मैडम को तैयार होने में कम से कम दो घंटे तो लगते ही हैं… घर की चाबी भूल जाएंगी, मगर पर्स में लिपस्टिक, काजल रखना नहीं भूलतीं… पत्नी पर इस तरह के कमेंट करने में पुरुष हमेशा आगे रहते हैं, मगर बात जब उनकी आदतों की आती है, तो जनाब बगले झांकने लगते हैं. ख़ुद को मिस्टर परफेक्ट समझने वाले पुरुष अपनी किन आदतों से बाज़ नहीं आते? आइए, हम बताते हैं.
- झूठ बोलने में माहिर होते हैं
ज़रूरी नहीं कि झूठ बोलने के पीछे उनकी मंशा ग़लत हो या इसके पीछे उनकी कोई साजिश छुपी हो, फिर भी पुरुष किसी न किसी बात पर अक्सर झूठ बोल ही देते हैं. वो भी ऐसा झूठ जिसे पत्नी या तो पकड़ लेती है या वो ख़ुद अपने मुंह से सच उगल देते हैं, तब भी झूठ बोलने की अपनी आदत से वो बाज़ नहीं आते. पत्नी के ताने मारने और लाख समझाने के बावजूद पुरुष झूठ बोलने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते.
2. बने रहते हैं मां के लाड़ले
पत्नी सुबह से लेकर शाम तक पति की खिदमत में लगी रहती है, उनकी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करती है, मगर पुरुष ख़ुद को कभी जोरू का ग़ुलाम नहीं मानते, वो हमेशा मां के लाड़ले बने रहना चाहते हैं. इतना ही नहीं, पत्नी के मुंह से पुरुष अपनी मां की बुराई भी सुनना पसंद नहीं करते. मां के कहने पर वो पत्नी को भले ही कुछ भी कह दें, पर पत्नी के मुंह से मां के लिए निकला एक भी ग़लत शब्द वो बर्दाश्त नहीं कर पाते.
3. नहीं चूकते ख़ूबसूरत लड़कियां देखने से
क्या ख़ूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो…,
चांद-सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था… जैसे रोमांटिक गीत पत्नी की तारीफ़ में गाने वाले पति ख़ूबसूरत लड़कियों को देखने का कोई भी मौक़ा नहीं गंवाते. कभी पत्नी के सामने तो कभी चोरी-छिपे वो ख़ूबसूरत लड़कियों को एक नज़र देखते ही हैं, फिर चाहे उनकी पत्नी हुस्न की मल्लिका ही क्यों न हो.
4. टकटकी लगाए देखते हैं टीवी पर
धारावाहिकों के नाम से पत्नी को बदनाम करने वाले पुरुष ख़ुद भी टीवी से सटे रहते हैं, ख़ासकर तब जब क्रिकेट चल रहा हो. गेंदबाज़ों के हाथ से कैच भले छूट जाए, मगर टकटकी लगाए क्रिकेट देखने वाले पुरुषों की नज़रों से एक गेंद भी नहीं छूटती. क्रिकेट के दौरान आने वाले विज्ञापनों को भी वो उतनी ही दिलचस्पी से देखते हैं, जितनी दिलचस्पी से गेंद, इसलिए पत्नी के कहने पर वो एक सेकंड के लिए भी चैनल चेंज नहीं करते. पानी से लेकर चाय, नाश्ते से लेकर खाना भी टीवी के सामने बैठकर खाते हैं.
5. तारीख़ें याद रखने की तकलीफ़ नहीं करते
पिछले महीने घर चलाने या बच्चों की ट्यूशन फीस के लिए पति ने आपको कितने पैसे दिए थे, ये सवाल अगर आप उनसे आधी रात में भी पूछेंगी, तो जवाब देने में वो एक मिनट की भी देरी नहीं करेंगे, लेकिन वहीं उनसे ज़रा अपनी एनिवर्सरी, बर्थ डे की तारीख़ पूछ लें, तो उनके पसीने छूटने लगेंगे. ये जनाब पैसों का हिसाब याद रखने में हमेशा से आगे रहते हैं, पर तारीख़ याद रखने की तकलीफ़ नहीं करते.
6. गैजेट्स की दुनिया में खोए रहते हैं
पतियों के लिए कही जाने वाली मशहूर पंक्ति ‘सारी दुनिया एक तरफ़, जोरू का भाई एक तरफ़’ को अगर बदलकर ये कहें कि सारी दुनिया एक तरफ़, उनकी दुनिया गैजेट्स तक, तो बिल्कुल ग़लत नहीं होगा. कुछ महीनों के अंतराल पर गैजेट्स बदलने वाले पुरुष दिन का आधा से ़ज़्यादा समय मोबाइल, लैपटॉप जैसे गैजेट्स को देते हैं. अगर उनके हाथ कोई हाईटेक गैजेट लग जाए, तो असली दुनिया को छोड़कर वो गैजेट्स की दुनिया में ही गुम हो जाते हैं.
7. गंदगी फैलाने से बाज़ नहीं आते
बाहर सूट-बूट पहनकर इतराने वाले पुरुष घर में गंदगी फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. कोई चीज़ खाने के बाद पैकेट वहीं फेंक देना, खाते वक़्त खाना डायनिंग टेबल पर गिराना, टॉयलेट की सीट को गंदा छोड़ देना… जैसी तमाम बुरी आदतें पुरुष रोज़ाना दोहराते हैं. घर की सफ़ाई तो दूर, घर में गंदगी फैलाने से वो कभी बाज़ नहीं आते.
8. ब्लेम गेम के सिकंदर
देर रात जागने की वजह से सुबह ऑफिस जाने में देर हो जाए या लापरवाही के चलते गाड़ी की चाबी कहीं खो जाए… मुद्दा चाहे जो भी हो, मगर पुरुष हर छोटी से बड़ी ग़लती के लिए कभी ख़ुद को ज़िम्मेदार नहीं मानते. वो अपनी हर एक ग़लती के लिए पत्नी को ही ज़िम्मेदार ठहराते हैं. पत्नी को ब्लेम करते हुए कहते हैं कि तुम ग़ैर ज़िम्मेदार हो, तुम चीज़ों की सही ढंग से देखभाल करना नहीं जानती.
9. पीकर भी कहते हैं, ‘पिला दी गई है…’
पति को शराब पीने से रोकने के लिए पत्नियां हर तरह के हथकंडे अपनाती हैं, मगर पति जब बाकी आदतों को नहीं छोड़ सकते, तो भला ख़ुद को पीने से कैसे रोक सकते हैं. इसलिए पत्नी के लाख मना करने पर भी जब वो दोस्तों के साथ पीकर घर आते हैं, तो पत्नी के डर से कहते हैं, “मैंने पी नहीं है, पिला दी गई है.”
10 दिल की बात ज़ुबां पर नहीं आने देते
पत्नी को बेवजह खरी-खोटी सुनाने का पुरुष कोई मौक़ा हाथ से जाने नहीं देते, लेकिन पत्नी के लिए उनके दिल में जो प्यार व सम्मान होता है, उसे वो ज़ुबां पर लाने से कतराते हैं. हालांकि ऐसा करना उनके लिए ही फ़ायदेमंद है, फिर भी पुरुष अपनी इस आदत से बाज़ नहीं आते.