आपके दिल की धड़कन…..पूरे परिवार की धड़कन जिसके रुकने से आपका दिल भी धड़कना भूल सकता है, आपका पूरा परिवार बिखर सकता है…सोचिए तो अगर उसके दिल ने सचमुच धड़कना बंद कर दिया तो….ऐसा न हो आपके साथ, इसीलिए ज़रूरी है कि समय रहते सावधानी बरती जाए. जिस तरह महिलाओं में दिल की बीमारियां बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए तो बेहतर यही होगा कि आप अपने दिल के टुकड़े का आज से ही ख़याल रखना शुरू कर दें.
एक सर्वे के अनुसार आज से करीब तीन दशक पहले तक पुरुषों ओर स्त्रियों में दिल की बीमारी होने का औसत 5ः1 था. लेकिन आज हालात कुछ और हैं और दिन-ब- दिन यह अंतर घटता जा रहा है. 1884 व उसके बाद दुनियाभर में हार्ट अटैक से मरनेवाली महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कहीं ज़्यादा हैं. स़िर्फ पचास पार की नहीं, तीस व चालीस साल के बीच की उम्र की महिलाओं में भी यह ख़तरा दिन ब दिन बढता जा रहा है. आंकड़े बताते हैं कि तीस से चालीस साल के बीच की उम्र की महिलाओं में सडेन कार्डियक डेथ के मामले पुरुषों की तुलना में इक्कीस फीसदी से अधिक तेज़ी से बढे हैं.
आख़िर क्या हैं इसके कारण और क्या सावधानियां बरतनी ज़रूरी हैं, आइए जानते हैं.
महिलाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के कारण
हाई कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मोटापा, डायबिटीज़, हाइपरटेंशन आदि कारण तो हैं ही, जो महिला और पुरुष दोनों को प्रभावित करते हैं. लेकिन महिलाओं के दिल को प्रभावित करने के और भी कई कारण हैं.
- पेट के आसपास जमा चर्बी, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ और उच्च ट्राइग्लिसिराइड लेवल पुरुषों से ज़्यादा स्त्रियों को प्रभावित करते हैं.
- शारीरिक कारणों के अलावा भावनात्मक कारणों से भी हृदय रोग के ख़तरे बढते हैं और महिलाओं को सबसे ज्यादा भावनात्मक कारण ही प्रभावित करते हैं, क्योंकि पुरुषों के मुकाबले वे काफ़ी संवेदनशील और भावुक होती हैं. क्रोध, दुख, मानसिक तनाव और डिप्रेशन का असर महिलाओं के दिल पर पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा पड़ता है.
- सिगरेट का कश लेती लड़कियों को देखकर लोग अब चौंकते नहीं. ओकेजनल ड्रिंक भी अब बुरी नहीं मानी जाती. नतीजतन पुरुषों में आम हार्ट अटैक अब स्त्रियों में भी आम हो चला है.
- मेनोपॉज के पहले स्त्रियों को एस्ट्रोजन हार्मोन के चलते हार्ट अटैक से जो नेचुरल प्रोटेक्शन मिला था, डायबिटीज़ ने अब उस सुरक्षा कवच में भी सेंध लगा दी है.
- लाइफ़ स्टाइल और खान-पान के तरीकों में आया बदलाव भी महिलाओं में हार्ट प्रॉब्लम की एक बड़ी वजह है.
- शारीरिक श्रम व एक्सरसाइज़ की कमी से बढता मोटापा भी दिल को कमज़ोर बना रहा है.
- स्तन कैंसर के ख़तरों से तो महिलाएं परिचित हैं और इससे सुरक्षा के प्रति जागरुक भी हैं, लेकिन हृदय रोगों के बारे में आम मान्यता यही है कि ये तो पुरुषों का रोग है और महिलाओं को इससे कोई ख़तरा नहीं. इसी सोच के चलते हृदय रोग के लक्षण नज़र आने पर भी महिलाएं और उनके परिवार वाले इस पर ध्यान ही नहीं देते और जब तक वो कोई क़दम उठाते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
- तेज़ ऱफ़्तार ज़िंदगी, घर और बाहर के काम का दोहरा दबाव, तनाव, रिश्तों और कैरियर के बीच संतुलन बैठाने की जद्दोज़ेहद आदि कई कारण हैं जिनसे महिलाओं में दिल की बीमारियों का ख़तरा बढा है.
- प्री एक्लेम्प्सिया, प्रेगनेंसी के दौरान होनेवाले उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, हाई कोलेस्ट्रॉल और अकर्मण्यता स्ट्रोक के ख़तरे को 60 % बढा देता है.
- मेनोपॉज के दौरान ली जानेवाली एचआरटी यानी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से भी स्ट्रोक का ख़तरा 40 % बढ जाता है.
- गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से भी कुछ हद ब्लड क्लॉट और स्ट्रोक का ख़तरा बढ जाता है, लेकिन ये ख़तरा उन महिलाओं में ज्यादा होता है जो डायबिटीज़ से पीड़ित होती हैं या जो धूम्रपान करती हैं.
- माइग्रेन से पीड़ित महिलाओं को स्ट्रोक का ख़तरा अपेक्षाकृत दोगुना होता है.
दिल का दौरा पड़ने के संकेत
- सांस लेने में तकलीफ़ महसूस होना, थकान लगना, गले, जबड़े या पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होना.
- सीने में दबाव और दर्द. एन्जाइना के मुक़ाबले यह दर्द ज्यादा देर तक रहता है.
