'आदिपुरुष' (Adipurush) को लेकर लोगों में गजब का उत्साह था. प्रभु श्री राम (Shri Ram) की महागाथा को बड़े पर्दे पर देखने का लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. इसलिए फिल्म की एडवांस बुकिंग के लिए लोग टूट पड़े थे और फिल्म की रिलीज़ के दिन भी थिएटर्स में खूब भीड़ लगी. लेकिन फिल्म देखने के बाद लोगों को निराशा ही हुई. सोशल मीडिया पर फिल्म के डायलॉग्स की खुलकर आलोचना होने लगी. यूजर्स का कहना है कि मॉडर्न रामायण दिखाने के चक्कर में मेकर्स ने फैक्ट्स के साथ काफी छेड़छाड़ की है और फिल्म छपरी डायलॉग्स से भरी है. इसे लेकर मेकर्स और फिल्म का डायलॉग लिखनेवालों को जमकर ट्रोल किया जा रहा था. आखिर विवाद बढ़ता देख मेकर्स को झुकना पड़ा है. अब मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर कहा है कि इसी हफ्ते फिल्म के विवादित डायलॉग बदले जाएंगे और नए डायलॉग्स को फिल्म में शामिल किया जाएगा.
इससे पहले 'आदिपुरुष' के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर ने कहा था कि उन्होंने जानबूझकर इस तरह के डायलॉग्स रखे हैं. जो आम बोलचाल की भाषा इस्तेमाल की है, ताकि लोग यंग लोग भी इससे कनेक्शन फील कर सकें. लेकिन अब फिल्म के डायलॉग्स को लेकर विवाद बढ़ता देख मनोज ने सोशल मीडिया पर लम्बी चौड़ी पोस्ट शेयर की है और कहा है कि जनता की भावना से बढ़कर कुछ भी नहीं है और अब फिल्म के कुछ डायलॉग बदले जा रहे हैं.
मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना. सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है. आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं. उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं. "
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो रहे मनोज मुंतशिर ने आगे लिखा, "मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे. वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया. मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे. शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों. हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया. क्या आपने 'जय श्री राम' गीत नहीं सुना? 'शिवोहम' नहीं सुना, 'राम सिया राम' नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं. ‘तेरी मिट्टी' और 'देश मेरे भी तो मैंने ही लिखा है. मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे. हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा. हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे."
आखिर में मनोज मुंतशिर ने बताया कि उन्होंने ये पोस्ट क्यों लिखा? "क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है. मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इससे आपकी पीड़ा कम नहीं होगी. मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे. श्री राम आप सब पर कृपा करें!"
किन डायलॉग्स पर हुआ विवाद
आदिपुरुष की रिलीज़ के बाद से ही इसके वीएफएक्स इफ़ेक्ट्स से लेकर डायलॉग्स तक का मज़ाक उड़ रहा है. लंका दहन के वक्त हनुमान का डायलॉग है, 'कपड़ा तेरे बाप का. तेल तेरे बाप का. आग भी तेरे बाप की. तो जलेगी भी तेरे बाप की.' इसके अलावा भी फिल्म में कई डायलॉग्स हैं, जिस पर यूजर्स आपत्ति जता रहे हैं.