एक घनी निरवता चारो तरफ़ पसरने लगी थी. वह उठकर तेजी से अपने कदम बढ़ाते लिफ्ट की तरफ़ बढ़ गई. जब ऊपर अपने फ्लैट में आ गई, तो एक बार बालकनी से झांककर देखने से अपने को रोक न पाई. अभी भी वह आकृति वही खड़ी नज़र आई. शायद वह भी उसकी तरह ही अकेला और बेजार था.
ऑफिस का काम समाप्त कर माधवी उठी, तो बाहर अंधेरा पसरने लगा था. जब से वर्क फ्रॉम होम हुआ था, घर से निकलना नहीं के बराबर हो गया था. सब सामान घर ही पर एक फोन करते ही आ जाता. वह उठकर एक कप काॅफी बना लाई और देर तक बैठी उसे पीती रही. काॅफी समाप्त कर उसने रात के लिए दो पराठां सेंक कर कैसरोल में डाल दिया. जब पूरी तरह लाॅकडाउन लगा था, तभी उसने अपनी मेड कमला को आने से मना कर दिया था. उसके बाद से न कभी कमला आई और न उसने ही कभी उसे बुलाया. आसपास के फ्लैट में मेड आने लगी थी. वर्क फ्राॅम होम हो जाने से उसे इतना फ़ायदा तो हो ही गया था कि उसे घर के कामों के लिए अच्छा-ख़ासा टाइम मिल जाता था. वैसे भी वह अकेले रहती थी, खाली समय में वह बैठेे-बैठे बोर हो जाती थी या फिर अतीत की ज़्यादतियां और प्रवंचना उसकी आत्मा को लहूलुहान किए रहता, जिससे वह अपने आपको ज़्यादतर काम में व्यस्त रखती. जब कभी ज़्यादा मन घबराता वह नीचे उतरकर कैंपस में बने छोटे से पार्क में जा बैठती, जो कोरोना के दहशत के कारण सुनसान ही रहता था. उस दिन भी वह उतरी, तो थोड़ी देर तक टहलने के बाद अपने नियत स्थान पर आ बैठी. तभी उसे लगा कि कोई है, जिसकी नज़रें उसका पीछा कर रही हैं. यूं ही मुड़कर चारो तरफ़ नज़रें दौड़ाई, तो बल्ब की पीली रोशनी में उसे शीशम के पेड़ के पास एक पुरुष की आकृति नज़र आई. कैंपस में अच्छी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद उसे भय की सिहरन-सी महसूस हुई. हवा के झोंके के साथ डोलते पत्तों की सरसराहट के साथ बढ़ती-घटती बल्ब की रोशनी, अजीब से रहस्य का ताना-बाना बुन रहा था. रात के दस बजनेवाले थे. कैंपस में उसी की तरह कुछ लोग जो एक इधर-उधर नज़र आ रहे थे. वे भी अपने-अपने घरों में सिमटने लगे थे. एक घनी निरवता चारो तरफ़ पसरने लगी थी. वह उठकर तेजी से अपने कदम बढ़ाते लिफ्ट की तरफ़ बढ़ गई. जब ऊपर अपने फ्लैट में आ गई, तो एक बार बालकनी से झांककर देखने से अपने को रोक न पाई. अभी भी वह आकृति वही खड़ी नज़र आई. शायद वह भी उसकी तरह ही अकेला और बेजार था. यह भी पढ़ें: योग से 10 तरह के दर्द से छुटकारा पाएं (International Yoga Day 2021: Yoga Poses That Relieve 10 Types Of Body Pain) अभी तक तो उस पार्क में वह अपने आपको अकेला ही पाती थी, पर दूसरे दिन से वह व्यक्ति भी वहां नज़र आने लगा. उसी की तरह वह भी एक-दो घंटा बैठकर चला जाता. उस व्यक्ति के कारण उसे पहले की तरह एकांत का अनुभव नहीं होता. वहां बैठने का मज़ा ही किरकिरा हो गया था. फिर भी वह टहलते हुए आदतन वही आकर बैठ गई और अपनी हथेलियों से अपना चेहरा ढके अपनी खिन्नता को कम करने की कोशिश कर रही थी कि तभी किसी की आवाज़ ने उसे चौंका दिया... अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... रीता कुमारी अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES
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