श्रावण मास यानी भगवान शिव की पूजा-आराधना का उत्तम माह. श्रावण हिन्दू धर्म का पंचम माह है. श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है. भोलेनाथ ने स्वयं कहा है- मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है. इसका माहात्म्य सुनने योग्य है, अतः इसे श्रावण कहा जाता है. इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है, इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है. इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है. श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व है. इससे जुड़े तमाम बातें और उपायों के बारे में उल्लेखनीय जानकारी दे रहे हैं ज्योतिष-वास्तु शास्त्री पंडित राजेंद्रजी.
अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्
श्रावण मास में अकाल मृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी व्याधियों को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है.
मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे.
स्वस्य यद्रोचतेऽत्यन्तं भोज्यं वा भोग्यमेव वा।
सङ्कल्पय द्विजवर्याय दत्वा मासे स्वयं त्यजेत् ।।
श्रावण में संकल्प लेकर अपनी सबसे प्रिय वस्तु (खाने का पदार्थ) का त्याग कर देना चाहिए और उसे ब्राह्मणों को दान देना चाहिए.
केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात
श्रावण मास में भूमि पर शयन का विशेष महत्व है. ऐसा करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है.
त्रिशूल
त्रिशूल शिवजी के हाथों में हमेशा होता है. यह तीन देव और तीन लोक का प्रतीक है. अत: सावन मास के प्रथम दिन चांदी का त्रिशूल लाने से वर्ष भर आपदाओं से रक्षा होती है.
रुद्राक्ष
सुख, सौभाग्य और समृद्धि के लिए तथा मन की पवित्रता के लिए असली रुद्राक्ष को घर में लाएं या फिर घर में रखे रुद्राक्ष को चांदी में बनवा कर पहनें. यह आपके जीवन के लिए अत्यंत शुभ और समृद्धिदायक होगा.
डमरू
यह शिव का पवित्र वाद्य यंत्र है. इसकी पवित्र ध्वनि से आसपास से समस्त नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं. आरोग्य के लिए भी डमरू की ध्वनि असरकारक मानी गई है. सावन माह के प्रथम दिन लाकर रखें और अंतिम दिन किसी बच्चे को यह डमरू उपहार में दें.
चांदी के नंदी
नंदी शिवजी का गण भी है और वाहन भी. सावन मास के पहले दिन चांदी के नंदी को घर में लाकर माह भर पूजा करें, तो यह आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाता है.
जल पात्र
जल शिवजी को अत्यंत प्रिय है. आप चाहे तो सावन मास के प्रथम दिन गंगाजल लाकर घर में रखें और माह भर पूजन करें. लेकिन अगर यह संभव नहीं है, तो आप चांदी, तांबे या पीतल का पात्र लाकर उसमें शुद्ध स्वच्छ निर्मल जल भरें और प्रतिदिन उससे शिवजी को जल अर्पित कर पुन: भरकर रख दें. यह प्रयोग धन के आगमन के लिए सबसे अधिक प्रभावी है.
सर्प
भगवान शिव के गले में सर्पराज हर घड़ी रहते हैं. अत: सावन मास के प्रथम दिन चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को घर में लाकर रखें. हर दिन पूजन करें और सावन के अंतिम दिन उसे किसी शिव मंदिर में ले जाकर रख दें. यह प्रयोग आपको पितृ दोष और काल सर्प योग में राहत देता है.
चांदी की डिब्बी में भस्म
चांदी की डिब्बी में भस्म रखें. माह भर उसे पूजन में शामिल करें और बाद में तिजोरी में रख दें. बरकत के लिए यह अचूक प्रयोग है.
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चांदी का कड़ा
भगवान शिव पैरों में चांदी का कड़ा धारण करते हैं. सावन मास के पहले दिन यह लाकर रखने से तीर्थ यात्रा और विदेश यात्रा के शुभ योग बनते हैं.
चांदी का चंद्र या मोती
भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजित हैं. अत: सावन मास के प्रथम दिन चांदी के चंद्र देव लाकर पूजन में रखें. अगर संभव हो, तो सच्चा मोती भी ला सकते हैं. मोती चंद्र ग्रह की शांति करता है. इसे करने से चंद्र ग्रह की शांति तो होती ही है, साथ ही मन भी मज़बूत होता है. चाहे तो चंद्र और मोती का साथ में पेंडेट लाकर धारण कर सकते हैं.
चांदी के बिल्व पत्र
हम पूरे सावन माह में शिवजी को बिल्व पत्र अर्पित करते हैं. लेकिन कई बार शुद्ध अखंडित बिल्व पत्र मिलना संभव नहीं होता. ऐसे में चांदी का महीन बिल्व पत्र लाकर प्रतिदिन शिवजी को अर्पित करने से करोड़ों पापों का नाश होता है और घर में शुभ कार्यों का संयोग बनता है.
शुभदायक
- दूध से अभिषेक करने पर सुख-शांति एवं पुत्र प्राप्ति.
- दही से करने पर वाहन प्राप्ति.
- घी व शहद से करने पर मकान प्राप्ति और वंश का विस्तार.
- कुशा व जल से अभिषेक करने पर रोग शांति.
- गन्ने के रस से व्यापार में वृद्धि.
- अनार के रस से करने पर शीघ्र विवाह.
- पंचामृत से अभिषेक करने पर मनोकामना पूरी होती है.
- शिव पुराण के अनुसार श्रावण में घी का दान पुष्टिदायक है.
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