हर शख़्स के दिल में अपने पिता के लिए जाने कितनी तरह की भावनाएं बहती रहती हैं. पिता यानी एक आधार, विश्वास, आदर्श, प्रेरणास्रोत, मार्गदर्शक, बेस्ट फ्रेंड, सुपर हीरो… फिल्मी सितारे भी इससे अछूते नहीं हैं. क्या कहते हैं स्टार्स अपने पिता के बारे में, आइए जानते हैं.
रणबीर कपूर
ख़ुद को लकी मानता हूं…
पापा को अपने ज़िंदगी में पाकर मैं ख़ुद को बेहद लकी मानता हूं. उन्होंने हमेशा ही न केवल मुझे गाइड किया, बल्कि ज़िंदगी से जुुड़ी खट्ठी-मीठी सच्चाइयों से भी रू-ब-रू कराया. मुझे सदा ही उनकी ईमानदारी छूती है. वे कभी भी दिखावा नहीं करते थे. जब उन्होंने मेरी फिल्म ‘बर्फी’ देखी थी, तो उन्हें मेरा काम व फिल्म अच्छी लगी, पर उनका कहना था कि मैं आर्ट टाइप की फिल्में न करूं, क्योंकि वो सिनेमा थोड़ा अलग होता है. मैं उनकी सलाह का सम्मान करता हूं. वे मेरे काम से ख़ुश हुए थे, जो मुझे और भी बेहतरीन करने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहा.
अजय देवगन
भरपूर प्यार-प्रोत्साहन मिला…
मेरे पिता नंबर वन थे. उन्होंने हम सभी के लिए जो कुछ भी किया है, उसका कोई मोल नहीं है. उन्होंने हमेशा ही मेरा हौसला बढ़ाया. अपने पिता को अपना आइडियल मानते हुए ही मैंने स्टंट हीरो के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. जितना प्यार और प्रोत्साहन मुझे अपने डैडी से मिला, उतना किसी से नहीं मिला. मुझे उन पर गर्व है और हमेशा रहेगा.
अभिषेक बच्चन
मैं भी उनकी तरह सुपरस्टार बनूं…
डैडी मुझे बेहद प्यार करते हैं. आज भी मेरी मुस्कुराहट व ख़ुशी के लिए न जाने कितनी कोशिशें करते रहते हैं. डैडी का इतना प्यार देखकर मुझे अक्सर यह लगता है कि दुनिया की सारी ख़ुशियां उनके कदमों में लाकर रख दूं. मैं चाहता हूं कि मैं भी उनकी तरह ही सुपरस्टार बनूं, ताकि उन्हें भी मुझ पर वैसे ही गर्व हो, जैसे मुझे उन पर होता है.
गोविंदा
पिता को याद करता हूं, तो सुकून मिलता है…
मेरी ज़िंदगी में मेरे माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं रहा, इसलिए मैंने हमेशा वही किया, जिससे उन्हें दिली ख़ुशी मिले. मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि मैं एक सफल अभिनेता बनूं, क्योंकि उन्होंने मुझे फिल्मों के लिए भटकते व ख़ूब संघर्ष करते हुए देखा था. लेकिन हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते रहते थे और कहते थे कि मैं एक दिन ज़रूर सफल स्टार बनूंगा. उनकी दुआओं का ही असर था कि मुझे न केवल ढेर सारी फिल्में मिलीं, बल्कि सफल भी रहीं.
विवेक ओबेरॉय
डैडी को सदा मुस्कुराते देखा…
अपने डैडी पर मुझे गर्व है. मैंने उनसे ही सीखा है कि यदि इरादे बुलंद हों, तो रास्ते अपने आप बनते जाते हैं. बस, आपमें कुछ कर दिखाने का जज़्बा होना चाहिए. संघर्ष के दौर में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी व इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई. हालात चाहे जैसे भी रहे हों, मैंने उन्हें हमेशा मुस्कुराते हुए देखा. अपने पिता की तरह मैं भी कुछ ऐसा ही करना चाहता हूं.
