अक्सर ऐसा होता है कि हम दिन-रात काम करते-करते थक जाते हैं और तब हमें आराम की ज़रूरत महसूस होती है. ठीक इसी तरहहमारा मन भी तो दिन-रात भागता रहता है… न जाने कहां-कहां घूमता रहता है… ऐसे में मन भी थक जाता है, लेकिन क्या हम अपने मनकी थकान को दूर करने के लिए कुछ करते हैं? शायद नहीं… दरअसल हम अपने मन की ख़ुशियां बाहर ढूंढ़ते है और बस अपने मन में हीनहीं झांकते. जिस वजह से ग़ुस्सा, ऐंज़ायटी, डिप्रेशन जैसे भाव पनपने लगते हैं और हमारा मन बीमार होने लगता है. इसलिए बेहदज़रूरी है कि अपनी रोज़मर्रा और बिज़ी लाइफ़स्टाइल के बीच एक ब्रेक लें और वो ब्रेक होना चाहिए स्पिरिचुअल ब्रेक!
क्या, कैसे करें आइए जानते हैं…
- पहले तो ये जान लें कि ‘टाइम नहीं है’ वाला एटिट्यूड निकाल दें, क्योंकि टाइम किसी के पास नहीं होता, वो निकालना पड़ता है.
- आप ये सोचें कि आप अपने लिए, सेल्फ़ केयर के लिए वक्त निकाल रहे हैं.
- जीवन में ही नहीं अपने अंतर्मन की शांति के लिए भी यह ज़रूरी है.
- खुद को महत्व देने के महत्व को समझें.
- अपनी रूटीन लाइफ़ से ब्रेक लें और इस बार ब्रेक लेने के लिए मूवी या फिर शॉपिंग की बजाय स्पिरिचुअल ब्रेक के बारे में सोचें.
- किसी महंगे होटेल में जाने की बजाय आप पहाड़ों की सैर पर जा सकते हैं.
- नदियों के बहते पानी को देख सकते हैं.
- आप अपने गांव भी जाकर खेतों में घूम सकते हैं.
- अपना रूटीन बदलें और सुबह ध्यान-साधना में वक्त बिताएं.
- थोड़ा प्राणायाम करें. खुली हवा में खुलकर सांस लें.
- कोशिश करें कि किसी ऐसी जगह आप जाएं जो नेचर के क़रीब हो. फूलों को देखना, उगते सूरज को देखना, ढलती सांझ केसाथ वक्त बिताना आपको भीतर से रिफ़्रेश कर देगा.
- यहां अपने शहर को पीछे छोड़कर आना. वहां की फ़िक्र और तमाम चिंताओं को अपने साथ न ले जाना.
- चाहें तो अपने पार्टनर और बच्चों को भी साथ ले जाएं और वहां घर-बार व ऑफ़िस की बातें न करें.
- अपने जिस्म से अपने मन तक का रास्ता तय करने के लिए ज़रूरी नहीं कि आपको संन्यासी बनना होगा, एक सामान्य ज़िंदगीजीते हुए भी आप यह कर सकते हैं, बस ज़रूरत है इसे समझने की.
- अपना मॉर्निंग रूटीन बदलें और नया हेल्दी रूटीन अपनाएं.
- खाने में भी कोशिश करें कि व्यसनों से इस दौरान दूर रहें.
- हेल्दी-शाकाहारी भोजन करें.
- इस स्पिरिचुअल ब्रेक के दौरान आप किसी आश्रम में जा सकते हैं, धार्मिक, पौराणिक मंदिरों में भी जा सकते हैं. अपनी संस्कृतिव उस मंदिर से जुड़ी कारीगरी, नक़्काशी व उसके निर्माण से जुड़ी जानकरियां हासिल कर सकते हैं.
- आप साधु-संतों से कुछ वार्तालाप कर सकते हैं, उन्हें भोजन करा सकते हैं.
- इन सबसे आपका मन बेहद शांत व प्रसन्न होगा और लाइफ़ में एक पॉज़िटिविटी आएगी.
- इस तरह के स्पिरिचुअल ब्रेक आपमें एक अलग सी ऊर्जा भर देते हैं और जीवन के प्रति आपका नज़रिया भी बदलते हैं.
- ये एक हीलिंग प्रॉसेस है जो मन को हील करता है.
- आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी ऐसे ब्रेक ले सकते हैं, जैसे- हफ़्ते में एक दिन पास के ही किसी मंदिर में जाकर शांति सेबैठना, छुट्टी के दिन किसी अनाथालय में जाकर बच्चों संग वक्त बिताना और उनके लिए खाना ले जाना या आप किसी वृद्धाश्रममें भी जा सकते हैं.
- इसके अलावा रोज़ एक अच्छा कोट पढ़ें. घर पर एक बोर्ड लगाएं और रोज़ उस पर एक पॉज़िटिव बात लिखें. सुबह उसे पढ़करदिन भर उसे बीच-बीच में याद करें इससे आपको मोटिवेशन मिलेगा.
- शायद आपको अंदाज़ा भी नहीं होगा कि इस तरह के स्पिरिचुअल ब्रेक्स न सिर्फ़ आपके मन को राहत देते हैं बल्कि आपकीनकारात्मक ऊर्जा को भी बाहर फेंकर आपके शरीर को भी स्वस्थ बनाते हैं.
- आपका ग़ुस्सा कम होने लगता है, आपकी सोच ज़्यादा सकारात्मक होने लगती है, अपने काम को और रिश्तों को बेहतर तरीक़े सेआप समझने लगते हैं और सबसे ऊपर आप खुद को, अपनी क्षमताओं को समझ पाते हैं.
- लोग अक्सर सारी ज़िंदगी ऐसे ही गंवा देते हैं और फिर यह सोचकर तीर्थ यात्रा पर निकल जाते हैं कि पाप धुल जाएंगे और अबजीवन के इस मोड़ पर यही करना चाहिए, लेकिन ऐसा करने से बेहतर तो यह है कि आप अपने मन को ही तीर्थ बनाएं.
- बीच-बीच में अपने मन का शुद्धीकरण करें. ऐसे स्पिरिचुअल ब्रेक्स लेकर. यह ब्रेक एक हफ़्ते का भी हो सकता है और एक दिनका भी. यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आपको अपने मन को कैसे हील करना है.
- बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए तो हम बहुत कुछ करते हैं, ताकि हम न सिर्फ़ हेल्दी रहें बल्कि हमारी स्किन और ब्यूटी भी बेहतरहो, लेकिन मन को डिटॉक्स करने के बारे में हम सोचते ही नहीं. मन में न जाने कितने ज़हर भरकर जीते रहते हैं और इन ज़हर कोपालते-पोसते भी हैं. ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, चिंता, चालाकी, छल-कपट से हम अपने मन को ज़हरीला और अस्वस्थ कर लेते हैं औरस्पिरिचुअल ब्रेक्स हमें इन टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करते हैं.
- भोलू शर्मा