ऋचा को देखते ही कहा था, "मैं तुम्हें आप नहीं कह सकता, लेकिन ठहरो मुझे यक़ीन करने दो कि धरती पर कोई जीती-जागती लड़की ऐसी.. आई मीन इतनी सुंदर.. अरे नहीं, मेरा मतलब इतनी नाज़ुक.. ओह मतलब कि क्या कहूं बिना छुए भरोसा ही नहीं होगा कि तुम सचमुच शरीर से हो या कोई परी हो, जिसे मैं ख़्वाब में देख रहा हूं…" भला ऐसे फ्लर्ट पर कोई नाराज़ कैसे हो सकता है. वह उसकी स्माइल, उसका चेहरा अपनी आंखों में क़ैद करता चला गया.
जैसे ही उसकी नज़र ऋचा से मिली वह बेहोश होते-होते बचा. आज पहली बार ही देखा था उसने ऋचा को और इस घटना को गुज़रे कोई दस-बारह घंटे गुज़र गए थे, लेकिन उसकी आंखों से जैसे वह ख़ूबसूरत चेहरा हटने को तैयार ही नहीं था.
वह भी तो ग़जब की पर्सनैलिटी का मालिक था एक मल्टी डॉयमेंशनल टेलेंट से भरा हुआ. यह ज़िंदगी भी अजीब है, यहां हर लम्हा कुछ अजीब ढंग से सांस लेता है. उसके दिल में ऋचा को देखते ही धड़कन बढ़ गई थी. जैसे आसमान से कोई परी उतर आई हो. उसके दिल में बेसाख्ता शोर उठा- 'ओह गॉड ऐश्वर्या राय से भी सुंदर है यह तो…'
यह ज़िंदगी अजीब-सी इसलिए है कि जैसे जज़्बात हमारे सीने में पैदा होते हैं हमारे चेहरे से लेकर बॉडी लैंग्वेज़ तक उसी में ढल जाते हैं.
बामुश्किल रात कटी और जब वह सुबह मुस्कुराते हुए बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ में तैयार हुआ, तो पत्नी बोली, "ऑफिस ही जा रहे हो या और कहीं…"
वह हंसा, "तुम भी कमाल करती हो भला और कहां जाऊंगा."
लेकिन रियली यहां आकर उसके रंग-ढंग चाल-ढाल सब बदल चुकी थी. अब वह एक छोटे से कस्बे से उठकर मुंबई आ गया था.
दो ख़ूबसूरत इंसान, जो अपोजिट जेंडर के हों, ज़्यादा दिन दूर नहीं रह सकते.
बस, एक-दो दिन में ही उसकी ऋचा से बात शुरू हो गई.
राहुल सच में बहुत बड़ा फ्लर्ट था और इतने शानदार ढंग से फ्लर्ट करता कि लड़की को उस पर प्यार आता ग़ुस्सा नहीं. दोनों एक ही ऑफिस में थे, तो बात करने का बहाना मिल जाना मामूली बात है.
और बस "आप कौन… कहां से… किस विभाग…" में से शुरू हुई बात दूसरे ही पल राहुल के फ्लर्ट में बदल गई.
ऋचा को देखते ही कहा था, "मैं तुम्हें आप नहीं कह सकता, लेकिन ठहरो मुझे यक़ीन करने दो कि धरती पर कोई जीती-जागती लड़की ऐसी.. आई मीन इतनी सुंदर.. अरे नहीं, मेरा मतलब इतनी नाज़ुक.. ओह मतलब कि क्या कहूं बिना छुए भरोसा ही नहीं होगा कि तुम सचमुच शरीर से हो या कोई परी हो, जिसे मैं ख़्वाब में देख रहा हूं…" भला ऐसे फ्लर्ट पर कोई नाराज़ कैसे हो सकता है. वह उसकी स्माइल, उसका चेहरा अपनी आंखों में क़ैद करता चला गया.
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अगले दिन एक नया धमाका हुआ जब उसने सुना ऋचा तो शादीशुदा है. उसने साफ़ कह दिया, "तुम झूठ बोलती हो, तो तुम्हारे चेहरे और उम्र को देखकर कोई नहीं मानेगा कि तुम्हारी शादी हुई है." हेल्दी फ्लर्टिंग में वह सिवाय तारीफ़ करने के और तो कुछ कहता ही, जैसा- आई लव यू… वह कैसे किसी को आई लव यू बोल सकता है..? ऑफिस है, सर्विस है, बच्चे और उनका करियर है…
उसने ऋचा से कहा, "ऋचा न जाने क्यों तुम्हें अपने दिल के बेहद क़रीब पाता हूं…" इन बातों के क्या अर्थ हैं, यह भी तो नहीं समझ सकते.
और वह आगे बोला, "तुम्हारे साथ न जाने क्यों मेरी उम्र कम हो जाती है. मुझे ख़्यालों में अपने साथ जीने की इजाज़त दे दो…"
अब भला किसी को छूए बिना कोई किसी के साथ कौन ख़्यालों में जी रहा है, कौन जानता है. इसमें भला किसी को क्या तकलीफ़ हो सकती है. वह बिना बताए भी तो ऐसा कर सकता था. और उसने हंसते हुए गर्दन हिला दी. राहुल ने एक छोटी से डेयरी मिल्क चॉकलेट पकड़ा दी. बस उसका ऐड साथ में फारवर्ड कर दिया- ख़ास है हम सभी में… क्या स्वाद है ज़िंदगी में… ऐ गिफ्ट टू समवन यू लव…
आह ऋचा भी बस यह अंदाज़ को देखती रह गई. यह इंसान है या कामदेव का पुतला. इस उम्र में इतना रोमांटिक वाओ. और उसका चेहरा लाल हो गया.
आज सालों हो गए उसे इस तरह ऋचा के साथ फ्लर्टिंग करते. उसने ऋचा को कभी शर्मिंदा नहीं किया. वह जानता है शादीशुदा ज़िंदगी में किसी को छूना दोनों की ज़िंदगी को बर्बाद कर देना है. यह ज़रूरी तो नहीं कि जो ऋचा उसे मानसिक फ्लर्टिंग की इजाज़त देती है, शारीरिक रूप से छूने की इजाज़त भी देगी.
और ऋचा किसे अच्छा नहीं लगता कि उसे सराहा जाए, उसे कोई प्यार से देखे, कोई अपना समझे और शालीनता से उसके लिए दीवाना हो जाए… इस फ्लर्टिंग ने दोनों को टीनएजर बना दिया है. ऋचा ख़ुद कॉलेज गर्ल लगती है, जब राहुल उसे कहता है, "आज कॉलेज कट करके पिक्चर चलेंगे."
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न राहुल को जाना है, न ऋचा को… दोनों दूर-दूर शहर में रहते हैं. हां, राहुल और ऋचा दोनों सोचते हैं यदि आदमी हेल्दी फ्लर्टिंग करे, नियत साफ़ रखे, फिज़िकल न हो, तो लाइफ एट फ्लर्टिंग डॉट कॉम को देखकर इतना तो कह ही सकते हैं, “क्या स्वाद है ज़िंदगी में…" भले ही वह छोटे-छोटे मैसेज में बस लिख भर पाता हो, "ऋचा, मैं तुम्हारी गोद में सिर रखकर लेटा हूं… मेरे बालों में उंगलियां फेर दो, बहुत थक गया हूं… बस, तुम्हारी जुल्फ़ों के साये में ज़िंदगी की शाम बिताना चाहता हूं…"
- शिखर प्रयाग
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