कह दिया सब नई बात को बहाना कोई बाकी रहे
चाहती हूं कि मेरी चाहतों में चाहना तेरा बाकी रहे
लिखा था एक दिन वो नाम समय की रेत पर तुमने
यूं ही हर जनम उस रेत में इश्क़ की नमी बाकी रहे
वैसे तो लिख ही देती हूं मन का सारा कुछ देखा सुना
शब्दों की हर एक कशिश में कविता कोई बाकी रहे
सुनो लौटकर आते रहेंगे हम यूं ही ज़मीं पे बार बार
हमारे बाद भी क़िस्सों में कोई अफ़साना बाकी रहे
हां जैसे लौट आती हैं बारिशों में बारिशें धीरे धीरे
मुरझाए हुए फूलों में बीज सी एक ज़िंदगी बाकी रहे
यूं कब तक न हम साझेगें एक दूजे के एहसासों को
कुछ मेरा चुप तू पहचानें कुछ बातें तेरी बाकी रहे
ज़िंदगी की जद्दोज़ेहद में अब तक यूं ही मशगूल थे
तेरे क़िस्से मेरे क़िस्से थोड़ा सा मुस्कुराना बाकी रहे
सबको सब कुछ ही मिले यहां ये ज़रूरी तो नहीं
हर ज़िंदगी में ज़िंदगी सी एक ज़िंदगी बाकी रहे
लौटकर जाता सूरज रोज़ थककर सांझ के आगोश में
'मनसी' कब तक रस्ता देखे तेरा लौट आना बाकी रहे…
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