बुज़दिल होते हैं वो लोग जो ज़िंदगी को छोड़ मौत को गले लगाते हैं. ईश्वर ने हमें जो अनमोल जीवन दिया है, उसे यूं ही बस छोटी-सी परेशानी के दबाव में आते ही क्यों अक्सर लोग त्याग देते हैं. दुखों को सहने की क्षमता जिनमें नहीं होती अक्सर वही लोग सुंदर से जीवन को ख़त्म कर देते हैं. कभी समझदार तो कभी कोमल मन वाले बच्चे भी परीक्षा में कम नंबर मिलने के कारण आत्महत्या कर लेते हैं. आपका जीवन आपके अपनों और ख़ुद आपके लिए अनमोल है. इसे इस तरह ज़ाया न करें. छोटी-छोटी परेशानियों से तंग आकर इस पर फुलस्टॉप न लगाएं.मज़बूत बनो
मज़बूत हो इरादा तो बड़े से बड़ा दुख भी आपके हौसले को पस्त नहीं कर सकता. इसका ताज़ा उदाहरण 2015 की आईएएस टॉपर इरा सिंहल हैं. शारीरिक रूप से कमज़ोर होने के बाद भी इरा ने हार नहीं मानी और अंत में जीतकर ही दम लिया. अक्सर कमज़ोर दिल के लोग झट से जीवन की आस छोड़ देते हैं. जीवन के उतार-चढ़ाव को झेलने में समर्थ नहीं होते और कमज़ोंरों की तरह अपने आपको ही ख़त्म कर लेते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि उनके इस क़दम से परेशानी ख़त्म हो जाएगी. वो ये नहीं जानते कि उनके इस तरह से दुनिया से जाने के बाद उनके अपनों के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है. किसी भी परेशानी के सामने जब आपको लगे कि अब आप दम तोड़ देंगे, तभी बस एक कोशिश और करें. यक़ीन मानिए आपके इस हौसले को देखकर ख़ुद परेशानी आपके सामने घुटने टेक देगी.
ख़ुद पर विश्वास रखो
12 अप्रैल 2012 में ट्रेन हादसे में अपना एक पैर गंवा देने वाली नेशनल लेवल की वॉलीवॉल प्लेयर अरुणिमा सिन्हा का वो अपने ऊपर विश्वास ही था, जो उन्हें एवरेस्ट पर फतह करने से नहीं रोक पाया और वो एवरेस्ट पर फतह करने वाली भारत की पहली विकलांग महिला बनीं. एक पैर गंवा देने के बाद भी अरुणिमा के हौसले को कोई हिला नहीं सका, तो सही सलामत होते हुए भी आप क्यों छोटी-सी मुश्किल के आते ही डर जाते हैं. परेशानियों से हारकर जीवन को ख़त्म कर देना तो बहुत आसान है, लेकिन उसे जीना उतना ही मुश्किल. कायरों की तरह आप भी इस तरह का क़दम उठाने से पहले अपने ऊपर एक बार फिर से विश्वास करके देखिए. क्या पता अगले दिन का उगता सूरज आपके लिए नई रोशनी के साथ आया हो.
दुख बांटे
इस संसार में आए हैं, तो निश्चय ही ईश्वर ने आपके लिए कुछ स्पेशल करने को छोड़ा है. ऐसे में उसकी मर्ज़ी के बग़ैर बीच में ही जीवन को समाप्त करना उचित नहीं. इस बात को जान लें कि अगर दुख है, तो दुख का कोई न कोई हल भी है. इस बात को गांठ बांध लें. कुछ दिनों से अगर आप किसी बात से परेशान हैं और समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें, तो किसी अपने से उसे बांटकर देखें. हो सकता है कि जो परेशानी आपके लिए बहुत बड़ी हो, उसका हल आपके अपने के पास हो. दुखों से परेशान होकर झट से आत्महत्या करना किसी तरह का समाधान नहीं है.
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ख़ुद से प्यार करें
अपने आप से बहुत ज़्यादा अपेक्षाएं करना बंद कीजिए. अपनी क्षमता के अनुसार ही अपने ऊपर ज़िम्मेदारियों का बोझ डालिए. जब आप ख़ुश और सुखी रहेंगे तभी तो परिवार को ख़ुश रख पाएंगे. शायद आप ये बात नहीं जानते, लेकिन ये सच है. जिस तरह से आपको परिवार की चिंता लगी रहती है, ठीक उसी तरह से परिवार भी आपके बारे में सोचता है. ऐसे में अपने आपको दूसरों से अलग करके और अपना ख़्याल न रखकर आप अपने साथ-साथ परिवार को भी दुखी करते हैं. कुछ लोग ख़ुद ही अपने बारे में ये फैसला कर लेते हैं कि वो अपनी ज़िम्मेदारियों को सही तरह से नहीं निभा पा रहे हैं और अंत में एक दिन इन्हीं सब से परेशान होकर वो ग़लत क़दम उठाते हैं. जीवन का अंत करके आप अपने लोगों को कितनी बड़ी परेशानी में डालकर जा रहे हैं, ये आपको पता नहीं. जिन अपनों के लिए आप दिन-रात एक कर देते हैं, उन्हें एक दिन यूं अकेले छोड़कर जाना कितना उचित है?
जिन्होंने कभी नहीं मानी हारी
- क्लासिकल डांसर और अभिनेत्री सुधा चंद्रन
- म्यूज़िक डायरेक्टर रविंद्र जैन
- स्काई डाइवर साईं प्रसाद विश्वनाथन
- पेंटर एंड फोटोग्राफर साधना धंड
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