- शब्द कम पड़ जाते हैं... तारी़फें बेमानी सी लगने लगती हैं... जब इनका हुनर हम देखते हैं, तो आसमान की ऊंचाई भी कम लगने लगती है... कहने को तो ये अभिनेता कहे जाते हैं, लेकिन अभिनय ख़ुद को अभिभूत महसूस करता है, जब सामने नाना (nana patekar) जैसा कलाकार होता है. कला के क्षेत्र को इन्होंने और भी रोशन किया है, एक अद्भुत व बेमिसाल अभिनेता के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक लाजवाब व्यक्तित्व के नाते भी.
- यूं तो नाना का फिल्मी सफ़र गमन मूवी से शुरू हुआ था, लेकिन फिल्म परिंदा में जो उन्होंने नकारात्मक भूमिका निभाई उसने इस उम्दा कलाकार को सबके बीच पहचान दिलाई. एक सायकॉटिक पर्सनैलिटी का रोल करके उन्होंने सबके रोंगटे खड़े कर दिए थे.
- यही वजह है कि इस रोल के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार व सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.
- इसके बाद नाना ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय की जो छाप छोड़ी, वो आज भी सबके दिलों पर चस्पा है.
- अंकुश, क्रांतिवीर, यशवंत, राजनीति, तिरंगा, अब तक छप्पन जैसी फिल्मों में सबने उनको सराहा और वेलकम जैसी फिल्मों में कॉमेडी करके उन्होंने ख़ुद को एक कंप्लीट एक्टर के तौर पर साबित किया.
- 1 जनवरी 1951 को जन्मे नाना को उनके जन्मदिन पर मेरी सहेली की ओर से ढेरों शुभकामनाएं!
- गीता शर्मा
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