ऑलिव ऑयल
- इसके हार्ट फ्रेंडली तत्वों के कारण यह दुनियाभर में काफ़ी पॉप्युलर हो गया है. यह न स़िर्फ आपके डायट में पोषण का इज़ाफ़ा करता है, बल्कि कार्डियोवैस्कुलर डिसीज़ और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के पनपने के ख़तरे को भी कम करता है. फ़ायदे - मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है. - इसमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और कैंसर के ख़तरे को भी कम करने में मददगार होते हैं. - एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. - अन्य तेलों के मुक़ाबले इसकी स्टोरेज लाइफ़ अधिक होती है. - इसे फ्रीज़ भी किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि इसके पोषक तत्व बरक़रार रहेंगे. सावधानियां - ऑलिव ऑयल का फ्लेवर बहुत ही स्ट्रॉन्ग होता है और इसीलिए इसे हर प्रकार के खाने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. - अगर आप कैलोरीज़ को लेकर फ़िक्रमंद रहती हैं, तो ऑलिव ऑयल को कम मात्रा में इस्तेमाल करें, क्योंकि इसमें हाई कैलोरीज़ होती हैं. - गर्म करने पर इसका फ्लेवर बदल जाता है, क्योंकि ज़्यादा हीट पर उसको फ्लेवर देनेवाले तत्व ख़त्म हो जाते हैं. - तेज़ आंच पर गर्म करने पर तेल में जो परिवर्तन आते हैं, उससे शरीर को नुक़सान पहुंच सकता है. इस्तेमाल का सही तरीक़ा हालांकि ऑलिव ऑयल को कुकिंग के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है, लेकिन उसके पोषक तत्वों का संपूर्ण लाभ तभी मिलेगा, जब उसे कच्चा इस्तेमाल किया जाए. बेहतर होगा उसे सलाद की ड्रेसिंग में या फिर डिप्स में यूज़ करें. - जब कभी कुकिंग में इस्तेमाल करें, तो हमेशा धीमी आंच पर ही गर्म करें. - ध्यान रखें कि कुकिंग के लिए भी शुद्ध ऑलिव ऑयल यूज़ करें न कि एक्स्ट्रा वर्जिन. अनकुक्ड फूड के लिए एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें. किसके साथ पेयर करें- इसके रिच ऑलिव फ्लेवर के कारण इसे वार्म या कोल्ड सॉसेज़ की ज़्यादातर वेरायटीज़ के साथ यूज़ किया जा सकता है. इसे ड्रेसिंग्स और मेरिनेड्स के लिए भी इस्तेमाल में ला सकते हैं.सोयाबीन ऑयल
- सोयाबीन वेजीटेबल ऑयल है, जो सोयाबीन से प्राप्त होता है. फ़ायदे - यह ओमेगा3 से भरपूर होता है. - विटामिन ई का बहुत अच्छा स्रोत है. - पॉली अनसैचुरेटेड ़फैटी एसिड्स की काफ़ी मात्रा भी पाई जाती है. सावधानियां - रिसर्च बताते हैं कि तेज़ आंच पर या डीप फ्राई के लिए इस्तेमाल में लाने पर ख़ास तरह का टॉक्सिन बनता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. कैसे इस्तेमाल करें? - कुकिंग के लिए इस्तेमाल करते समय धीमी आंच पर ही इसका प्रयोग करें. - वेजीटेबल्स या मीट को हल्का-सा तलने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. - सलाद ड्रेसिंग के लिए यह बहुत अच्छा ऑप्शन नहीं है. पेयरिंग- एशियन रेसिपीज़, इंडियन फूड और अन्य कई तरह के भोजन, जिनमें पहले से ही मसाले और स्पाइसेस मौजूद हों.सनफ्लावर ऑयल
फ़ायदे - इसके लाइट टेस्ट की वजह से बहुत-से शेफ इसे ही यूज़ करते हैं. - इसे डीप फ्राई के लिए भी यूज़ किया जा सकता है. - ज्यादातर लोग स्वास्थ्य के फ़ायदे को ध्यान में रखकर इसका इस्तेमाल करते हैं. - सनफ्लावर ऑयल विटामिन ई से भरपूर होता है. - यह कैंसर, इंफेक्शन्स और कई बीमारियों से बचाव करता है. सावधानियां - इसमें कैलोरी कंटेंट बहुत ज़्यादा होता है. - विटामिन के और विटामिन ई के अलावा बाक़ी कोई भी पोषक तत्व बहुत ज़्यादा मात्रा में नहीं होते.कनोला ऑयल
