मनोरंजन के साथ इमोशंस और संदेश देती हुई कहानी अक्सर पसंद की जाती है और यही ख़ूबी करण जौहर की फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में भी दिखती है. 'ए दिल है मुश्किल' के बाद एक लंबे समय के बाद करण ने निर्देशन की बागडोर अपने हाथ में ली है और अपने वही पसंदीदा पुराने फार्मूले को अपनाते हुए पारिवारिक फिल्म बनाई है.
रॉकी, रणवीर सिंह एक पंजाबी परिवार के मौज-मस्ती करने वाले अफलातून लड़के की भूमिका में है, जो उनकी असल ज़िंदगी के साथ भी मैच करती है. खानदानी मिठाई वाले परिवार में जन्मे रॉकी के दादा धर्मेंद्र नरम दिल हैं, पर उनकी याददाश्त क्षीण हो चुकी है. वहीं दादी जया बच्चन सख़्त मिजाज़ और अपनी परंपराओं को लेकर चलने वाली हैं. रॉकी अपनी बॉडी बनाने से लेकर अंग्रेज़ी की टांग तोड़ने तक, पढ़ाई-लिखाई में डफर लेकिन स्टाइल में ज़फ़र है.
रानी, आलिया भट्ट एक बंगाली परिवार से हैं और न्यूज़ चैनल में एंकर की भूमिका में है. उनकी मां शबाना आज़मी हैं.
रॉकी से रानी की पहली मुलाक़ात बेहद दिलचस्प रहती है. रानी के सामने रॉकी की इमेज अमीर परिवार के बिगड़े लड़के की है, जो सतरंगी कपड़े पहना हुआ अतरंगी शख़्स है.
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब रॉकी अपने दादा के अधूरे प्रेम को पूरा करने की कोशिश करता है. क्या रॉकी-रानी अपने दादा-दादी का मिलन करवा पाते हैं?.. इस कोशिश में वे दोनों क़रीब आते हैं, लेकिन दोनों के ही परिवारिक बैकग्राउंड एकदम विपरीत हैं. जहां रॉकी का पंजाबी परिवार का अलग ढंग है, तो वहीं रानी के बंगाली खानदान की भी मिजाज़ अलहदा हैं. ऐसे में दोनों यह निर्णय लेते हैं कि तीन महीने दोनों एक-दूसरे के घर में रहेंगे, रॉकी रानी के घर पर रानी रॉकी के घर पर और अपने रिश्ते को जोड़ने की एक आख़िरी कोशिश करेंगे. लेकिन बात बनते-बनते बिगड़ने लगती है.
क्या रॉकी के दादा ठीक हो पाते हैं?.. रॉकी-रानी की रिश्ते जुड़ पाते हैं..? जानने के लिए फिल्म देखनी होगी. क़रीब 3 घंटे की फिल्म रिश्तों के ताने-बाने से लेकर हंसने, रोने, गाने, मनोरंजन के सब तड़के देती है, लेकिन कॉमेडी के साथ मैसेज भी देती है.
रणवीर सिंह और आलिया भट्ट ने रॉकी और रानी की भूमिका में ज़बरदस्त काम किया है. दोनों ने अपने रोल को बख़ूबी जिया है और दोनों की केमिस्ट्री देखते बनती है. गली ब्वॉय के बाद एक बार फिर उन्होंने अपना सिक्का जमाया है. धर्मेंद्र, जया बच्चन और शबाना आज़मी तीनों ने प्रभावित किया है. रानी के माता पिता की भूमिका में बंगाली कलाकार चुरनी गांगुली और तोता रॉय चौधरी ने लाजवाब अभिनय किया है. रॉकी के पैरेंट्स बने आमिर भासित व अंजलि आनंद भी जंचे हैं. नमित दास, क्षिति जोग भी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करते हैं.
फिल्म का गीत-संगीत तो पहले से ही सुपरहिट हो चुका है, ख़ासकर तुम क्या मिले… और वॉट झुमका तो लोगों को बेहद पसंद आ ही रहा है.
दर्शकों को आकर्षित करने के लिए फिल्म में कई पहलू जोड़े गए हैं. जैसे शुरुआत में वरुण धवन, सारा अली खान, जाह्ववी कपूर और अनन्या पांडे की ख़ास एंट्री. फिल्म के एक सीन में डोला रे डोला… गाने पर ससुर-दामाद की जुगलबंदी देखते ही बनती है. ऐसे कई सीन्स हैं, जो भरपूर मनोरंजन करते हैं.
सुमित रॉय, शशांक खेतान और इशिता मोइत्रा की लिखी कहानी और संवाद दिलचस्प और प्रभावशाली हैं. नितिन बैद को और एडिटिंग करने की ज़रूरत थी. फिल्म लंबी होने के कारण कहीं-कहीं बोर सी लगने लगती है. तक़रीबन पौने तीन घंटे की इस फिल्म को थोड़ा कम किया जा सकता था कुछ गैरज़रूरी सीन काटे जा सकते थे. सिनेमैटोग्राफर मानुष नंदन ने कई लोकेशंस के ख़ूबसूरत दृश्यों को बेहतरीन तरीक़े से क़ैद किया है. उनकी सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है. धर्मा प्रोडक्शन अपने भव्य गीत-संगीत, ड्रामा, मनोरंजन के लिए जाना जाता है और यही ख़ूबी 'रॉकी रानी की प्रेम कहानी' फिल्म में भी देखने को मिलती है.
रेटिंग: ***3
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