आमिर ख़ान
पापा को मुझ पर फ़ख़्र महसूस हो…
मेरी हमेशा यह ख़्वाहिश रहती थी कि मैं कुछ ऐसा कर दिखाऊं, जिससे मेरे पापा को मुझ पर फ़ख़्र महसूस हो. वे सख़्त स्वभाव के ज़रूर थे, पर उनका दिल बहुत कोमल था. वे जानते थे कि मैं सफल हो सकता हूं, पर वे चाहते थे कि मैं अपने बलबूते पर कुछ बनकर दिखाऊं. इसलिए मानसिक तौर पर भले ही उन्होंने मेरा साथ दिया, पर हीरो बनने के लिए मेहनत व संघर्ष मुझे ही करना पड़ा, लेकिन उनके इस नज़रिए ने मुझे हमेशा ही प्रभावित व प्रेरित किया.
बॉलीवुड के कूल फादर्स
फिल्म इंडस्ट्री के कुछ स्टार्स पिता कूल फादर के रूप में बेहद मशहूर हैं. आइए, उन पर एक नज़र डालते है.
अमिताभ बच्चन
एक पिता के तौर पर अपनी बेटी श्वेता को लेकर अमिताभ बच्चन का कहना है कि बेटियां परिवार को जोड़े रखती हैं… वे कहते हैं, “बेटियां पिता की कमज़ोरी होती हैं व हमेशा रहेंगी. परिवार में बेटी के होने का आनंद उठाएं. बेटियां बहुत ख़ास होती हैं और वे परिवार को जोड़े रखने में भी मदद करती हैं. वे घर की आत्मा बन जाती हैं. वे उस प्यार, स्नेह व अपनेपन से हम सभी को अपना बना लेती हैं. वे विश्लेषण करती हैं, हिदायत देती हैं, रक्षा करती हैं, नियम बनाती हैं व उस नाज़ुक धागे को आगे बढ़ाती हैं, जो पूरे परिवार को एक साथ बांधे रखता है. वे सलाहकार हैं, ख़्याल हैं, पथ-प्रदर्शक हैं, वाकई में वे सर्वोच्च हैं.”
पिता के तौर पर अमितजी ने अपने दोनों बच्चों में बेटे-बेटी वाला कोई भेदभाव नहीं किया. उन्होंने अपनी संपत्ति में बेटी श्वेता नंदा को भी उतना ही हक़ दिया है, जितना अपने बेटे अभिषेक बच्चन को. ऐसा करके उन्होंने बेटा-बेटी में भेद मिटाने का सार्थक प्रयास करते हुए एक आदर्श पिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है.
अनिल कपूर
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सबसे स्टाइलिश और कूल फादर के रूप में जाने जाते हैं अनिल कपूर. उनका अपने तीनों बच्चों सोनम, रिया व हर्षवर्धन से दोस्ताना व्यवहार रहा है. वे उनसे हर मुद्दे पर खुलकर बात करते हैं. उनकी पसंद और इच्छाओं का भी भरपूर ख़्याल रखते हैं. फिर फिल्मों में एक्ट्रेस, प्रोड्यूसर, एक्टर के तौर पर करियर बनना हो या फिर अपनी पसंद का जीवनसाथी ही क्यों न चुनना हो, अनिल कपूर ने अपने बच्चों का हमेशा साथ दिया और उनकी भावनाओं को समझा. तभी तो सोनम कपूर का कहना है, “मेरे पिता मेरे हीरो हैं. उनके जैसा कोई नहीं है. मुझे उनकी बेटी होने पर गर्व है. आई लव यू पापा.” सोनम व रिया की शादी में भी पिता के रूप में अनिल कपूर की अपनी बेटियों के साथ लाजवाब बॉन्डिंग देखने को मिली.
शाहरुख खान
इसी कैटेगरी में शाहरूख खान भी आते हैं. वे भी अपने तीनों बच्चे सुहाना, आर्यन व अबराम पर जान छिड़कते हैं. अपने तीनों बच्चों, ख़ासकर अबराम को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में बने रहते हैं. शाहरुख जहां भी जाते हैं, अपने छोटे नवाबज़ादे अबराम को साथ लेकर जाते हैं, फिर चाहे क्रिकेट का मैदान हो, लॉन्ग ड्राइव या कोई पार्टी. बच्चों को प्रोत्साहित करने व सराहने का भी कोई मौक़ा वे नहीं चूकते हैं. हाल ही में बेटी सुहाना के विज्ञापन करने पर उन्होंने उसकी जमकर हौसलाअफ़ज़ाई की और प्यारा सा नोट भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा. शाहरुख एक इमोशनल फादर रहे हैं. हर कोई जानता है कि बेटे आर्यन का ड्रग्स केस में नाम आने पर कैसी हालत हो गई थी शाहरूख की.
