पार्टनर, साथी, हमसफ़र… हमराज़… अपने एक ही रिश्ते में कितना कुछ तलाश लेते हैं हम. शादी का रिश्ता होता ही है ऐसा औरइसीलिए इसे जन्म-जन्मांतर का रिश्ता कहा जाता है. अपने पार्टनर के साथ हम सुख-दुःख और उतार-चढ़ाव देखते हैं लेकिन जब हमअपने ही पार्टनर को अपना प्रतिस्पर्धी समझने लगते हैं तब रिश्ते में दरार की आशंका पैदा होने लगती है. क्या आप भी अपने पार्टनर कोअपना कॉम्पेटिटर समझते हैं? अगर ऐसा है तो संभल जाइए और अपने रिश्ते को मज़बूत बनाइए.
- अक्सर देखा गया है कि लोग अपने साथी को अपने ही रंग में ढालने की कोशिश में जुट जाते हैं.
- वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि वो परफेक्ट और बेस्ट हैं.
- अधिकतर ऐसा होता है कि अगर आपका साथी आपके किसी काम में मदद करवाता है तो दूसरा पार्टनर बजाय उसकी सराहनाके उसमें मीन-मेख निकालने लगता है.
- …अरे ये क्या किया तुमने, तुमसे नहीं हो पाएगा… तुम मदद न ही करो तो अच्छा है… तुम मेरी तरह नहीं कर सकते इस काम को… तुमसे अच्छा तो मैं ही कर लेता/लेती हूं… क्या आप ऐसे जुमले अक्सर इस्तेमाल करते हैं?
- आपके दोस्त या रिश्तेदार अगर आपके पार्टनर के गुणों को सराहते हैं तो आपको ख़ुशी होती है या ईर्ष्या?
- आपके पार्टनर की तरक़्क़ी से आपके अभिमान को तो ठेस नहीं पहुंचती?
- क्या आपके मन में ऐसा ख़याल अक्सर पनपता है कि जिसे देखो मेरी पत्नी/पति की ही तारीफ़ में लगा रहता है जैसे मुझमें तोकोई गुण है ही नहीं…
- इस तरह के तमाम नकारात्मक ख़याल ही मन में ईर्ष्या को जन्म देते हैं और आपको भी ईगोइस्ट बनाते चले जाते हैं, ऐसे में आपये समझ ही नहीं पाते कि आप जिससे ईर्ष्या करने जा रहे हैं वो आपका साथी है, न कि प्रतिस्पर्धी.
- कॉम्पेटिशन करना बुरी बात नहीं, लेकिन वो कॉम्पेटिशन हेल्दी होना ज़रूरी है.
- कोशिश करें कि अपने मन में नकारात्मक विचारों को न आने दें और अपने हमसफ़र को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा समझें न किअपना प्रतियोगी.
- दरअसल होता ये है कि साथ रहते-रहते कब ये छोटे-छोटे मीन-मेख निकालने की आदत आपके मन में प्रतियोगिता की भावना भरदेती है इसका एहसास ही नहीं हो पाता.
- पति-पत्नी दोनों में ही ये भावना घर करने लगती है कि मैं अपने पार्टनर से बेहतर व ज़्यादा गुणी हूं.
- ऐसे में छींटाकशी से शुरू होते होते कब वो ताने देने लगते हैं और कब वो साथी से एक-दूसरे के कॉम्पेटिटर बनने लगते हैं उनकोभी पता नहीं चलता.
- इसीलिए बेहतर होगा कि आप अपने रिश्ते की गंभीरता को समझें और अपने रिश्ते को भी गंभीरता से लें और उसे प्यार वअपनेपन की भावना से सींचें.
- इसके लिए सबसे पहले ये बात मन से निकाल दें कि मैं आपने पार्टनर से ज़्यादा स्मार्ट और इंटेलिजेंट हूं.
- आप दोनों ही अपने-अपने स्तर पर बेस्ट हैं और एक-दूसरे का संबल व सहारा हैं.
- ज़ाहिर है जो एक के लिए अच्छा होगा वो उसी के दूसरे व पूरे परिवार की भलाई होगी.
- दूसरों के सामने एक-दूसरे को नीचा दिखाने से बचें और अपने साथी के गुणों को सराहें.
- सबको ये बताएं कि आपको बेस्ट पार्टनर मिला है और आप लकी हैं.
