एक दिन मैं
अपनी ही धड़कनों से
नाराज़ हो गया
इतनी सी शिकायत लेकर
कि जब तुम
उसके सीने में नहीं धड़क सकती
तो मेरे सीने में धड़कने की
ज़रूरत क्या है
धड़कनों का मज़ा तो तभी है
जब वो महबूब के
दिल में धड़कना जानें
जैसे मेरे दिल में
तड़पती हुई
तुम्हारी धड़कन...
- शिखर प्रयाग
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Photo Courtesy: Freepik
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