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पंकज त्रिपाठी-  वो अगर मेरी ज़िंदगी में न होतीं, तो न जाने मैं कहां होता… (Pankaj Tripathi- Woh Agar Meri Zindagi Na Hoti, Toh Na Jane Main Kaha hota…)

  • सफलता का भी एक अलग संघर्ष है. व्यस्त होने के चलते अभी मैं अपने वॉक तक के लिए समय नहीं निकाल पा रहा हूं. अब दुख होता है कि इतना व्यस्त होना नहीं चाहा था. अच्छी फिल्में आती हैं, अच्छा रोल, अच्छा पैसा मिलता है, तो लगता है ये भी कर लो, वो भी कर लो, लेकिन कितना करोगे?
  • मैं शांत रहने वाला आराम पसंद इंसान हूं, मुझसे रोज़ सुबह भागा नहीं जाता है. एक कलाकार के तौर पर मैं अब चाहता हूं कि क्वालिटी वर्क करूं. उसी कहानी पर काम करूं, जिसे लेकर उत्साह हो कि कल काम पर जाना है. मैं एक्टिंग करता हूं जीने के लिए, मैं एक्टिंग के लिए नहीं जीता हूं, लेकिन अब जीने वाले पार्ट पर फोकस करना है.
  • करियर में सफलता मिलने के साथ ही हमारी गाड़ी बदल गई, घर बदल गया, पर हम नहीं बदले और न ही हम बदलेंगे. मैं जीवन को सिर्फ़ सफलता या असफलता से नहीं मापता हूं. इसे समझने के लिए थोड़ा आध्यात्म की ओर झुकाव ज़रूरी है कि ये दुनिया एक रंगमंच है, यहां मिथ्या खेल चल रहा है, इसलिए सफलता मिलने पर न तो उड़ना चाहिए और न ही असफलता हाथ लगने पर निराश होना चाहिए. 
  • मेरे लिए सफलता का कोई खास पैमाना नहीं है. मेरे हिसाब से आठ घंटे की अच्छी नींद को सफलता माना जाना चाहिए कि आप शांति और सुकून से आठ घंटा सो लिए. मैं हमेशा प्रयास करता हूं कि आठ घंटा सो पाऊं, इसलिए अपनी कलाई पर घड़ी बांधकर सोता हूं.


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  • मुझे अपनी इंडस्ट्री का 12 घंटे शिफ्ट का वर्क कल्चर पसंद नहीं है, मेरे हिसाब से आठ घंटे के बाद ओवरटाइम वही करेगा, जिसकी इच्छा हो. आप ज़बरदस्ती नहीं कर सकते, पर हम 12 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं. इस मुद्दे पर कोई बोलता नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि इसमें बदलाव लाने की ज़रूरत है.
  • हम जिस पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं, वहां नाटक करना और उसमें भी महिला का क़िरदार निभाना अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन मेरे पिताजी कुछ नहीं बोलते थे. उनका यही कहना था कि जो अच्छा लग रहा है, वही करो. मेरे घर में कभी किसी चीज़ को लेकर विरोध नहीं हुआ.
  • मेरे पिता को मेरे अचीवमेंट्स में कभी कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं रही, उन्होंने कभी मेरी कोई फिल्म थिएटर में जाकर नहीं देखी. मेरी मां भी मेरे अभिनय के बारे में बात नहीं करती थीं. टीवी पर देखकर वो मुझे कॉल करके यही सवाल करती थीं कि मैं ठीक से खा-पी रहा हूं या नहीं, मैं ठीक से सो रहा हूं या नहीं.


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  • मेरी पत्नी मृदुला का साथ मेरे जीवन का अनमोल उपहार है. वो अगर मेरी ज़िंदगी में न होतीं, तो न जाने मैं कहां होता. हमने संघर्ष साथ-साथ झेला है और अब सुख भी साथ-साथ महसूस कर रहे हैं, लेकिन मेरी कमान अब भी उनके ही हाथ में रहती है.

Photo Courtesy: Social Media

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