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ब्रेस्ट संबंधी असुविधाजनक सवाल और उनके जवाब (Questions And Answers Regarding Breast Problem)
क्या एक्सरसाइज़ से ढीले व लटके हुए स्तनों में कसाव लाया जा सकता है?
ब्रेस्ट में मसल्स नहीं होती इसलिए इन्हें टोन नहीं किया जा सकता, परंतु ब्रेस्ट के चारों ओर मसल्स होती हैं, इनमें एक्सरसाइज़ करके कसाव लाया जा सकता है. इसके लिए चेस्ट प्रेस, डंबलफ्लाय व पुशअप जैसी एक्सरसाइज़ करें. इसके अलावा नीचे दी गई एक्सरसाइज़ भी ब्रेस्ट टाइटनिंग के लिए फ़ायदेमंद है.
♦ बैकवर्ड फेसिंग वॉल स्लाइड दीवार से पीठ की ओर टिककर इस तरह खड़े हों कि आपकी कमर कंधे और सिर दीवार को छुए. अपनी बाहें कंधों की सीध में फैलाएं. अब अपनी कोहनियां 90 डिग्री कोण पर इस तरह मोड़े कि हाथों कि ऊंगलियां छत की ओर उठी रहें. धीर-धीरे बाहों को दीवार से लगकर ऊपर की ओर उठाएं, फिर नीचे लाएं और वापस अपनी पूर्व स्थिति में आएं. इस अभ्यास को दोहराएं.
♦ फ्रंट फेसिंग वॉल स्लाइड दीवार की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं. दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं, ध्यान रहे पैरों की ऊंगलियां दीवार से 6 इंच की दूरी पर हों.
हथेली को दीवार पर इस तरह दबाएं कि हाथों की ऊंगलियां छत की ओर उठी रहें. धीरे-धीरे हथेली को दीवार से लगकर ऊपर की ओर तब तक उठाएं जब तक बांह सीधी न हो जाए. बांह को धीरे-धीरे इस तरह ऊपर लाएं कि हाथ कानों तक पहुंचेे. अब दोनों कुहनियों को जोड़ें अब बाहों को पीछे दीवार की ओर ले जाएं. अब नीचे लाकर पूर्व स्थिति में आएं. इस अभ्यास को दोहराएं.
♦ अपने घुटनों और हाथों के बल चौपाया जानवर की तरह आएं. अब दाहिने हाथ को आगे की ओर और बाएं पैर को पीछ की ओर उठाएं. ध्यान रहे आपके नितंब और कंधे फर्श के समानांतर हों. हाथ इस तरह उठाएं कि रीढ की हड्डी की बजाय कंधे और नितंब पर दबाव पड़े. अब धीरे-धीरे नीचे पूर्व स्थिति में आएं. यही क्रिया दूसरे हाथ और पैर पर भी दोहराएं.
क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है?
सामान्यतः अधिकांश ब्रेस्ट इम्प्लांट में आसानी से स्तनपान कराया जा सकता है. 20% केसेसे में इम्प्लांट को पहले वर्ष में सर्जरी से पुनः एडजस्ट करना पड़ता है. 30 % केसेसे में इम्प्लांट 10 वर्ष बाद टूट जाता है और पुनः कराना पड़ता है. पहली बार इम्प्लांट के बाद स्तनपान कराने में कोई दिक्क़त नहीं आती, परंतु जितनी ज़्यादा बार सर्जरी कराई जाती है, ब्रेस्ट के लिगामेंट को उतना ही ज़्यादा नुक़सान पहुंचता है. इसके कारण मिल्क डक्ट (दूध की नलियां) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. जिससे स्तनपान कराना मुश्किल हो जाता है. अतः ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने से पहले डॉक्टर से इसके रिस्क फैक्टर्स के बारे में ज़रूर पूछ लें.
क्या ब्रेस्ट इम्प्लांट कराने के बाद ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है?
यदि ब्रेस्ट में इम्प्लांट हो तो डॉक्टर द्वारा किए गए रोगी के शारीरिक परीक्षण में ब्रेस्ट में गांठ का पता नहीं चलता. इसलिए इस परीक्षण को अंतिम नहीं माना जाता. मेमोग्राम और एम.आर.आई. करवाना आवश्यक होता है. इससे ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाता है.
प्रेग्नेंसी ना होते हुए भी ब्रेस्ट निपल से डिस्चार्ज (स्राव) होना क्या रिस्की होता है?
- यदि निपल से डिस्चार्ज होता है तो पहले उसका रंग देख लें कि कहीं वो पीला, हरा, गुलाबी या ख़ून के रंग का तो नहीं है. इसके अलावा यह भी देखें कि डिस्चार्ज गाढ़ा, पतला या चिपचिपा किस तरह का है?
- यदि दोनों ब्रेस्ट दबाने पर पीला हरा या गहरा हरा डिस्चार्ज निकलता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
- प्रेग्नेंसी ना होते हुए भी यदि बार-बार डिस्चार्ज निकलता है तो यह इन्फेक्शन (संक्रमण) या किसी दवाई का साइड इफेक्ट हो सकता है.
- यदि डिस्चार्ज दूध या पानी जैसा है तो ये किसी बीमारी की शुरुआत हो सकती है, अतः डॉक्टर की सलाह लें.
- कुछ ख़ास तरह के केसेस में डिस्चार्ज हार्मोेनल, इम्बैलेंस या ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है, इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
पीरियड्स के पहले और पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट में बहुत पीड़ा क्यों होती है?
- ब्रेस्ट के टिशूज़ स्वाभाविक रूप से कोमल व नाज़ुक होते हैं. ओव्युलेशन के दौरान और उसके बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स के लेवल कम ज्यादा होते रहते हैं. इसके साइड इफेक्ट्स शारीरिक लक्षणों, जैसे- सिरदर्द, मूड स्विंग, खाने का लालच, पैरों में क्रैम्पस आना व ब्रेस्ट में पीड़ा आदि के रूप में दिखाई देते हैं.
- डायट कोक, चाय या कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन भी ब्रेस्ट की पीड़ा बढ़ा सकता है.
- दर्द कम करने के लिए पीरियड्स के दौरान नमक का सेवन कम करें. खाने में विटामिन बी6 और विटामिन ई युक्त आहार लें.
क्या यह संभव है कि वज़न घटाते समय ब्रेस्ट का साइज़ कम ना हो?
ब्रेस्ट का साइज़ अनुवांशिक रूप से निर्धारित होता है. ब्रेस्ट का ज़्यादातर भाग फैट से बना होता है. जब वज़न घटता है तो जैसे शरीर के बाकी हिस्से से फैट कम होता है, वैसे ही ब्रेस्ट से भी कम होता है, परंतु इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि हमारा शरीर क्रमबद्ध तरी़के से फैट कम करता है. इससे ब्रेस्ट का साइज़ भी हमारी शारीरिक संरचना के अनुसार ही कम होता है. इसलिए वज़न कम होने पर भी हमारा शारीरिक अनुपात वैसा ही बना रहता है.