- इन दिनों यह न्यूट्रिशनिस्ट का फेवरेट बना हुआ है और फिज़िशियन्स भी इसे रिकमेंड करते हैं, क्योंकि इसमें हृदय रोग के ख़तरों को कम करने के गुण हैं. फ़ायदे - इसमें सैचुरेटेड फैट्स बहुत ही कम होता है. - मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर है. - ओमेगा3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद है. - अन्य तेलों के मुक़ाबले इसमें फैटी एसिड का कंपोज़िशन सबसे अच्छा और हेल्दी है. सावधानियां - अगर खाने में एक्स्ट्रा फ्लेवर चाहिए, तो कनोला लोगों की पहली पसंद नहीं होगा, क्योंकि यह स्वाद में बहुत ही लाइट और माइल्ड होता है. - अन्य तेलों की अपेक्षा यह जल्दी ख़राब हो सकता है.नारियल का तेल
फ़ायदे - रिसर्च बताते हैं कि कोकोनट ऑयल से पाचन तंत्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है. - यह स्किन के लिए भी काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. इसके एंटीएजिंग प्रभाव को भी सभी जानते हैं. सावधानियां - सैचुरेटेड फैट ज़्यादा होने के कारण ब्लड कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है और इसका ज़्यादा या लगातार सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है.सरसों का तेल
- इसके एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह गले की तकलीफ़, दमा, ब्रॉन्काइटिस और निमोनिया जैसे रोगों से बचाव का काम करता है. - इसके स्ट्रॉन्ग फ्लेवर के कारण यह पाचक रसों के निर्माण को तेज़ करके पाचन शक्ति को बढ़ाकर भूख बढ़ाता है. सावधानियां - सरसों के तेल में यूरिक एसिड बहुत अधिक मात्रा में होती है, जिस वजह से स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंच सकता है. - सरसों के तेल को लोग बहुत अधिक गर्म करके ही इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन अधिक गर्म करने पर इसमें मौजूद ओमेगा3 नष्ट हो सकता है और पोषक तत्व कम हो सकते हैं. ये भी पढ़ेंः हफ्तों पहले दिखने लगते हैं कैंसर के ये 18 लक्षणकुकिंग ऑयल ख़रीदते समय ध्यान रखें
- सबसे अच्छा कुकिंग ऑयल वही होता है, जिसमें सैचुरेटेड फैट्स कम हों. - वो ट्रान्स फैट और कोलेस्ट्रॉल फ्री हो. - मोनो अनसैचुरेटेड फैट्स और ओमेगा-3 फैट्स से भरपूर हो. - उसमें ओमेगा 6 फैट की भी कुछ मात्रा हो. - तेज़ आंच पर उसके पोषक तत्व नष्ट न हों.कुकिंग ऑयल्स की शेल्फ लाइफ़
- ऑयल्स को गर्मी व नमीवाली जगहों से दूर रखें यानी डार्क और ड्राई प्लेस पर स्टोर करके रखें. मोनोअनसैचुरेटेड फैट्सयुक्त ऑयल्स 1 साल तक चलते हैं और रिफाइंड ऑलिव ऑयल तो कुछ सालों तक चल सकता है, क्योंकि उसमें सबसे ज़्यादा मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं. एक्स्ट्रा वर्जिन और वर्जिन ऑलिव ऑयल्स सील खोलने के बाद 1 साल तक ख़राब नहीं होता, पर ज़्यादातर ऑयल्स की शेल्फ लाइफ़ सील खोलने के बाद 6-8 महीने तक ही होती है.कुकिंग ऑयल को स्टोर कैसे करें?
इस्तेमाल में लाने के बाद अगर तेल बच जाता है, तो उसे उस तेल में मिक्स न करें, जो यूज़ नहीं हुआ है. उसे कपड़े से छान लें और अलग साफ़ जार में डालकर टाइट सील कर दें और धूप से दूर ठंडी जगह में या फ्रिज में रख दें.- गीता शर्मा
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