कंगना सिर्फ़ बॉलीवुड क्वीन ही नहीं, बल्कि पंगा क्वीन भी हैं. हाल ही में कंगना ने एक ऐसा बयान दे दिया जिसकी आलोचना चारों तरफ़ से होने लगी थी और कंगना से अवॉर्ड वापसी की माँगे भी तेज़ी से होने लगी थी. कंगना ने कहा था कि साल 1947 में जो आज़ादी मिली थी वो वो दरअसल भीख थी, देश को सही मायने ने असली आज़ादी तो साल 2014 में मिली जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. इसके बाद कंगना की काफ़ी आलोचना होने लगी लेकिन अब उनको दिग्गज अभिनेता विक्रम गोखले का समर्थन मिला है.
विक्रम महाराष्ट्र के पुणे में हुए एक कार्यक्रम में शामिल हुए और वहां उन्होंने कहा कि कंगना बिल्कुल सही कह रही हैं. विक्रम ने कहा कि मैं कंगना के बयान से सहमत हूं क्योंकि उस वक़्त हमें आज़ादी दी गई थी. ब्रिटिश राज के दौरान जब स्वतंत्रता सेनानियों को फाँसी दी गई थी तब बहुत से लोग मूक दर्शक बने हुए थे और इनमें से कई वरिष्ठ नेता थे जिन्होंने उन स्वतंत्रता सेनानियों को फाँसी से बचाने की कोशिश तक नहीं की, जो अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़े थे.
माना जा रहा है कि विक्रम गोखले का इशारा पंडित नेहरू व गांधी की ओर था जो अगर उस वक़्त चाहते तो शहीद भगत सिंह की फाँसी रुकवाने का प्रयास कर सकते थे और शायद वो इसमें सफल भी हो जाते लेकिन उन्होंने कोई कोशिश नहीं की…
विक्रम गोखले का कहना है कि वो किसी दल का समर्थन नहीं करते लेकिन देशहित में जो काम करता है उसकी सराहना करना ज़रूरी है, वहीं ग़लत बात पर विरोध भी ज़रूरी है. उनका कहना है कि भाजपा समेत सभी दल वोटों की राजनीति करते हैं और विवादों में अपना लाभ देखते हैं. त्रिपुरा में हुई साम्प्रदायिक हिंसा और उसकी प्रतिक्रिया में अमरावती व अन्य शहरों में हुए दंगों पर विक्रम से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हर दल वोट के लिए ये करता है और ये साम्प्रदायिक दंगे वोट बैंक की राजनीति का ही नतीजा हैं.
विक्रम गोखले का ये भी मानना है कि जनता व देश की भलाई के लिए भाजपा व शिवसेना को फिर से एकजुट होना चाहिए और साथ मिलकर काम करना चाहिए.
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