विवादित मुद्दों पर बनी फिल्में हमेशा ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं, फिर चाहे वो रेप, सेक्स स्कैंडल, मर्डर, क्राइम जैसे कॉन्ट्रोवर्सी से जुड़े नेता, अभिनेता या बाबा ही क्यों ना हो. इसी फ़ेहरिस्त में मनोज बाजपेयी अभिनीत 'सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है' फिल्म की चर्चा हर तरफ़ हो रही है. इसकी सफलता से ख़ुद एक्टर मनोज भी आश्चर्यचकित हैं, पर उनका यह भी कहना है कि दो साल की अथक मेहनत और पूरी टीम की कोशिशों का नतीज़ा है इसकी कामयाबी.
ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर यह फिल्म रिलीज़ के साथ ही सुर्ख़ियों में बनी हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आसाराम बापू के विवादित केस पर आधारित है यह कोर्ट ड्रामा मूवी. मनोज के साथ सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ और आद्रिजा सिन्हा का सशक्त अभिनय क़ाबिल-ए-तारीफ़ है.
16 साल की पीड़िता लड़की द्वारा आश्रम के बाबा पर यौन उत्पीड़न का आरोप-प्रत्यारोप की चिंगारी इस कदर फैलती है कि आरोपी को सलाखों के पीछे डालकर ही दम लेती है. इंसाफ़ की इस लड़ाई में उसका साथ देते हैं एक आम वकील पीसी सोलंकी, जो इस केस को जीतकर ख़ास बन जाते हैं. मनोज बाजपेयी ने उसी पीसी सोलंकी के क़िरदार को बख़ूबी जिया है. शर्मिला टैगोर के साथ उनकी 'गुलमोहर' भी काफ़ी चर्चित रही थी. फिल्म के अन्य सभी कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.
हाई कोर्ट के इस वकील ने अकेले अपने बलबूते पॉक्सो अधिनियम के तहत एक नाबालिग के रेप केस में जीत हासिल की थी. साल २०१३ में शाहजहांपुर की बेटी के साथ दुष्कर्म के आरोप में आसाराम बापू के ख़िलाफ़ दिल्ली में केस दर्ज़ हुआ था. सच्ची घटना पर आधारित यह मुक़दमा उस दौर में भी काफ़ी चर्चा में रहा और आज इस पर बनी फिल्म भी उतनी ही सुर्ख़ियों में है. भानुशाली स्टूडियोज लिमिटेड, जी स्टूडियो और सुपर्ण एस. वर्मा द्वारा निर्मित 'सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है' को दर्शकों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. सोनू निगम द्वारा गाया बंदेया... गाना ख़ूबसूरत है.
कहते हैं स्क्रिप्ट अच्छी, निर्देशक क़ाबिल और कलाकार दमदार हो, तो फिल्म को हिट होने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं कि विवादित और स्कैंडल से जुड़ी कहानियों, सच्ची घटनाओं में भी दर्शकों की दिलचस्पी कुछ कम नहीं रहती. अगर आपने उसे सही तरीक़े से प्रस्तुत कर दिया, तो ऑडियंस उस तरफ़ रुख करते ही हैं.
रेटिंग: 3 ***
फिल्म के निर्माता को पीसी सोलंकी का
लीगल नोटिस...
इस फिल्म के असली हीरो एडवोकेट पीसी सोलंकी ने 'सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है' के निर्माता पर केस कर दिया है. उनका कहना है कि साल २०२१ में उनसे उनके बायोपिक पर फिल्म बनाने के लिए एग्रीमेंट हुआ था. लेकिन निर्माता ने बिना उनकी जानकारी के इसके राइट्स किसी और को दे दिए. जिसने इसे ख़रीदा उसने भी उनसे ना संपर्क किया और न ही उन्हें फिल्म के स्क्रिप्ट ही दिखाए. इस मुद्दे को सोलंकी ने कोर्ट में ले जाते हुए फिल्म के निर्माता और प्रोडक्शन हाउस को लीगल नोटिस भेजा है. उनका कहना है कि फिल्म मेकर्स ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का हनन किया है. पीसी ने फिल्म से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ ट्रायल कोर्ट में केस फाइल कर दिया है.
जब फिल्म में दिखाई गई पीड़िता के पिता से भी अनुमति लेने के बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि यदि उनके ख़िलाफ़ कुछ आपत्तिजनक फिल्म में नहीं दिखाया गया है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
जब मनोज बाजपेयी की पत्नी ने उन्हें डांटा था...
'सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है' फिल्म के प्रमोशन के समय मनोज बाजपेयी ने एक दिलचस्प क़िस्सा सुनाया था कि कैसे उनकी पत्नी शबाना रज़ा की एक डांट ने उन्हें फिल्म सिलेक्ट करने को लेकर अलर्ट कर दिया. दरअसल मनोज की पत्नी शबाना उनकी फिल्म थिएटर में देखने गई थीं. जब वह फिल्म देख रही थीं, तब पीछे कुछ लड़कियां मनोज का मज़ाक उड़ा रही थीं, जो उन्हें बहुत बुरा लगा. बाद में उन्होंने मनोज को ख़ूब फटकार लगाई और कहा कि सिर्फ़ पैसों के लिए फिल्म न करें, बल्कि अपनी भूमिकाओं पर अधिक ध्यान दें.
पत्नी की यह सीख जो डांट के साथ मिली थी उन्होंने हमेशा याद रखी. अब जब भी कोई फिल्म का स्क्रिप्ट सुनते या पढ़ते, फिल्म के लिए हामी भरते हैं, तो पत्नी की वह बात ज़रूर ध्यान में रखते हैं.
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