गमन वन तुम करते।
प्रकृति प्रेम की परम अनोखे, पालनकर्ता तुम बनते।
पर्यावरण बचा कर रखना, भाव यही तुम भरते हो।
मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।

मनमोहक छवि तुम्हरी कान्हा, प्रीति लगाई राधा से।
रास गोपियों संग रचा कर, मुक्त किया भव बाधा से।
परम मित्र बन हृदय बसी हर, पूर्ण कामना करते हो।
मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।

राजनीति में माहिर हो तुम, गीता का उपदेश दिया।
सत्य मार्ग को विजय दिला कर, खल प्रवित्ति का अंत किया।
धर्म कर्म का मर्म सिखा कर, जगत प्रवर्तक बनते हो।
मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।

भाँति-भाँति की लीलाओं से, सबके मन को हरते हो।
मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी


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Photo Courtesy: Freepik

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