तब्बू अजय देवगन के साथ नीरज पांडे की फिल्म 'औरों में कहां दम था' में एक अलग अंदाज़ में नज़र आएंगी. वैसे भी अजय और तब्बू की जोड़ी दर्शक पसंद भी करते हैं और हिट भी है. तब्बू से कुछ इसी से जुड़ी कुछ कही-अनकही बातें जानते हैं.
* मैं इस फिल्म का सारा क्रेडिट नीरज पांडे को देती हूं, जिन्होंने मेरे और अजय के बीच लव स्टोरी बनाई. सोसाइटी बदलती है, तो हमारा सिनेमा भी बदलता है. आज के इस दौर में वो सारे लेबल चले गए हैं कि रोमांस सिर्फ यंगस्टर्स के लिए है. अब रोमांस को देखने का नज़रिया बदल गया है और सिनेमा में हर चीज़ के लिए जगह है.
- एक फिल्म कई चीज़ों से परफेक्ट बनती है, इसे सिर्फ़ स्क्रिप्ट, डायरेक्शन या एक्टर्स से बेहतर नहीं बनाया जा सकता. इसके लिए कई पहलुओं पर बारीकी से काम करना पड़ता है. अगर हम दर्शकों को कुछ नया देते हैं, तो वो इसे स्वीकार भी करते हैं और हमें उनका प्यार भी मिलता है.
- हम सेट पर कॉमेडी और ख़ुशनुमा माहौल को हमेशा जीवंत बनाए रखने में विश्वास करते हैं. कई बार हम निर्देशक और राइटर्स से राय लेने के बाद सेट पर अपनी स्क्रिप्ट में बदलाव भी करते हैं. चीज़ें कई बार एक्टर्स के अनुसार सेट पर बदली भी जाती हैं.
- मुझे नहीं लगता कि सह-कलाकारों के साथ बातचीत शुरू करने और कॉमिक टाइमिंग को सही करने के लिए स्क्रिप्ट रीडिंग सेशन या वर्कशॉप ज़रूरी हैं. अपने फिल्मी करियर के इतने सालों में मेरी ट्रेनिंग ऐसी रही है कि मैं सेट पर जाती हूं और वही करती हूं, जो ज़रूरी होता है.
- किसी भी फिल्म की कहानी सुनते समय ही समझ में आ जाता है कि जो क़िरदार मुझे दिया जा रहा है, उसकी ताकत क्या है? एक कलाकार के नाते मैं इसमें क्या जोड़ सकती हूं और ये क़िरदार मेरे करियर में क्या जोड़ पाएगा? मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह रही है कि मुझे निर्देशक अच्छे मिलते रहे और कहानियां भी दमदार मिलती गईं.
- मैं जब भी कोई फिल्म करती हूं, तो यह ख़्याल रखती हूं कि हर फिल्म के साथ एक कलाकार के तौर पर मेरा विकास होना चाहिए. मैं ऐसा कोई क़िरदार नहीं करना चाहती, जो मुझे चार कदम पीछे ले जाए.
- इस इंडस्ट्री में उम्र को लेकर बहुत मसले होते हैं, लेकिन मैं एक्सपेरिमेंट करना पसंद करती हूं. कम उम्र में मैंने पर्दे पर मां का क़िरदार भी निभाया है. मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जिनके पास करियर को लेकर स्ट्रैटजी होती है. मैंने अपने क़िरदार की उम्र, मैरिटल स्टेटस या क़िरदार की लंबाई नहीं देखी, बस यह मायने रखता है कि क़िरदार कितना दमदार है.
- सिंगल होने में कोई बुराई नहीं है. आपकी ख़ुुशी आपके रिश्ते की स्थिति से निर्धारित नहीं की जा सकती है. आप सिंगल रहकर अकेलेपन से निपट सकते हैं, लेकिन किसी ग़लत साथी के साथ रहना किसी भी तरह के अकेलेपन से बदतर होता है. एक पुरुष के लिए अगर मैंने अपना करियर, दुनिया घूमने की इच्छा और अपना सब कुछ छोड़ दिया होता, तो यह अन्याय होता.
Photo Courtesy: Social Media
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