रेटिंग: ***
बहुत दिनों बाद मनोरंजन से भरपूर फुल फैमिली इंटरटेनमेंट फिल्म देखने मिली ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ के रूप में. कृति सेनॉन अपने पूरे शबाब पर रहीं. एक रोबोट की भूमिका में उन्होंने जान फूंक दी हो जैसे. सिफ्रा के क़िरदार में उनका अभिनय इस कदर उम्दा रहा की उन पर से नज़रें हट ही नहीं पा रही थीं. मशीन होने के बावजूद पूरी फिल्म की वे धड़कन हैं.
शाहिद कपूर आर्यन के रोल में हर ऐंगल और शेड्स में बेमिसाल लगे. फिर चाहे उनका प्रोग्रामर के रूप में रोबोट बनाना, उनकी प्रोग्रामिंग करना, प्यार करना, डांस, रोमांस सब में वे प्रभावित करते हैं. कह सकते हैं कि कृति फिल्म की धड़कन हैं, तो शाहिद दिल. पहली बार दोनों ने स्क्रीन शेयर की है और उनकी लव केमेस्ट्री ने फैंस को इस कदर दीवाना बना दिया है कि हर तरफ़ तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया... की धुन और गीत पूरे उफ़ान पर है. फिल्म का टीजर और ट्रेलर तो वैसे भी पहले ही दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया था. अब फिल्म के रिलीज़ पर ऑडियंस का वही प्यार देखने मिल रहा है.
कहानी बस इतनी सी है कि आर्यन की मौसी डिंपल कापड़िया की रोबोट बनाने की कंपनी है. उनकी होमकेयर रोबोट सिफ्रा यानी कृति सेनॉन को आर्यन दिल दे बैठता है. पहले वह नहीं जान पाता कि सिफ्रा रोबोट है, पर जानने के बावजूद आर्यन का उसके प्रति जुनून कम नहीं होता. कहानी में कई ट्विस्ट भी हैं, जैसे- आर्यन के माता-पिता चाहते हैं कि वह शादी कर ले, लेकिन वो हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर और कई समस्याएं बताकर टाल जाता है. लेकिन जब वो सिफ्रा को बहू के रूप में परिवार में मिलवाता है, तो हर कोई ख़ुशी के मारे बौरा जाता है. तब कोई भी यह नहीं जानता कि सिफ्रा इंसान नहीं मशीन है.
फिल्म में एक से बढ़कर एक मज़ेदार सीन्स और चुटीले संवाद हैं. क़रीब ढाई घंटे की यह फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती. इसके वन लाइन पंचेस, हाथी-चीटीं के चुटकुले, कलाकारों की कॉमेडी ख़ूब हंसाती है.
शाहिद और कृति की अदाकारी शुरू से अंत तक बांधे रखती है. डिंपल कपाड़िया ने भी मौसी की भूमिका में बहुत दिनों बाद मज़ेदार परफॉर्मेंस दिया है. वे जब-जब आती हैं उनकी ख़ूबसूरती और एनर्जी लेवल देखते ही बनता है. आज भी वे काफ़ी गार्जियस लगती हैं.
शाहिद के दादा की भूमिका में धर्मेंद भी क्या ख़ूब लगे हैं. कॉमेडी और इमोशनल सीन्स में वे सब पर छा जाते हैं. आज भी उनके अभिनय की जादूगरी हर किसी को प्रभावित करती है.
अन्य कलाकारों में राकेश बेदी, अनुभा फतेहपुरिया, राजेश कुमार, आशीष वर्मा, ग्रुशा कपूर, राशुल टंडन, बृज भूषण शुक्ला, शौर्या दुग्गल सभी ने दिलचस्प एक्टिंग की है. मनोरंजन पर हर किसी ने अपना बराबर का कॉन्ट्रीब्यूशन दिया है.
टी-सीरीज़ की म्यूज़िक फिल्म में थोड़ी अलग सी है और उस पर डांस भई क्या कहने! शाहिद-कृति का मूव्स देख दिल नाचने को मजबूर हो जाता है. तनिष्क बागची, सचिन-जिगर, मितराज का संगीत पहले से ही सुपरहिट हो चुका है. इसका टाइटल सॉन्ग वैसे भी ख़ूब देखा-सुना जा रहा है. भारत के मुंबई-दिल्ली के लोकेशन हो या फिर यूएसए के सिनेमाटोग्राफ़ी बेहद आकर्षक है, जिस पर से नज़रें हट ही नहीं पातीं. इसके लिए लक्ष्मण उतेकर को फुल मार्क्स मिलते हैं. उन्होंने दर्शकों को परदे पर टकटकी लगाए रखने को कहे या उलझाए रखने में कामयाबी हासिल की है.
यूं तो शुरू से लेकर अंत तक पूरी फिल्म फ्लो मे बहती है. कहीं उकताहट नहीं होती, लेकिन कुछ जगहों पर एडिटिंग की जा सकती थी. वैसे भी सेंसर बोर्ड ने कृति-शाहिद के कुछ बोल्ड सीन्स पर अपनी कैंची चला ही दी थी. इसके बावजूद मनीष प्रधान थोड़ी और एडिटिंग कर सकते थे.
पहली फिल्म के तौर पर निर्देशक अमित जोशी और आराधना साह का लेखन और निर्देशन कमाल का रहा है. उन्होंने इस बात का ख़ास ख़्याल रखा कि कॉमेडी के साथ-साथ इमोशंस भी रहे और बोरियत भी महसूस न हो.
पेन मूवीस की साइंस फिक्शन से जुड़ी यह रोमांटिक कॉमेडी फिल्म के निर्माता के तौर पर दिनेश विजन, ज्योति देशपांडे व लक्ष्मण उतेकर जुड़े हुए हैं. मडोक फिल्मस और जियो स्टूडियो की यह फिल्म इस साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित होगी इसमें कोई दो राय नहीं.
ख़ास वैलेंटाइन वीक को ध्यान में रखकर रिलीज़ की गई एक असंभव सी प्रेम कहानी को दर्शकों के लिए संभव करने के साथ प्रेमी जोड़ों को यादगर पल बिताने का मौक़ा देती है यह फिल्म.
अंत में जाह्नवी कपूर की धमाकेदार एंट्री इस बात का ज़रूर इशारा करती है कि इसका दूसरा पार्ट सीक्वल भी बनेगा और यक़ीनन उसमें जाह्नवी की भी शानदार भूमिका होगी. फ़िलहाल यह तो आनेवाला व़क्त ही बताएगा, पर आप काम की उलझनों से परे हो आर्यन-सिफ्रा की लव स्टोरी को ज़रूर देखें, ताकि यह भी संकेत मिले की आनेेवाले कल में मशीनों के दिल भी प्यार के लिए धड़केंगे और प्रेमिका ईर्ष्या भी करेंगी, जैसा सिफ्रा करने लगती है. शेष फिर...
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