अक्षय कुमार
अक्षय कुमार एक होमली फादर रहे हैं. उन्हें अपने बच्चों के साथ घर में समय बिताना बेहद अच्छा लगता है. वे फिल्मी पार्टियों से दूर ही रहते हैं और अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक व़क्त बिताते हैं. घरेलू और ज़िंदगी से जुड़ी छोटी-छोटी बातें वे बेटे आरव और बेटी नितारा को सिखाते रहते हैं. कूल फादर ही नहीं लविंग हसबैंड भी हैं अक्षय.
शाहिद कपूर
बेटी मीशा और बेटे ज़ेन को लेकर अक्सर पत्नी मीरा के साथ आउटिंग पर निकल जाते हैं शाहिद कपूर. शाहिद की उनके बच्चों के साथ गज़ब की बॉन्डिंग है. उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर पिता के तौर पर उनका केयरिंग नेचर और फैमिली बॉन्डिंग देखते ही बनता है. बच्चों के साथ खेलते, आउटडोर गेम्स एंजॉय करते, फॉरेन वेकेशन पर उनकी मस्ती उनके फैंस को ख़ूब पसंद आती है. इस क्यूट फैमिली को लोगों का भरपूर प्यार मिलता रहा है.
छोटे पर्दे के ये लविंग फादर…
- करण सिंह ग्रोवर अपनी बेटी देवी के साथ फादरफुड के हर पल को ख़ूबसूरती से संजो रहे हैें. अपनी लिटिल हार्ट के लिए देवी आर्ट सीरीज़ की ख़ूबसूरत पेंटिंग भी उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट की. अपनी ख़ुशी को बयां करते हुए करण कहते हैं कि “बिपाशा की प्रेग्नेंसी के समय से ही मैंने इस पर काम करना शुरू किया था. मुझे मालूम था कि वह आ रही है और उसका नाम देवी है. पिता-बेटी का प्यार बेहद ख़ूबसूरत एहसास है, इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते, बस महसूस कर सकते हैं.”
- पिछले साल दो बेटियों के पिता बने गुरमीत चौधरी कहते हैं, “जब से पिता बना हूं, अपना काम निपटा कर मुझे घर पहुंचने की जल्दी रहती है. अपनी बेटियों के साथ खेलने और उन्हें प्यार-दुलार करने का उतावलापन रहता है. बचपन से ही मुझे बच्चों का क्रेज़ रहा है. शुरू में उन्हें उठाने पर डर लगता था, वे कोमल सी और मेरे डंबल उठाने वाले सख़्त हाथ. बेटियां इतनी हल्की हैं कि कहीं उनको कस कर ना पकड़ लूं, इस बात को लेकर भी कॉन्शस रहता हूं. अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि हमने इतने सालों बाद क्यों बेबी प्लानिंग की. दरअसल, मैं अपने बच्चे को वो सब कुछ देने चाहता था, जो बच्चों की परवरिश के लिए ज़रूरी होता है. पहले हालात ऐसे नहीं थे, अब मैं इस क़ाबिल बन गया हूं कि अपने परिवार को अच्छी तरह से संभाल सकता हूं और पिता बनने की ज़िम्मेदारी और होने का लुत्फ़ हर पल उठा सकता हूं.”
करणवीर बोहरा जो अपनी बेटियों से बेहद प्यार करते हैं, का कहना है- “मैं पैरेंट्स ख़ासकर पिता होने के हर पल को ख़ूब एंजॉय कर रहा हूं. मेरी तीनों बेटियां लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती हैं. मैं चार्ली और मेरी तीन प्यारी एंजल."
- ऊषा पन्नालाल गुप्ता