- सीने का दर्द बांहों, कंधों, गले, पीठ और कमर में भी उतर सकता है.
- मितली, पसीना आना, दम घुटना, चक्कर, बेहोशी, बोलने में तकलीफ़ होना, उलझन महसूस होना, धुंधला दिखना.
कुछ लोगों को ये सारे लक्षण प्रकट होते हैं तो कुछ को इनमें से एक भी लक्षण दिखाई नहीं देते. ये लक्षण इतने आम होते हैं कि पीड़ित महिला को लगता है कि उसे बस यूं ही अच्छा नहीं महसूस हो रहा है. ये लक्षण दिल का दौरा पड़ने के भी हो सकते हैं, इसका ख़याल तक उसके मन में नहीं आता, लेकिन अगली बार ये लक्षण नज़र आएं तो इन्हें नज़रअंदाज़ न करें. क्या पता आपकी लापरवाही आपकी जान ले ले.
ये सावधानियां भी ज़रूरी हैं
- सबसे पहले अपने दिल से दोस्ती करें. अपने आप से प्यार करें, ताकि आप अपना ज़्यादा से ज़्यादा ख़याल रखें.
- स्मोकिंग और अल्कोहल को ना कहें. हालांकि स्मोकिंग पुरुषों में भी हृदय रोग का बड़ा कारण है, लेकिन ये महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है.
- जंक फूड को छोड़कर हेल्दी डायट लें, ताकि आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलन में रहे.
- भले ही कोई लक्षण नज़र न आए, लेकिन फिर भी समय-समय पर अपना पूरा टेस्ट कराते रहें, ताकि रोग की कोई संभावना होने पर समय रहते उसका इलाज कराया जा सके.
- कई बार दिल के दौरे के संकेत बहुत हल्के होते हैं, लेकिन इन संकेतों को आम समझकर अस्पताल जाने में देरी न करें. जल्दी से जल्दी इलाज कराएं, ताकि कोई ब्लॉकेज आदि होने पर उसे क्लियर किया जा सके.
- वज़न पर काबू रखें.
- नियमित एक्सरसाइज़, योग या मॉर्निंग वॉक की आदत डालें.
- महिलाएं यदि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले रही हैं तो इसके ख़तरों के बारे में डॉक्टर से पहले ही पूछ लें.
- 2 डी इको, लिपिड प्रोफाइल, डायबिटीज़ आदि कुछ आसानी से किए जा सकने वाले टेस्ट हैं, जिनसे आप अपने दिल की सेहत का जायज़ा ले सकती हैं.
हार्ट अटैक पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में लिए अधिक ख़तरनाक
- दरअसल स्त्रियों के दिल में पाई जानेवाली कोरोनरी आर्टरीज़ पुरुषों की अपेक्षा छोटी व संकरी होती हैं, जिससे उनके ब्लॉक होने का ख़तरा रहता है. आर्टरिज़ के ब्लॉक होने पर हार्ट अटैक की गंभीरता भी अधिक होती है, दिल की पेशियों के डैमेज होने व मृत्यु का ख़तरा भी अधिक रहता है.
- दूसरे महिलाओं में हार्ट अटैक के प्रत्यक्ष लक्षण नज़र नहीं आते, इस कारण परिवार वाले जान ही नहीं पाते कि उसे हार्ट अटैक आया है, जिससे उसे हॉस्पिटल ले जाने में देरी हो जाती है और इलाज में देरी कई बार मृत्यु का कारण बन जाती है.
चेकअप कराना कब ज़रूरी है?
- आपकी उम्र से 30 वर्ष से अधिक है.
- काम करते वक़्त आपकी सांसें फूलने लगती हैं.
- वज़न औसत से 10 से 15 किलो अधिक हो.
- आपको डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचाप की शिकायत है.
- आप अपने ऑफिस में स्ट्रेस से जूझ रहे हैं.
- पेट पर चर्बी का जमाव ज़्यादा हो और कमर की चौड़ाई 80 सें.मी. से अधिक हो.
- फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज़ लेवल 100 या उससे अधिक हो.
- आपके परिवार में किसी को हार्ट डिसीज़, डायबिटीज़ या हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत है.
रखें ख़याल मांसपेशियों की जकड़न का ख्याल
अक्सर कभी-कभी बैठे-बैठे तो कभी रात को सोते समय मांसपेशियों में जकड़न यानी क्रेम्प से आप बेचैन हो उठती हैं. इसको हल्के से न लें. यह पेरीफेरल आर्टिअल डिसीज़ हो सकती है. कूल्हे, जांघ या फिर चलते हुए क्रेम्प के आने का अर्थ है कि उस हिस्से में रक्त प्रवाह नहीं पहुंच रहा. ऐसे में डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें.
एस्प्रीन दिल की बीमारी की सबसे सस्ती दवा
एस्प्रीन का सेवन हृदयरोगियों के लिए वरदान है और 20 % तक मृत्युदर कम कर देती है. उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापे, धूम्रपान, हृदयरोग, पारिवारिक पृष्ठभूमि हो तो डॉक्टर 75 मिग्रा. से 100 मिग्रा. तक एस्प्रीन लेने की सलाह देते हैं, ताकि ख़तरे को 30% तक कम किया जा सके. सीने में दर्द हो तो एस्प्रीन चबाने से अटैक से होनेवाली क्षति को कम किया जा सकता है.