बच्ची अब ज़मीन पर फिर से कोई पत्थर ढूंढ़ने लगी अमरूद तोड़ने के लिए. गिट्टी का एक नन्हा टुकड़ा उसने डाल की ओर फेंका, जो उसके नन्हे हाथों से आधी दूरी में ही गिर गया. दो मिनट तक वह ज़मीन पर कुछ ढूंढ़ती रही. फिर अचानक बड़ी मासूमियत से अपनी नन्ही हथेलियां अमरूद की ओर फैलाकर मानों अमरूदों को बुलाने लगी कि मेरे पास आ जाओ.
पिछले बरामदे में नीरा वॉशिंग मशीन में कपड़े धोने गई, तो अचानक जाली के उस पार दृष्टि गई. पिछले आंगन में लगे अमरूद के पेड़ के पास बाउंड्री के बाहर पांच-छह साल की एक बच्ची खड़ी थी. डाल पर लगे अमरूद तोड़ने के लिए उसने ज़मीन से उठाकर जाने क्या ऊपर फेंका. अमरूद तो कोई टूटा नहीं बच्ची की आंख में कचरा चला गया. वह दो मिनट तक आंख मलती रही.
बगल वाले घर में छत पर दो कमरे बन रहे थे शायद उन्हीं मजदूरों में से किसी की बच्ची होगी. बालों में रबरबैंड लगाकर करीने से की हुई दो चोटियां, प्रिंटेड गुलाबी फ्रॉक में बच्ची नीरा को बड़ी प्यारी लगी.
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बच्ची अब ज़मीन पर फिर से कोई पत्थर ढूंढ़ने लगी अमरूद तोड़ने के लिए. गिट्टी का एक नन्हा टुकड़ा उसने डाल की ओर फेंका, जो उसके नन्हे हाथों से आधी दूरी में ही गिर गया. दो मिनट तक वह ज़मीन पर कुछ ढूंढ़ती रही. फिर अचानक बड़ी मासूमियत से अपनी नन्ही हथेलियां अमरूद की ओर फैलाकर मानों अमरूदों को बुलाने लगी कि मेरे पास आ जाओ. फिर निराश होकर बगल में चली गई.
नीरा बड़े कौतूहल से उसकी बालसुलभ चेष्टा देख रही थी. कपड़े मशीन में लगाकर वह भीतर आई. रसोईघर में दो अमरूद रखे थे. नीरा ने अमरूद धोकर एक प्लेट में काटकर उन पर नमक लगाया और बगल वाले मकान की ओर चली गई.
बच्ची रेत के ढेर पर सीपियां चुन रही थी. नीरा ने मुस्कुराकर उसे अमरूद की प्लेट थमा दी. पहले तो बच्ची झिझकी फिर धीरे से प्लेट हाथ में लेकर उसने एक फांक मुंह में डाली. अमरूद शायद खट्टा था.
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बच्ची ने आंखें मिचकाई, लेकिन अमरूद मिलने की ख़ुशी में एक चौड़ी सी मुस्कान भी उसके चेहरे पर आ गई.
नीरा उसकी प्यारी सी खट्टी-मीठी मुस्कान देखकर निहाल हो गई.
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