'पंचायत सीजन 3' (Panchayat 3)
को दर्शकों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है. 'पंचायत' का तीसरा सीज़न अमेज़न प्राइम पर स्ट्रीम हो रहा है और इसके पहले दो सीज़न की तरह ही तीसरे सीज़न को भी दर्शक खूब प्यार दे रहे हैं. हालांकि इस सीरीज के हर किरदार से दर्शक एक खास कनेक्शन फील कर रहे हैं और सीरीज देखते वक्त सभी किरदारों से उन्हें लगाव हो जाता है, लेकिन सचिवजी (Sachiv ji) का किरदार निभाने वाले जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है और लोग उनके बारे में जानना चाह रहे हैं कि सचिव जी इंजीनियर से एक्टर कैसे बन गये? उन्हें इसके लिए कितना स्ट्रगल करना पड़ा.
'कोटा फैक्ट्री' के 'जीतू भैया' हों या 'पंचायत के 'सचिव जी' जीतेंद्र कुमार की ऐक्टिंग, बोलने का ढंग ऐसा, आंखों से ही सब कुछ बोल देने का अंदाज़, आम सा चेहरा आज भले ही लोगों के दिलों में बस गया हो, लेकिन यहाँ तक पहुंचने का सफर उनके लिए इतना आसान नहीं रहा. इसके लिए उन्होंने सालों मेहनत की है. अपने सपनों को फाइनेंस करने के लिए ट्यूशन तक पढ़ाया है, तब जाकर वो अपने सपने पूरे कर पा रहे हैं.
आईआईटी खड़गपुर से सिविल इंजीनियरिंग कर चुके हैं
आपको जानकर हैरानी होगी कि जीतेंद्र कुमार ने आईआईटी खड़गपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. और जब इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक्टर बनने के लिए मुंबई आने का फैसला किया, तो घरवाले नाराज़ हो गए. "घर में सब इतने नाराज़ थे… बस उनका हाथ नहीं उठा. मैंने कोटा में दो साल कोचिंग की. फिर आईआईटी खड्गपुर में चार साल पढ़ाई की. इसके बाद घरवालों को एक्टर बनने और मुंबई जाने का फैसला सुनाया तो उनका नाराज़ होना लाजमी था."
एक्टर बनने का ख्याल कैसे आया
जीतेन्द्र कुमार ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने थिएटर जॉइन कर लिया था, क्योंकि उन्हें एक्टिंग का शौक था. फिर खड़गपुर में ही उनकी मुलाकात बिस्वपति सरकार से हुई जो उनसे एक साल सीनियर थे. "वो नुक्कड़ नाटक किया करते थे. उन्होंने मुझसे कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वह इंजीनियर नहीं बननेवाले. मुंबई जाकर राइटर बनेंगे. उन्होंने मुझे कहा चाहो तो तुम भी आ जाना एक्टिंग करने."
गरीब रथ से मुंबई आ गए
फिर क्या था इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद जीतेंद्र कुमार ने मुंबई आने का फैसला कर लिया और गरीब रथ ट्रेन से मुंबई पहुँच गए. "मुझे उतरना था बोरीवली और मैं बांद्रा पहुंच गया. स्टेशन पर उतरने के बाद आधा घंटा मुझे ये समझने में ही लग गया कि बाहर कैसे निकलना है. कोई कुछ बताने को ही तैयार नहीं था. बोरीवली में कॉलेज का एक दोस्त कोचिंग चलाता था, मैं उसी के यहाँ रुक गया. मैंने फैसला किया कि हफ्ते में एक दिन एक्टिंग करूंगा, बाकी दिन कोचिंग चलाऊंगा. मैं फ्रेंड की कोचिंग में ही पढ़ाने लगा."
एक्टिंग से पैसा कमाना यहां आसान नहीं
जितेंद्र कुमार ने आगे कहा, यहाँ आने के बाद एक बात मेरी समझ में आ गई थी कि एक्टिंग से पैसा कमाना यहां आसान नहीं है. ये भी कि यहाँ पहचान बनानी है तो वक्त और धैर्य दोनों लगेगा. हमने यूट्यूब के लिए वीडियोज बनाकर टैलेंट दिखाना शुरु कर दिया और वो लोगों को पसंद भी आने लगा. यहीं से कई प्रोडूसर्स से भी कॉन्टेक्ट हुआ. उन्हें भी डिजिटल के लिए ऐसा ही कुछ बनाना था. कुल मिलाकर मैं यहाँ आया तो था एक्टर बनने, पर मुझे यहाँ तक पहुंचने में दस साल लग गए.
जीतेंद्र कुमार की फैमिली लाइफ
जीतेंद्र का जन्म 1 सितंबर 1990 को राजस्थान में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था. वहीं पर स्कूलिंग करने के बाद वो उनका सिलेक्शन खड़गपुर आईआईटी के लिए हो गया और वो सिविल इंजीनियरिंग करने लगे. जितेंद्र के पिता भी सिविल इंजीनियर हैं, जबकि उनकी मां हाउस वाइफ हैं. जितेंद्र की दो बहनें हैं, जिनका नाम रितु कुमार और चित्रा कुमार हैं.