- अपने पार्टनर को भी अपना प्यार जताएं और उसके गुणों को सच्चे दिल से सराहें.
- उसे आगे बढ़ाएं, न कि उसकी कमियों को गिनाएं.
- अक्सर कपल एक-दूसरे को बेहतर साबित करने के लिए अपने पार्टनर की कमज़ोरियों को गिनाने लगता है… यहां तक कि उनकेरूप-रंग व क़द-काठी पर भी ताने देने से नहीं चूकता.
- पत्नियों को अक्सर वाद-विवाद या झगड़े में कहते सुना जाता है कि मुझे तो डॉक्टर और तुमसे ज़्यादा हैंडसम लड़के मिल रहे थेपर नसीब देखो… वहीं पति भी पत्नियों के फ़िगर व रंग को लेकर कहते हैं कि वर्माजी की लकड़ी का रिश्ता आया था जो तुमसेज़्यादा गोरी और सुंदर थी लेकिन मां को पता नहीं तुममें क्या दिखा… ये भले ही छोटी-छोटी बातें हैं लेकिन दिल पर बड़ी चोटकरती हैं. इनसे बचें.
- कई बार ऐसा भी देखा गया है कि अगर पत्नी को प्रमोशन मिलता है तो पति ताने देने लगते हैं कि बॉस तुम पर कुछ ज़्यादा हीमेहरबान है… या वो अपने ईगो को संतुष्ट करने के लिए पत्नी के बनाए खाने में या उनके किसी न किसी काम में कमियां निकालनेलगते हैं.
वक्त रहते सम्भालने अपने रिश्ते को…
- सबसे पहले तो इस बात को समझ लें कि आपकी मुसीबत में या बुरे वक्त में जब सब साथ छोड़ देंगे तब सिर्फ़ आप दोनों हीएक-दूसरे के साथ और एक-दूजे का सहारा रहोगे.
- इसलिए आपके पार्टनर की तरक़्क़ी में ही आपकी भी तरक़्क़ी है… उसकी तारीफ़ में भी आपकी ही तारीफ़ है.
- पार्टनर को नज़रअन्दाज़ न करें, उनका व उनकी सलाह का सम्मान करें.
- दूसरों से तुलना न करें और न ही दूसरों की बातों में आएं.
- लोगों के सामने अपने पार्टनर की रेस्पेक्ट बनाए रखना आपकी ज़िम्मेदारी है.
- आप दोनों जीवनसाथी हैं, प्रतिस्पर्धी नहीं.
- आपको ज़िंदगी एक साथ और एक-दूसरे के सहयोग से बितानी है, न कि एक-दूसरे के विरोध में.
- आप आमने-सामने नहीं, साथ-साथ हैं.
- प्यार के रिश्ते में प्यार बढ़ाएं.
- अगर पार्टनर आपकी किसी कमज़ोरीया कमी को ठीक करने को कहता भी है तो इस दिशा के प्रयास करके उन्हें विश्वास दिलाएंकि उनकी सलाह को आपने ग़लत तरीक़े से नहीं लिया.
- इसी तरह एक-दूजे को हेल्दी तरीक़े से चुनौती दें, चाहे ज़्यादा सेविंग्स करने की बात हो या ज़्यादा फ़िट रहने की.
- शर्त लगाएं कि इस महीने आप पार्टनर से ज़्यादा सेव करके दिखाएंगे या आप ज़्यादा व जल्दी फ़िट होकर दिखाएंगे…
- इसी तरह अन्य कामों में भी फ़न ऐड करें इससे आपका रिश्ता पॉज़िटिव दिशा में बूस्ट होकर आगे बढ़ेगा और नकारात्मकभावनाएं दूर होंगी.
- एक बात का ध्यान रखें कि मन-मुटाव और वाद-विवाद हर रिश्ते में होता है लेकिन ये वहीं होता है जहां प्यार होता है.
- किसी भी छोटी सी बात का बतंगड़ बनाने से बचें. न ही अपने मन में उसे घर करने दें और न ही पार्टनर के प्रति बदले की भावनारखें.
- कुछ बातों को नज़र अन्दाज़ करना ही रिश्ते के लिए बेहतर होता है.. कुछ चीज़ों को बस जाने देना ही ठीक होता है, इसलिए आपभी ऐसी बातों को जाने दें.
- राजा शर्मा
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