दिलचस्प कहानियां, भव्य सेट, लाजवाब संवाद, शानदार पैहरन, मधुर गीत-संगीत-नृत्य, कलाकारों की जानदार अदाकारी के लिए जाने जाते हैं संजय लीला भंसाली. उनकी हर फिल्म में उनकी बेमिसाल क्रिएटिविटी और निर्देशन की जादूगरी देखने मिलती है. ख़ामोशी फिल्म से शुरू हुआ उनका यह सफ़र हम दिल दे चुके सनम, ब्लैक, रामलीला, बाजीराव मस्तानी, पद्यावत से होता हुआ हीरामंडी तक अपने पूरे उफ़ान पर पहुंच गया है.
भंसाली के बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज़ हीरामंडी- द डायमंड बाज़ार का ज़बर्दस्त टीजर देख लोग बेहद उत्साहित हो गए. इसमें संजय लीला का ख़ास अंदाज़ देखने मिला. भव्य सेट, मधुर संगीत और शानदार पहनावे में क़यामत ढाती सोनाक्षी सिन्हा, मनीषा कोईराला, अदिति राव हैदरी, रिचा चड्ढा, संजीदा शेख औैर शर्मिन सेगल. वाक़ई में तवायफ़ों की भूमिका में इन सभी का शाही अंदाज़ ग़ज़ब ढा रहा था.
बकौल संजय लीला भंसाली वे क़रीब चौदह साल से अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर जुनूनी रहे हैं. अब जाकर यह अपने पूर्णता के कगार पर है. पिछले साल जब हीरामंडी को लेकर एनाउंसमेंट हुआ था, तब से दर्शकों में इसे लेकर एक्साइटमेंट बना हुआ है. आज भंसाली प्रोडक्शन, कलाकारों व नेटफ्लिक्स द्वारा शेयर किए गए इसके फर्स्ट लुक टीज़र को देख वो उत्साह अपने चरम पर पहुंच गया है.
वैश्याओं का ऐसा भी एक दौर था, जब वे किसी रानी-महारानी से कम न थीं. जहां वे प्यार, संबंध, प्रतिशोध, राजनीति के दांव-पेंच खेलतीं, उनका अपना एक साम्राज्य था. इसी कहानी को बयां करती है भंसाली की हीरामंडी. टीजर में अदिति, रिचा, मनीषा, सोनाक्षी, संजीदा, शर्मिन के रंग-रूप, अदाएं, भाव-भंगिमाएं बेहद प्रभावित करती हैं. उस पर बैकग्राउंड में गूंजता कर्णप्रिय संगीत, इंकलाब की नारेबाज़ी, तवायफ़ों की कुटिल मुस्कान, न जाने कितनी बेचैन कर देनेवाली कहानियों को जन्म देती हैं. आज़ादी के पहले क़रीब साल 1940 के समय काल में लाहौर में स्थापित रेड लाइट एरिया हीरामंडी में शानो-शौक़त से भरपूर ज़िंदगी जी रहीं प्रॉस्टीटयूट की दिलचस्प कहानी है हीरामंडी- द डायमंड बाज़ार. पहले इसका नाम हीरामंडी था, पर बाद में इसमें द डायमंड बाज़ार जोड़ दिया गया. नेटफ्लिक्स पर आनेवाली हीरामंडी के ज़रिए भंसाली पहली बार अपने निर्देशन का कमाल दिखाएंगे यानी यह उनकी डेबू वेब सीरीज़ होगी.
पहली बार टीजर को देख बरबस गंगूबाई काठियावाड़ी और कंलक फिल्म की याद आ जाती है. गोल्डन व ब्लैक शेड लिए हुए इसके सेट्स की भव्यता भी कुछ वैसी ही है. इन फिल्मों में भी वेश्याओं के जीवन, उनके दर्द, प्यार को दिखाने की सार्थक कोशिश की गई थी.
संजय लीला भंसाली एक परफेक्शनिस्ट डायरेक्टर रहे हैं. वे अपनी फिल्मों में हर छोटी से छोटी बात का ख़्याल रखते हैं, फिर चाहे वो डायलॉग, इमोशनल सीन, गीत-संगीत, नृत्य, सेट्स, कलाकारों का अभिनय… ही क्यों न हो. वे हर पहलू पर बारीक़ी से ग़ौर करते हैं. उनकी यही ख़ासयित उन्हें अन्य निर्देशकों से अलग और बेहद ख़ास बना देती है. चूंकि यह उनका एक तरह से ड्रीम प्रोजेक्ट भी है, इस करके भी वे सब कुछ बेहतरीन चाहते हैं. इसी कारण उन्होंने सभी अभिनेत्रियों को बाकायदा अलग तरह की नृत्य की ट्रेनिंग भी दिलवाई, ताकि तवायफ़ की भूमिका बेहतरीन हो सके. अब यह तो आनेवाला व़क्त ही बताएगा कि वे अपने मक़सद में कितना कामयाब हो पाए.
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