उत्सव अपने आप में उत्साह, उमंग और जोश पैदा करनेवाला शब्द है, वहीं रिश्ते कई ताने-बानो में बुने होते हैं, जिनमें ज़िम्मेदारी होती है, प्यार, विश्वास के साथ-साथ विवाद और कुछ तनाव भी होते हैं… लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्यों हम रिश्तों को उत्सव की तरह हीउत्साह, उमंग और जोश से नहीं जीते? क्यों हम उन्हें सहजता से नहीं जीते…? क्यों हम उनमें इतनी उलझनें पैदा कर लेते हैं? तो चलिएत्योहारों के इस मौसम में हम अपने रिश्तों का भी जश्न मनाएं… उन्हें किसी उत्सव की तरह जीएं ताकि उनमें भी हमेशा उत्साह, जोश औरगर्माहट बनी रहे…
- जिस तरह हम त्योहारों के आने पर मूड में आ जाते हैं और एक्स्ट्रा एफ़र्ट लेकर उसको और भी बेहतर व मज़ेदार बनाने में जुट जातेहैं बस ऐसे ही अपने रिश्तों के लिए भी करें.
- रिश्तों में जोश कम न होने दें, एक्स्ट्रा एफ़र्ट भी ज़रूर लें.
- रोज़ सुबह एक नई और पॉज़िटिव सोच के साथ उठें कि आज अपनों के लिए क्या कुछ ऐसा स्पेशल किया जाए कि वो ख़ुश होजाएं.
- स्पेशल का ये मतलब बिल्कुल नहीं कि आपको पैसे ही खर्च करने हैं या गिफ़्ट देना है, बल्कि कोई एक कॉम्प्लिमेंट ये कामगिफ़्ट्स से बेहतर कर सकता है.
- रिश्तों को महसूस करें, उन्हें बोझ न समझें.
- रिश्तों में उलझनें तब पैदा होती हैं जब हम अपनों के साथ रहते-रहते अपनों को अपना सहयोगी या साथी न मानकर प्रतिद्वंदीसमझने की गलती करते हैं. चाहे सास-बहू-ननद हों या फिर पति-पत्नी… आपका आपसी टकराव क्यों और किन बातों को लेकरहोता है, सोचा है कभी? अगर नहीं, तो अब सोचें और उन्हें सुलझाएं.
- रिश्तों में मिठास घोलने की कोशिश करें और उनको उसी शिद्दत से जीने व निभाने का प्रयास करें जैसा आप किसी ख़ास उत्सवके आने पर करते हैं.
- सरल रहें, सहजता से जीएं और रिश्तों में झूठ-ईर्ष्या व चीट करने से बचें.
- भरोसा करें और भरोसा जीतें भी.
- रोज़ाना जोश के साथ अपनों के लिए सजें-संवरें, फ़िट रहें और रिश्तों को भी फ़िट रखें.
- जिस तरह आप या हम सभी त्योहारों के दिनों में आपस में ये वादा करते हैं कि ख़ुशी के मौक़े पर हम न तो लड़ेंगे-झगड़ेंगे और नही ग़ुस्सा या नाराज़ होंगे, ठीक इसी तरह आप रोज़ ये वादा करें कि आज से हर दिन यही कोशिश होगी कि विवाद कम होते जाएंऔर ख़ुशियां डबल.
- एक टाइम टेबल बनाएं और वीकेंड में हर किसी की बारी-बारी से ड्यूटी लगाएं कि वो सभी घरवालों के लिए कुछ ख़ास करेगा, जैसे- डिनर प्लान या मूवी या फिर अपने हाथों से कुछ स्पेशल बनाकर खिलाएगा.
- छुट्टी वाले दिन सब मिल-बैठकर पुरानी बातें करें, हंसी-मज़ाक़-मस्ती करें.
- रोज़ एक मील सब लोग साथ मिलकर एंजॉय करें, जैसाकि हम फ़ेस्टिवल में करते हैं- सब मिल-जुलकर एक साथ खाना खातेहैं, उसी तरह या तो ब्रेकफ़ास्ट या फिर डिनर रोज़ साथ करें और अपनी दिनचर्या बताएं, अपनी ख़ुशियां बताएं और अपनीसमस्याएं भी बांटें.
- एक-दूसरे से सलाह लें और सहयोग करें.
- जिस प्रकार उत्सव की तैयारी में पूरा परिवार एकजुट होकर घर के काम करता है और सहयोग देता है, बस इसी भावना को अपनेडेली रूटीन में भी शामिल करें. एकसाथ मिल-जुलकर काम करें, जिम्मेदारियां बांटें, जिससे एक-दो लोगों पर पूरा बोझ न पड़करसबका काम हल्का हो जाएगा.
- अगर किसी को किसी की कोई भी बात हर्ट करे तो उसे मन में पालकर बदला लेने की सोचने की बजाय उसका समाधान करें. यातो अकेले में बात करके ग़लतफ़हमी सुलझा लें या जब आप सब साथ बैठें तो बड़ों के सामने अपने मन का बोझ हल्का कर लें, उनकी राय लें.
- ज़िंदगी को बहुत ज़्यादा गंभीरता से न जीएं. हां, अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति ज़रूर गंभीरता बरतें लेकिन अपनी रोज़मर्रा कीज़िंदगी को तनावपूर्ण न बनाएं. कुछ बातें, कुछ चीजें जाने दें…
- कुछ चीजों के प्रति- चलता है, कोई नहीं… या फिर ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं… वाला रवैया अपनाकर विवादों को टालदें.
- अपना दिल बड़ा रखें, माफ़ करना और माफ़ी मांगना सीखें.
- एक साथ हॉबी क्लासेस जॉइन करें या फिर योगा, जॉगिंग, वॉक पर जाएं.
- डिनर के बाद कभी-कभार पूरा परिवार एक साथ आइसक्रीम खाने बाहर जाए या फिर घर पर ही मंगाएं.
- बस इसी तरह छोटी-छोटी चीजों में ख़ुशियां ढूंढ़ें और ज़िंदगी को एक उत्सव की तरह जीएं. अपने रिश्तों का जश्न मनाएं.
- इस अंदाज़ से अगर रिश्तों को जीएंगे तो यकीनन उनकी रौनक़ ताउम्र बनी रहेगी.
- सिल्की शर्मा
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