पानी-पानी समां है, बूंदों सा बिखर जाना
एक तेरा छा जाना, एक मेरा बरस जाना
बस एक यही तो मौसम है आजकल
एक तेरा यूं आना, एक मेरा लौट आना
क्या कहूं किस तरह ये कविता लिखी
एक मेरा चुप रहना, तेरा कुछ न कहना
ज़रूर कुछ तो हवाओं को भी है ख़बर
एक तेरा यूं देखना, एक मेरा मुस्कुराना
न जानें किस मोड़ पर यूं मिले हम तुम
एक तेरा रुकना, एक मेरा ठहर जाना
सुन ज़िंदगी, चलेगा ऐसे ये कब तलक
एक तेरा लिखना, एक मेरा पढ़ते जाना
'मनसी' क्या नाम दूं इस कशिश को मैं
तेरा नशे-ए-मन, एक मेरा बहक जाना…
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