हाल ही में हुए शोध से ये बात सामने आई है कि हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से दिल को नुक़सान पहुंच सकता है. इसलिए दिल की अच्छी सेहत और फिटनेस केलिए मॉडरेट यानी संतुलन बनाकर ही वर्कआउट करना चाहिए.
हाई इंटेंसिटी वर्कआउट (बहुत अधिक वर्कआउट करना) से कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस बीमारी के होने का ख़तरा बढ़ता है. इस बीमारी में दिल की धमनियों के ऊपर और अंदर फैट और बैड कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है, जिसकी वजह से दिल की धड़कन का तेज़ होना, छाती में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर और एन्ज़ाइटी जैसी समस्याएं होने की संभावना बढ़ती है.
हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर को हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने की आवश्यकता नहीं है और शरीर भी इसके लिए तैयार नहीं होता है. हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से दिल पर ही नहीं, शरीर के बाकी अंगों पर भी दबाव पड़ता है और उसका नतीजा हानिकारक हो सकता है.
इसलिए स्वस्थ और फिट रहने के लिए लाइट और हैवी वर्कआउट ज़रूर करें, लेकिन किसी फिटनेस ट्रेनर की देखरेख में. पर उससे पहले अपने डॉक्टर से एक बार सलाह ज़रूर ले लें.
- देवांश शर्मा
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