चित्रकारों के सामने समस्या यह थी कि एक आंख न होने पर चित्र सुन्दर नहीं लगेगा और ग़ुस्से में राजा उन्हें मृत्यु दण्ड भी दे सकते हैं.
और यदि दोनों आंख बनाते हैं, तो ग़लत चित्र होने के कारण वे दण्डित कर सकते हैं.
प्राचीन काल की बात है. एक राजा जिसकी एक आंख कानी थी उसे अपना एक अच्छा-सा चित्र बनवाने की इच्छा हुई. उसने राज्य के चित्रकारों को आमंत्रित किया. चित्रकारों के सामने समस्या यह थी कि एक आंख न होने पर चित्र सुन्दर नहीं लगेगा और ग़ुस्से में राजा उन्हें मृत्यु दण्ड भी दे सकते हैं.
और यदि दोनों आंख बनाते हैं, तो ग़लत चित्र होने के कारण वे दण्डित कर सकते हैं, इसलिए वह चित्र बनाने में आनाकानी करने लगे.
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कुछ समय पश्चात दूर शहर से एक चित्रकार आया और उसने राजा का चित्र बनाने की घोषणा की.
चित्रकार ने अपने चित्र में राजा को एक धनुर्धर के रूप में दिखाया. दिखाया कि राजा घोड़े पर सवार है और दूर कहीं निशाना साध रहे हैं. और निशाना साधने के कारण उनकी एक आंख (कानी आंख) बंद दिखाई.
राजा ने प्रसन्न होकर चित्रकार को बड़ा सा पारितोषिक दिया.
निष्कर्ष यह हुआ कि हर समस्या का हल होता है, घबराने से बेहतर है उसका हल तलाशा जाए.
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