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हेल्दी लाइफ के लिए योग ( Yoga For Healthy Life )
स्वस्थ रहना भी आज के दौर में किसी चुनौती से कम नहीं. लेकिन नियमित योगासन से आप हेल्दी लाइफ जी सकते हैं. यूं तो स्वस्थ जीवन के लिए नियमित रूप से सारे आसन करने ज़रूरी हैं, लेकिन जो सबसे ज़रूरी हैं, वो यहां बताए जा रहे हैं. इनके अलावा सूर्य नमस्कार भी ज़रूर करें.
कपालभाति
* सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं.
* दोनों हाथों को घुटनों पर रखें.
* आंखों को बंद कर लें.
* सांस लेते हुए सीने को ऊपर की तरफ़ रखें और लगातार सांस छोड़ते जाएं.
* शुरुआत में धीमे-धीमे फिर तेज़ी से प्रश्वास करें यानी सांस छोड़ें.
* इस दौरान नाभि प्रदेश पर हल्का-सा धक्का-सा लगता है.
* आरम्भ में 1 बार में 30 से 40 स्ट्रोक करें.
* धीरे-धीरे अभ्यास द्वारा 100 या अधिक स्ट्रोक भी किए जा सकते हैं. क्षमतानुसार बढ़ाएं.
* माइग्रेन, हाई बीपी वाले धीमे-धीमे करें एवं प्रेग्नेन्ट महिलाएं न करें.
अनुलोम-विलोम
* सुखासन में बैठ जाएं.
* अनामिका और कनिष्ठा (छोटी अंगुली) से बाईं नाक को बंद करें. दाईं नाक से सांस लें.
* अब अंगूठे से दाहिनी नाक बंद करें. बाईं नाक से सांस निकाल दें. कुछ क्षण रुकें.
* बाईं नाक से सांस लें और फिर बाईं नाक बंद करें.
* दाहिनी नाक से अंगूठा हटाएं और सांस छोड़ें.
* यह एक साइकल है. 5-10 साइकल से शुरुआत करें और धीरे-धीरे नंबर बढ़ाएं.
शवासन
* पीठ के बल लेट जाएं. दोनों पैरों के बीच लगभग 1 फीट का फ़ासला रखें. कमर व हाथों के बीच 6 इंच के क़रीब फ़ासला रखें. हथेलियां ऊपर की तरफ़ खुली हुई हों.
* पैरों के पंजों की तरफ़ से शरीर को धीरे-धीरे ढीला छोड़ते जाएं. पूरे शरीर को पूरी तरह से शिथिल छोड़ दें. मन शांत रखें.
* शवासन के तुरंत बाद स्नान न करें.
त्रिकोणासन
* अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
* दोनों पैरों के बीच 3-3.5 फीट का फासला रखें.
* दाहिना पैर 90 डिग्री दाहिनी तरफ़ और बायां पैर 30-40 डिग्री दाहिनी तरफ़ मोड़ें.
* सांस लेते हुए अपने हाथों को कंधे के समानांतर लाएं.
* सांस छोड़ते हुए दाईं तरफ़ कमर से झुकें.
* दायां हाथ नीचे और बाएं हाथ को ऊपर की तरफ़ ले जाएं. चित्रानुसार.
* यही क्रिया दूसरे हाथ से करें.
* 5-5 राउंड्स तक, प्रत्येक अवस्था में 30 सेकंड्स तक रुक सकते हैं.
अन्य लाभः कमर, गर्दन, कंधे एवं पैरों को स्ट्रॉन्ग बनाता है और पैरों की विकृति को ठीक करता है.
सावधानियां
प्राणायाम करने के पहले निम्न सावधानियां बरतें:
1. प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए.
2. प्राणायाम सबके लिए है.
3. भस्त्रिका और कपालभाति सब कर सकते हैं, लेकिन हृदय रोगी, गर्भवती स्त्री और पीरियड्स के दौरान न करें.
4. पूरी प्रसन्नता और एकाग्रता से प्राणायाम करें.
5. प्राणायाम करते समय आंखें बंद रखें और अपने आप को विचारों से मुक्त रखने का प्रयास करें.
6. पूरा ध्यान प्राणों की होनेवाली गति पर रखें.
7. अधिक शारीरिक दर्द या बेचैनी होने पर प्राणायाम न करें.
8. बैठकर, रीढ़ को, गर्दन को और सिर को एक लाइन में रखकर प्राणायाम का अभ्यास अधिक लाभदायक होता है.
9. यदि आप बैठ नहीं सकते, तो पूरी सजगता से लेटे-लेटे, धीमे-धीमे अभ्यास जारी रखें.
10. कुछ तरह के प्राणायाम अपने शिक्षक या गुरु की उपस्थिति में ही करने चाहिए.
11. पीरियड्स के दौरान स़िर्फ अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उदगीथ प्राणायाम धीरे-धीरे कर सकते हैं. अन्य प्राणायाम न करें.
एसिडिटी में फ़ायदेमंद योगासन
असंतुलित खान-पान के चलते हमें पेट सबंधी कई समस्याओं का सामना अक्सर करना पड़ता है. अधिकतर लोग आजकल गैस व एसिडिटी की समस्या से पीड़ित रहते हैं. ऐसे में उन्हें ये योगासन ज़रूर करने चाहिए- पवनमुक्तासन, वज्रासन, सर्वांगासन, मारिच्य आसन, शलभासन व धनुरासन.
सचिन तेंदुलकर, क्रिकेटर
योग गुरु स्वर्गीय बी. के. एस. अय्यंगर को याद करते हुए सचिन तेंदुलकर ने कहा था, "मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा, क्योंकि उन्होंने योग के जो अद्भुत आसन मुझे सिखाए, उनसे मुझे अपने पूरे करियर में बहुत मदद मिली है. तक़रीबन दस वर्ष पूर्व मेरे पैर में दर्द हुआ था, जिसके लिए मुझे सर्जरी की सलाह दी गई थी, लेकिन मैं सर्जरी को लेकर भी इतना कॉन्फिडेंट नहीं था. उसी समय ज़हीर ख़ान ने मुझे गुरुजी के पास जाने की सलाह दी और उनकी सकारात्मकता व मार्गदर्शन ने मुझे रिकवर होने में इस हद तक मदद की कि सर्जरी की ज़रूरत ही नहीं पड़ी.''