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लाल सिंह चड्ढा को लेकर आमिर खान पर विवेक अग्निहोत्री बोले- कहां हैं आपके फैंस, किस बात के 150-200 करोड़ रुपए ले रहे हो, लोगों को बेवकूफ बना रहे हो… दोष भक्तों को देते हो (Vivek Agnihotri Takes A Dig At Aamir Khan On Laal Singh Chaddha, Asks- Where Are Your Fans? Why Are You Even Charging 150-200 Crore Then?)

आमिर खान (Aamir khan) और करीना कपूर (Kareena Kapoor) की फ़िल्म लाल सिंह चड्ढा (Laal Singh Chaddha) बुरी तरह फ़्लॉप (flop) हुई और फ़िल्म को लेकर पहले ही बॉयकॉट ट्रेंड (boycott trend) चल रहा था, ऐसे में अब कई लोगों का ये कहना है कि ये बॉयकॉट ट्रेंड पैसे देकर चलाया गया था और ऐसा भक्तों ने किया यानी नरेंद्र मोदी के सपोर्टर्स ने.

इसी बात को लेकर द कश्मीर फ़ाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री (the Kashmir files director vivek Agnihotri) ने आमिर खान पर तंज (takes a dig at Aamir khan) कसा है. उनका कहना है कि अगर ये भक्तों ने किया है, चलो मान भी लें तो देश में सिर्फ़ 40-50% लोग ही उनको वोट देते हैं, बाकी के 50% कहां हैं? आमिर खान के लॉयल फैंस कहां हैं? ये बॉयकॉट रियल था और ये काम करता है वो भी बिना हिंसक हुए. पद्मावत के वक्त सिनेमाघरों में आग लगा दी गई थी और कई फ़िल्मों के विरोध में हिसंक प्रदर्शन हुए हैं, बावजूद इसके वो फ़िल्में हिट रहीं, पर लाल सिंह चड्ढा के समय बॉयकॉट हुआ, क्योंकि फ़िल्म में ऐसा कुछ नहीं था जिसे देखा जाए.

दंगल सुपर हिट थी क्योंकि फ़िल्म के लिए आमिर ने मेहनत की थी, स्टोरी के हिसाब से अपना वज़न भी बढ़ाया और लोगों को उनकी मेहनत और ईमानदारी नज़र आई, पर लाल सिंह चड्ढा के लिए उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. हर स्टार के लॉयल फैंस और लॉयल ऑडीयन्स होती है, जो ख़राब से ख़राब स्थिति में भी अपने स्टार की फ़िल्म देखने जाती है, पर आपके पास अगर ऐसी लॉयल ऑडियंस भी नहीं है तो इसका अर्थ है आप लोगों को बेवक़ूफ़ बना रहे है. फिर क्यों और किस बात के आप 150-200 करोड़ रुपए वसूल रहे हो?

इतना ही नहीं विवेक ने रणवीर सिंह की जयेश भी को लेकर भी खरी-खोटी सुनाई और कहा कि रणवीर की सब खूब तारीफ़ करते हैं लेकिन फ़िल्म जयेश भाई में वो बिना शर्ट के पच्चीस महिलाओं के साथ नाच रहे हैं, फ़िल्म का प्रोमोशन इतने हल्के तरीक़े से किया गया कि फ़िल्म का मुद्दा क्या है ये लोगों को पता तक नहीं चला.

ये फ़िल्म कन्या भ्रूण हत्या पर बनी थी और ऐसे गंभीर विषय को ऐसे फ़नी व फ़ैशन शो की तरह पेश किया गया कि लोगों को फ़िल्म की स्टोरी लाइन का पता ही नहीं चला, जब विषय ही नहीं पता तो लोग भला फ़िल्म देखने ही क्यों जाएंगे.

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