पिंक कलर अधिकतर महिलाओं का फेवरेट कलर होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिंक टैक्स भी होता है, जो केवल महिलाओं को ही चुकाना पड़ता है. लेकिन हममें से अधिकतर महिलाओं को इस पिंक टैक्स के बारे में मालूम नहीं होता. दिलचस्प बात यह है कि महिलाएं इस टैक्स का भुगतान भी करती हैं. मार्केट की नीतियों के अनुसार महिलाओं का पिंक टैक्स से बच पाना बहुत मुश्किल है.
वैसे तो आपने कई टैक्स, जैसे- इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स और सर्विस टैक्स के बारे में बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आप पिंक टैक्स के बारे में जानते हैं. जी हां पिंक टैक्स. ये एक ऐसा टैक्स है, जो सिर्फ महिलाओं को चुकाना पड़ता है. चलिए जानते हैं पिंक टैक्स के बारे में विस्तार से.
क्या है पिंक टैक्स?
पिंक टैक्स अन्य टैक्सेस की अपेक्षा अलग होता है, जो कि लिंग के अनुसार वसूल किया जाता है यानी जिसका भुगतान केवल महिलाएं ही करती हैं. पिंक टैक्स वो टैक्स होता है- जब कोई प्रोडक्ट महिलाओं के लिए बनाया या तैयार किया जाता है, तो महिलाओं को अपने उस सामान और सर्विस के लिए टैक्स देना होता है. महिलाओं के लिए ख़ासतौर से बनाए गए प्रोडक्टस, जैसे- परफ्यूम, बैग, कपड़े, पेन, सैंडल्स, जूते आदि. इन्हें बनाने वाली कंपनियां महिलाओं की इन सभी वस्तुओं पर इनकी क़ीमत से थोड़ी अधिक राशि वसूल करती हैं, जो पिंक टैक्स के रूप में होती है. महिलाओं के प्रोडक्ट पर ये टैक्स आम वस्तु की तुलना में 7 फीसदी ज़्यादा होता है, जबकि पर्सनल केयर से जुड़े प्रोडक्ट्स पर ये टैक्स करीबन 13% ज़्यादा होता है.
कब हुई पिंक टैक्स की शुरुआत?
पिंक टैक्स की शुरुआत 1990 में कैलिफोर्निया से हुई थी. कैलिफोर्निया के असेंबली ऑफिस ऑफ रिसर्च के अनुसार, कैलिफोर्निया के 64% स्टोर में ज़बर्दस्त धांधलेबाजी चल रही थी. कपड़ों की धुलाई और प्रेस के लिए वे लोग महिलाओं और पुरुषों से अलग-अलग दाम लेते थे. जब महिलाओं को इस बात का पता चला तो उन्होंने मिलकर इसके खिलाफ आवाज़ उठाई. स्टोर्स की लॉन्ड्रीज़ के खिलाफ जांच हुई और जांच में पता चला कि पूरे मार्केट में ये जाल फैला हुआ है. इस बात पर खूब बवाल मचा. बाद में नया अपडेट आया कि साल 2023 के आरंभ से वहां किसी भी प्रोडक्ट पर केवल लिंग के आधार पर अतिरिक्त क़ीमत वसूली नहीं की जाएगी. कैलिफोर्निया से पहले वर्ष 2020 में न्यूयॉर्क ने भी ये नियम बनाया कि किसी भी वस्तु की जेंडर के आधार पर एक्स्ट्रा कीमत वसूल नहीं की जाएगी. इसे ‘पिंक टैक्स रिपील एक्ट’ कहा जाता है.
इस बात की जांच मेयर करेंगे कि किसी भी सामान को बनाने में कितना समय लगता है और इस सामान का कितना उपयोग हुआ. उदाहरण के तौर पर- यदि किसी क्रीम या लोशन का प्रोडक्शन महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए किया जा रहा है और उसमें एक जैसी चीज़ें इस्तेमाल हुई हैं और उसे बनाने में उतना ही समय लगा है, तो उस क्रीम और लोशन की क़ीमत भी समान होनी चाहिए. बेचते समय अगर क़ीमत में अंतर होगा तो जुर्माना देना पड़ेगा.
कंपनियां कैसे वसूल करती हैं पिंक टैक्स?
बाज़ार में अनेक प्रोडक्ट्स ऐसे हैं, जो केवल महिलाओं के लिए बनाए जाते हैं- स्किन केयर और मेकअप प्रोडक्ट्स, नेल पॉलिश, आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी, बॉडी वॉश, फेस क्रीम, सेनिटरी पैड आदि. इन सभी प्रोडक्ट्स की कीमत बहुत अधिक होती है. फिर भी महिलाओं को प्रोडक्शन कॉस्ट और मार्केटिंग कॉस्ट मिलाने के बाद भी करीब तीन गुना ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ती है.
इसके अलावा कुछ प्रोडक्ट्स ऐसे होते हैं जो पुरुष और महिलाएं दोनों यूज़ करते हैं- जैसे परफ्यूम, पेन, बैग, हेयर ऑयल, रेज़र और कपड़े आदि. ये प्रोडक्ट्स एक ही कंपनी के होने के बावजूद इनकी क़ीमत अलग-अलग होती है. इनके लिए भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक क़ीमत चुकानी पड़ती है. उदाहरण- पुरुष और महिलाएं दोनों ही बाल कटवाते हैं. लेकिन जब पुरुष बाल कटवाते हैं, तो उन्हें हेयर कट के लिए कम क़ीमत देनी होती है, जबकि महिलाओं के हेयर कट का ख़र्चा अधिक होता है.
इसी तरह से कंपनियां अपनी महिला उपभोक्ताओं से पिंक टैक्स के रूप में अधिक क़ीमत वसूल करती हैं, जो दिखाई तो नहीं देता, पर उसका भुगतान महिलाओं को करना ही पड़ता है.
सिर्फ़ महिलाओं को करना पड़ता है पिंक टैक्स का भुगतान
बाज़ार की नीतियों के अनुसार महिलाएं किसी भी वस्तु की क़ीमत के बारे में संवेदनशील होती हैं. सामान को ख़रीदने से पहले उसकी क़ीमत के बारे में बहुत अधिक सोचती हैं. उसके अलावा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बारगेनिंग या मोलभाव करने का गुण होता है और वे अपने इस टैलेंट का उपयोग भी करती हैं. कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो अगर उन्हें कोई वस्तु पसंद आती है, तो वे उसे महंगा होने के बाद भी ख़रीद लेती हैं. ये जानते हुए कि वस्तु की क़ीमत से ज़्यादा का भुगतान कर रही हैं. मार्केट एक्सपर्ट्स इसी स्ट्रेटजी के साथ ऐसी महिलाओं से पिंक टैक्स वसूल करते हैं.
- पूनम नागेंद्र शर्मा
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