कोरोना महामारी के इस भयानक दौर में जबकि हर ओर बंदी और मंदी का तांडव है, ऐसे में अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की मोस्ट अवेटेड फिल्म फिल्म 'बेल बॉटम' ने थियेटरों में आने का पूरा साहस दिखाया. ये अलग बात है कि फिलहाल सिर्फ 50 फीसदी ऑडियंस के साथ ही थियेटर्स खुले हैं, लेकिन अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की ये फिल्म सिने प्रेमियों को आकर्षित करने का पूरा दम-खम रखती है. आप कह सकते हैं कि 19 अगस्त को रिलीज हुई 'बेल बॉटम' ने ऑडियंस के दिलों को जीतने में सफलता हासिल कर ली है.
फिल्म में अक्षय कुमार (Akshay Kumar) के साथ वाणी कपूर (Vani Kapoor), लारा दत्ता (Lara Dutta) और हुमा कुरैशी (Huma Qureshi) अहम किरदार में नज़र आए हैं. बता दें कि रंजीत एम. तिवारी (Ranjit M Tiwari) के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म 123 मिनट की है. फिल्म के स्टोरी की बात करें तो इसमें अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने एक रॉ एजेंट का रोल प्ले किया है, फिल्म में दिखाया गया है कि 200 से ज्यादा यात्रियों से भरे एक विमान को कैसे हाईजैक कर लिया जाता है और इसे लाहौर लेकर जाया जाता है. ऐसे हालात में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने अब सिर्फ एक ही रास्ता बाकी रह जाता है कि अपहरणकर्ताओं से पड़ोसी देश ही बात करे क्योंकि हाईजैक किया गया विमान उनकी जमीन पर ही खड़ा है.
फिल्म में दिखाया गया है कि ऐसी विकट परिस्थिति में कुछ नया कर गुजरने के लिए पीएम को भी साहस की आवश्यकता होती है. जिससे की पुराने घेरे को तोड़ा जा सके. ऐसे हालात में रॉ के प्रमुख पीएम से कहते हैं कि रुकिए इस बार, हम कोई नया दांव चलेंगे. वो अपने एक फुल ट्रेंड और एक मंझे हुए राष्ट्रवादी खिलाड़ी को मैदान में उतारने की प्लानिंग करते हैं. यहां से फिल्म की कहानी एक नया मोड़ लेती है.
इंटरवल से पहले फिल्म की स्टोरी धीरे-धीरे स्थापित होती दिखाई देती है. जिसमें प्लेन हाईजैक के साथ मां और बेटे का इमोशनल रिलेशन और पति-पत्नी का प्रेम निखरता दिखाई देता है. कहानी कभी अतीत में चलती है, तो कभी वर्तमान में. इसी बीच प्लेन हाईजैक के बाद राजनीतिक गलियारों की राजनीति और प्रधानमंत्री के पास सारी ताकत होने के बावजूद उनकी मानवीय चिंताएं जाहिर होती दिखाई गई है. हालांकि ऑडियंस की चाहत के मुताबिक कहानी में थ्रिल नहीं होता, लेकिन फिल्म ऑडियंस को बांधे रखने में कामयाब है.
कहानी सबसे ज्यादा दिलचस्प तब लगती है, जब कई भाषाओं का जानकार व तेज याददाश्त का मालिक अंशुल मल्होत्रा (अक्षय कुमार) काफी तेज-तर्रार एजेंट के रूप में उभर कर सामने आता है. ऐसे में अंशुल मल्होत्रा का कोडनेम बेल बॉटम (अक्षय कुमार) होता है. यहां से फिल्म में रोमांच की चमक देखने को मिलती है.
फिल्म में प्लेन हाईजैक के साथ ही अंशुल मल्होत्रा की पर्सनल लाइफ के भावनात्मक सिरे को भी शामिल किया गया है. वो रॉ का एजेंट क्यों बनता है, हाईजैक की घटनाओं का डिटेल में स्टडी करके स्पेशलिस्ट क्यों बनता है. कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (लारा दत्ता) पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष से कहती हैं कि वो लोग प्लेन हाइजैक करने वालों से किसी तरह की कोई बातचीत न करे, अब हम खुद आगे देखेंगे कि कैसे और क्या करना है. यहां अब कैसे दुश्मन देश का दोहरा चरित्र सामने आता है, उसे बखूबी दर्शाया गया है. अब आगे दिखाया जाता है कि कैसे बेल बॉटम चार अपहरणकर्ताओं को मार कर सभी यात्रियों को सुरक्षित बचा लेता है.
बता दें कि ये फिल्म 1980 दशक की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. अक्षय कुमार (Akshay Kumar) के फिल्मी करियर के लिए ये फिल्म काफी राहत का काम करने वाली है, क्योंकि पिछले साल यानी 2020 में कोरोना की वजह से उनकी फिल्म 'सूर्यवंशी' रिलीज नहीं हो पाई थी. तो वहीं फिल्म 'लक्ष्मी' जो कि ओटीटी पर रिलीज हुई थी को काफी विरोध और आलोचना मिली थी. अब रॉ एजेंट के रूप में उन्हें ऑडियंस का प्यार और भरोसा दोनों मिल रहा है.
जहां तक बात है वाणी कपूर और दूसरे कलाकारों की तो हर किसी के किरदार को काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है.वाणी कपूर का रोल छोटा ही है, लेकिन ऑडियंस के दिलों पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब है. जबकि लारा दत्ता के लिए तो ये फिल्म लंबी वापसी के रास्ते खोलती नज़र आ रही है. यानी अगर आप लंबे टाइम से किसी अच्छी फिल्म के इंतज़ार में हैं, जिसे थियेटर में बैठकर मजे लेकर देखना चाहते हैं, तो ये फिल्म आप जरूर देख सकते हैं.