जानकी भारत की बेटी है… इस संवाद पर नेपाल में विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा और वहां पर फिल्म पर रोक लगा दी गई है. दरअसल, जानकी यानी सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था और सीता को जनक की बेटी जानकी के रूप में जाना जाता है और जनकपुर नेपाल में है. नेपाल के कार्यकर्ता नविता श्रीकांत जी का कहना है कि सीता नेपाल की बेटी हैं और उन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है.
नेपाली सेंसर बोर्ड ने आदिपुरुष के विवादित डायलॉग को काटने के बाद ही स्क्रीनिंग की अनुमति देने की बात कही है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि आदिपुरुष के निर्माता-निर्देशक की इस पर क्या प्रतिक्रिया है और वे ऐसा करते हैं की नहीं. फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर अपने अलग-थलग डायलॉग के कारण वैसे ही कई लोगों के निशाने पर हैं.
रामायण की कथा को जिस तरह से आधुनिक मायाजाल का जामा पहनाकर निर्देशक ओम राउत ने प्रस्तुत किया है. रिलीज़ से पहले और अब तक इससे जुड़े विवादों का सिलसिला ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा.
आदिपुरुष में राम-सीता के वनवास से लेकर रावण के हरण करने और राम-लक्ष्मण, हनुमान द्वारा सीता को लंकेश से मुक्त कराने की वही बार-बार पढ़ी व देखी गई कहानी को दिखाया गया है. बस, अंतर पौराणिकता और आधुनिकता का है.
वीएफएक्स का कमाल, अभिनेता प्रभास का राघव के रूप लाजवाब अभिनय, तो वहीं कृति सेनॉन का जानकी के रूप सादगी दर्शकों को ख़ूब पसंद आ रही है. सैफ अली ख़ान भी रावण के रूप में एक अलग ही अंदाज़ में दिखें, जो डराने के साथ प्रभावित भी करते हैं. हनुमान बने देवदत्त नागे ने पूरी निष्ठा के साथ अपना रोल निभाया है. लक्ष्मण के रूप में सनी सिंह ने अपनी विशेष छाप छोड़ी है. इंद्रजीत बने वत्सल सेठ गंभीरता कम मुस्कुराहट अधिक लाते हैं. फिर भी सभी कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है. लेकिन की बातों का दोहराव है और कुछ चीज़ें खटकती भी हैं. परंतु बस इतना कह सकते हैं कि राम के नाम पर सब ठीक है.
निर्माता भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, ओम राउत, प्रसाद सुतार और राजेश नैर ने 500 करोड़ रुपए का दांव लगाया है, जिसमें पहले ही दिन फिल्म ने क़रीब 150 करोड़ रुपए का बिज़नेस कर लिया था. एक तरह पूरा देश ही राम सिया राम… की भक्ति में लीन हो गया था.
संचित बलहारा, अंकित बलहारा, अजय-अतुल और सचेत-परंपरा का गीत-संगीत हर किसी को भावविभोर कर देता है. गाने के शब्द और मधुर संगीत की धुन लोगों को इस कदर पसंद आ रही है कि हर जगह जय श्रीराम… का जय-जयकार गूंज रहा है.
कर्थिक पलानी की सिनेमाटोग्राफी काबिल-ए-तारीफ़ है. अपूर्व मोतीवाले और आशीष म्हात्रे ने एडिटिंग तो ठीक की है, पर थोड़ा-सा हिस्सा और एडिट करते, तो बेहतर रहता. टी-सीरीज़ और रेट्रो फाइल्स के बैनर तले बनी आदिपुरुष हिंदी और तेलुगु भाषा में बनी है.
रेटिंग: ३***
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