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पहला अफेयर: मखमली आवाज़… (Pahla Affair… Love Story: Makhmali Awaaz)

उस दिन मैं क्लीनिक पर नहीं था. स्टाफ ने फोन पर बताया कि एक पेशेंट आपसे फोन पर बात करना चाहती है.

“उन्हें कहिए मैं बुधवार को मिलता हूं.” जबकि मैं जानता था बुधवार आने में अभी 4 दिन बाकी हैं.

शायद उसे तकलीफ ज़्यादा थी, इसलिए वह मुझसे बात करने की ज़िद कर बैठी.

जैसे ही मैंने हेलो कहा, दूसरी तरफ़ से सुरीली आवाज़ उभरी- “सर मुझे पिछले 15 दिनों से…”

वह बोल रही थी मैं सुन रहा था. एक सुर-ताल छेड़ती आवाज़ जैसे कोई सितार बज रहा हो और उसमें से कोई सुरीला स्वर निकल रहाहो. मैं उसकी आवाज़ के जादू में खो गया. जाने इस के आवाज़ में कैसी कशिश थी कि मैं डूबता चला गया. जब उसने बोलना बंद कियातब मुझे याद आया कि मैं एक डॉक्टर हूं.

मैंने उसकी उम्र पूछी, जैसा कि अक्सर डॉक्टर लोग पूछते हैं… 

“46 ईयर डॉक्टर.”

मुझे यकीन ही नहीं हुआ यह आवाज़ 45 वर्ष से ऊपर की महिला की है. वह मखमली आवाज़ मुझे किसी 20-22 साल की युवती कीलग रही थी. इस उम्र में मिश्री जैसी आवाज़… मैं कुछ समझ नहीं पाया. फिर भी उसे उसकी बीमारी के हिसाब से कुछ चेकअप करवानेको कहा और व्हाट्सएप पर पांच दिन की दवाइयां लिख दीं. 5 दिन बाद उसे अपनी रिपोर्ट के साथ आने को कह दिया.

यह पांच दिन मुझे सदियों जितने लम्बे लगे. बमुश्किल से एक एक पल गुज़ारा. सोते-जागते उसकी मखमली आवाज़ मेरे कानों में गूंजतीथी. मैं उसकी आवाज़ के सामने अपना दिल हार बैठा था. मैंने कल्पना में उसकी कई तस्वीर बना ली. उन तस्वीरों से मैं बात करने लगा. नकभी मुलाकात हुई, न कभी उसे देखा… सिर्फ एक फोन कॉल… उसकी आवाज़ के प्रति मेरी दीवानगी… मैं खुद ही कुछ समझ नहींपाया. मुझे जाने क्या हो गया… मैं न जाने किस रूहानी दुनिया में खो गया था.

मुझे उससे मिलना था. उसकी मीठी धुन फिर से सुननी थी. जब उसकी तरफ से न कोई कॉल आया, न कोई मैसेज, तो खुद ही दिल केहाथों मजबूर होकर मैसेज किया- ‘अब कैसी तबीयत है आपकी?’

‘ठीक नहीं है, आपकी दी हुई मेडिसन का कोई असर नहीं हुआ…’ उसने जवाब दिया.

‘आपने ठीक से खाई?’

‘हां, जैसा आपने कहा था, वैसे ही.’

मैं उसकी बात सुनकर चुप हो गया. मेरी उम्मीद टूटने लगी. मुझे लगा वह अब वह नहीं आयेगी. उससे मिलने का सपना खत्म हो गया.

थोड़ी देर बाद ही उसका मैसेज स्क्रीन पर चमका. ‘आज आपका अपॉइंटमेंट मिल सकता है?’ मुझे मन मांगी मुराद मिल गई.

ठीक शाम 5:00 बजे वह मेरी क्लिनिक पर अपनी रिपोर्ट और मेडिसिन के साथ थी. उसकी वही मीठी आवाज़ मेरे कानों में टकराई, “गुड इवनिंग, मैं ऋचा…”

मेरे दिल में सात सुर चहकने लगे. बरबस ही होंठों पर मुस्कान तैर गई. धड़कनें बेकाबू होने लगीं. एक कहकशां मेरे सामने थी. वह कहीं सेभी 46 साल की नहीं लग रही थी. कंधे पर झूलते स्टेप कट बाल, भूरी आंखें, गुलाबी होंठ और सादी-सी लेगिंग-कुर्ती पहने वह,, सादगीमें उसकी खूबसूरती निखर रही थी. मैं उसे एकटक देखता रह गया. जैसी मैंने ख्वाबों में उसकी तस्वीर बनाई थी, उससे कहीं ज़्यादा वहखूबसूरत थी. मैं उसके चेहरे से नज़र नहीं हटा पा रहा था, तभी वही मधुर स्वर मेरे कानों में टकराया, “क्या मैं यहां बैठ सकती हूं डॉक्टर?”

उसने अपनी रिपोर्ट मेरी तरफ बढ़ा दी. मैं रिपोर्ट देखने लगा. रिपोर्ट देखकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई. मेरे चेहरे के बदलते भावों कोदेखकर वह कुछ पूछना चाह रही थी, लेकिन मैंने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया.

मैं उसे बहुत कुछ कहना चाहता था, पर शब्द गले में अटक गए. मैं उसे कुछ नहीं कह पाया. कभी-कभी हम जो चाहते हैं, वो होता नहीं. दवाइयां लिख कर उसे 15 दिन बाद आने को कहा.

“ठीक है डॉक्टर साहब, मेरी रिपोर्ट नॉर्मल है?” उसने संशय के भाव से पूछा.

“जीऽऽजी…” मैं हकलाकर बोला.

“डॉक्टर साहब, मैं जानती हूं कि मेरी रिपोर्ट नॉर्मल नहीं है. मेरे लंग्स में इंफेक्शन आखिरी पायदान तक बढ़ चुका है. आप बताइए इलाजसंभव है या नहीं?”

“इस दुनिया में सिवाय मृत्यु के हर मर्ज का इलाज है, आप इत्मीनान रखिए. समय पर दवाइयां लीजिए. समय-समय पर चेकअपकरवाते रहिए. सब ठीक होगा.” मैंने डॉक्टरी अंदाज़ में बोला.

वह धीरे-से उठी और उसने मेरी आंखों में देखा, हल्के-से मुस्कुराई और वहां से चली गई. जब उसकी आंखें मेरी आंखों से मिली थीं, आभास हुआ मानो कह रही हो अलविदा डॉक्टर!

मेरी प्रेम कहानी अभी शुरू भी नहीं हुई थी, उसका निर्णायक मोड़ भी आ गया. कुछ कहानियां जन्म लेने से पहले ही खत्म हो जाती हैं. मैंआज तक नहीं समझ पाया, जब बिछड़ना ही तय था, तो ईश्वर उस शख्स से मिलवाता ही क्यों है?

कुछ दिन बाद वह दुनिया को अलविदा कह गई. आज भी उसकी मखमली आवाज़ मेरे कानों में गूंजती है. उसे मेरे लिए जीना चाहिएथा… उसे इस तरह नहीं जाना था… कुछ दिन और ठहरना था… मगर कैंसर की आखिरी स्टेज ठहरने का मौका कब देती है!

  • शोभा रानी गोयल

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