बिगड़ी लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से आजकल यंग महिलाओं को भी घुटनों की प्रॉब्लम्स होने लगी हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को घुटनों की प्रॉब्लम ज़्यादा होती है. ऐसा क्यों होता है, क्या सावधानी बरतें और कैसे पाएं इस दर्द से राहत, जानने के लिए हमने बात है The Knee क्लिनिक के हड्डी रोग शल्य-चिकित्सक और निदेशक डॉ. मितेन शेठ से.
महिलाओं के घुटने पुरुषों की तुलना में ज़्यादा खराब क्यों होते हैं?
महिलाओं के घुटने पुरुषों की तुलना में अधिक खराब होने के चार प्रमुख कारण हैं.
- पहला, महिलाओं की शारीरिक संरचना ऐसी होती है कि उनके जॉइंट्स की मूवमेंट्स अधिक होती है, उनके लिगामेंट्स भी अधिक लचीले होते हैं, जिससे वो घुटनों की मूवमेंट अधिक करती हैं, जिससे दर्द होने की आशंका बढ़ जाती है.
- दूसरा, घुटनों को हेल्दी रखने में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पीरिड्स के दौरान और मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन के लेवल में कमी आ जाती है. एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से घुटनों के जोड़ों को सहारा देने वाले गद्देदार कार्टिलेज पर असर होता है.
- तीसरा, महिलाएं, पुरुषों की तुलना में मोटापे की शिकार अधिक होती हैं, इस नहीं घुटनों पर दबाव पड़ने भी उनके घुटने जल्दी खराब होते हैं.
- चौथा, महिलाएं पुरुषों की तुलना में बोन मास जल्दी खोती हैं, इससे उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और जोड़ों के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है.
घुटनों में दर्द के कारण
बढ़ता मोटापा: वजन बढ़ने से घुटनों पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है. आपका वजन जितना अधिक होगा, उससे पांच गुना अधिक आपके घुटनों पर दबाव पड़ेगा. अगर आपका वजन सामान्य से 5 किलो अधिक है तो घुटनों पर 25 किलो अधिक दबाव पड़ता है. इसलिए वज़न पर कंट्रोल रखें.
इनएक्टिव लाइफ स्टाइल: जो महिलाएं फ़िज़िकली एक्टिव नहीं रहतीं, उनकी मांसपेशियां कमजोर और कम लचीली हो जाती हैं. जब नी-कैप, हिप और पेल्विस के आसपास की मांसपेशियां शक्तिशाली होती हैं, तो ये घुटनों को स्टेबल और बैलेंस्ड रखती हैं, उन्हें बेहतर सपोर्ट देती हैं और इन पर पड़ने वाले दबावों को रोकती हैं.
दर्द की अनदेखी करना: हम अक्सर हेल्थ के प्रति लापरवाही बरतते हैं, दर्द होने पर भी पेनकिलर ले लेते हैं. लेकिन यदि घुटनों में लगातार दर्द हो रहा हो, सूजन आ रही हो या उन्हें मोड़ने में समस्या हो रही हो तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए. इससे घुटनों को और डैमेज हो सकता है. लेकिन हममें से ज़्यादातर लोग यही करते हैं, जिससे प्रॉब्लम और बढ़ जाती है.
चोट भी है बड़ा कारण: अगर घुटनों पर चोट लगी है तो उसका तुरंत इलाज कराएं. समय रहते इलाज नहीं कराया तो भविष्य में दर्द का खतरा बढ़ सकता है. घुटनों के लिगामेंट्स में खिंचाव या टूट जाना भी घुटनों की खराबी का कारण बन सकते हैं.
जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज: ज़रूरत से ज्यादा एक्सरसाइज और रनिंग से घुटनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे उनके डैमेज होने की आशंका बढ़ जाती है.
आर्थराइटिस: आर्थराइटिस से वैसे तो शरीर के सभी जॉइंट्स पर असर होता है, लेकिन घुटनों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है, इसके कारण जोड़ों में सूजन के साथ तेज दर्द हो सकता है. आर्थराइटिस की स्थिति में सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है.
पोषक तत्वों की कमी: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने खानपान पर अधिक ध्यान नहीं दे पाते, जिसके चलते हमारे शरीर में कई जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. शरीर में विटामिन-सी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होना घुटनों और जोडों में दर्द का कारण होती हैं.
क्या करें?
- रोज़ाना एक्सरसाइज की आदत डालें. स्विमिंग और साइक्लिंग करें.
- 10-15 मिनट योग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज आपके जॉइंट्स के लिए अच्छी है.
- वज़न पर कंट्रोल रखें. 5 किलो वजन घटाने से भी बहुत फर्क पड़ सकता है.
- एक्टिव रहें, लेकिन ऐसी गतिविधियों से बचें जो आपके घुटनों पर बार-बार तनाव डालती हैं, इससे आपके घुटने की समस्या बढ़ सकती है.
- बास्केटबॉल या फुटबॉल जैसे खेल खेलते समय सावधान रहें, जिसमें आपको अचानक से शुरू होने या रुकने की आवश्यकता होती है.
- हेल्दी डायट लें. अपने भोजन में पोषक तत्वों को शामिल करें.
- अगर आपको घुटने में दर्द, सूजन या ऐसी कोई समस्या है जिससे आपको लगता है कि एक घुटना दूसरे से बेहतर या खराब है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
- डॉक्टर से मिलकर ट्रीटमेंट के बेस्ट विकल्प पर चर्चा करें और जल्दी से जल्दी ट्रीटमेंट शुरु कर दें.