कलमाड़ी का कमाल का दाव… बने IOA के आजीवन अध्यक्ष (Wrong inning played by IOA: Kalmadi will be honorary life president!)
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क्या कोई संघ देश और सरकार से ऊपर हो सकता है? आपका उत्तर भी शायद नहीं होगा, लेकिन ये इंडिया है. यहां कुछ भी हो सकता है. सरकार को ख़बर भी नहीं लगती और तमाम संघ अपना काम कर जाते हैं. कुछ ऐसे निर्णय भी ले लेते हैं, जिन पर किसी को अंदेशा भी नहीं होता. खेल की दुनिया में कुछ ऐसा हुआ, जिसने देश ही दुनिया में देश के प्रशासन पर सवाल उठा दिया. आख़िर क्या हुआ ऐसा? आइए, जानते हैं.किस बिना पर कलमाड़ी को सौंपा यह पद?
भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) ने चेन्नई में अपनी वार्षिक आम सभा में राष्ट्रमंडल खेल 2010 के दागी कलमाड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक अन्य पूर्व अध्यक्ष चौटाला को आजीवन अध्यक्ष बनाने का फैसला कर लिया. ऐसा करते ही उसके ़फैसले पर चारों ओर से सवाल उठने लगा है. जैसे ही उसने यह घोषणा की खेल मंत्री विजय गोयल ने दागी सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को आजीवन अध्यक्ष बनाने के लिये भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को आड़े हाथों लिया. हम आपको बता दें कि 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में घोटाला करने के आरोप में कलमाड़ी को 10 महीने तक जेल की सज़ा भी काटनी पड़ी थी. ऐसे में इतने साल के भीतर फिर से उसी दागी को फिर से आजीवन अध्यक्ष बनाने का ़फैसला कहां तक उचित है?
क्या खेल एसोसिएशन बड़ा है खेल मंत्रालय से?
भारत में इस तरह के फैसले न केवल देश के भीतर, बल्कि देश के बाहर भी देश की छवि धूमिल करते हैं. इस तरह के ़फैसलों के बाद सरकार, खेल मंत्रालय पर एक तरह का सवालिया निशान लग जाता है.