मंज़िलें छोटी लगने लगती हैं जब सपने बड़े हो जाते हैं, मुश्किलें गौण हो जाती हैं जब नज़रें आसमान पर होती हैं... जब हथेली में सूरज को कैद कर लेने का हुनर हो और ख़्वाहिशों को अपने क़दमों पर झुका लेने का जिगर, तो हमें समझ जाना चाहिए कि सामने बस एक ही शख़्स है... विजेंदर... विजेंदर और स़िर्फ विजेंदर! पलकों पर सितारों का चमकना और आंखों में चांद का खिलना आसान-सा लगता है और सारी उपमाएं, सारी तारी़फें बेतुकी-सी लगने लगती हैं... इस देसी बॉय के हॉट एंड हिट अंदाज़ के सामने. शब्द बिखर जाते हैं... वक़्त सिमट जाता है और हम बस देखते रह जाते हैं इस टैलेंटेड बॉक्सर के सुपरहिट पंचेज़ को, जिनका जवाब उनका मुकाबला कर रहे विरोधी के पास भी नहीं होता.
विजेंदर के देसी मुक्कों में कितना दम है, ये तो चेका जैसे खूंख़ार बॉक्सर को मात्र चंद मिनटों में चारों खाने चित्त करके ही उन्होंने दुनिया को दिखा दिया था ...बड़बोले चेका को घर का रास्ता दिखा चुके विजेंदर ख़ुद क्या कहते हैं और क्या सोचते हैं बॉक्सिंग और उसके फ्यूचर के बारे में आइए विजेंदर (vijender singh) से ही जानते हैं इस दिलचस्प मुलाक़ात में...
सबसे पहले Congratulations आपकी इस बड़ी जीत के लिए और अपने टाइटल (डब्लूबीओ एशिया-पेसिफिक सुपर मिडलवेट) को डिफेंड करने के लिए. थैंक यू वैरी मच! सच कहूं तो मैं स़िर्फ जीता हूं, इस जीत को बड़ा तो मेरे देशवासियों और आप सबने बनाया है... जो भी स्पोर्ट्स को प्यार करता है, गेम की क़द्र करता है उन सभी को दिल से शुक्रिया कहना चाहता हूं. सबने सपोर्ट किया, हौसला दिया और उनकी दुआओं ने मुझे विनर बनाया.
बॉक्सिंग का फ्यूचर कितना ब्राइट है इंडिया में? बहुत ही ज़्यादा ब्राइट है... लोग गेम को समझते हैं, इतना प्यार देते हैं, ऐसे में प्लेयर्स को भी बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है. इंडिया में भी अब लोग इस स्पोर्ट्स के महत्व को समझने लगे हैं और उसे गंभीरता से भी लेने लगे हैं.
पिछली बार के मुकाबले इस बार लोगों का और भी अच्छा रेस्पॉन्स मिला... तो अपने फैंस को कुछ कहना चाहेंगे? सभी को थैंक्स कहूंगा और आगे भी इसी तरह प्यार देते रहें... मुझमें और गेम में विश्वास जताते रहें... उनको निराश नहीं होने देंगे हम.
जो युवा बॉक्सिंग को करियर के तौर पर देखते हैं उनको क्या राय देना चाहेंगे? मेहनत के अलावा आगे बढ़ने का कोई रास्ता या शर्त नहीं है... इसलिए चाहे कोई भी स्पोर्ट्स हो या ज़िन्दगी में आप जो भी करना चाहें, एकमात्र ऑप्शन है तो स़िर्फ और स़िर्फ मेहनत ही है.
अपनी फिटनेस और डायट के लिए क्या ख़ास करते हैं? जमकर प्रैक्टिस करता हूं. बिना प्रैक्टिस और मेहनत के रिज़ल्ट नहीं मिलता, तो सबसे ज़रूरी है कि इनको नज़रअंदाज़ न करें. डायट में मैं प्रोटीन लेता हूं, क्योंकि फिटनेस बनाए रखने के लिए वो बहुत ज़रूरी है... इसलिए उसे अपने डायट का हिस्सा ज़रूर बनाता हूं.
आप सब विदेशी प्लेयर्स के साथ भी खेलते हैं... उनकी तकनीक और फिटनेस हमसे कितनी बेहतर होती है या क्या कुछ फर्क होता है उनमें और हमारी अप्रोच में? हम उनसे अच्छे और बेहतर हैं... ये सब स़िर्फ कहने की बात है कि उनका फिटनेस लेवल या टेकनीक हमसे बेहतर होती है, जबकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है. हमको ख़ुद को कभी भी कम नहीं आकना चाहिए. ख़ुद पर भरोसा रखेंगे, तो बेहतर परफॉर्म करेंगे.
अन्य गेम्स के मुकाबले बॉक्सिंग को कहां देखते हैं जहां तक सुविधाओं और पैसों की भी बात करें तो ? बॉक्सिंग काफी आगे है, न पैसों की कमी है, न सुविधाओं की... न टैलेंट की कमी है और न ही जज़्बे की... हम तैयार हैं दुनिया की नज़रों में नज़रें डालकर बात करने के लिए... पैसों की भी बात करे, तो वर्ल्ड का हाइयेस्ट पेड प्लेयर भी एक बॉक्सर ही है, तो इसी से अंदाज़ा लगा लीजिए कि बॉक्सिंग का लेवल कितना ऊंचा है और लोग इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं.
बात करें आपकी हॉबीज़ की तो गेम से हटकर क्या करना भाता है...? खूब सोना ... हां, ये सच है, मुझे सोना बहुत पसंद है और जब भी समय मिलता है, मैं जमकर सोता हूं.
फ्री टाइम में और क्या करना पसंद करते हैं जब सोते नहीं हैं तो ? आई लव म्यूज़िक. म्यूज़िक का मैं बहुत शौक़ीन हूं. वो एक थेरेपी की तरह काम करता है... मन-मस्तिष्क को सुकून देता है... गीत हों, ग़ज़ल हों, पंजाबी सॉन्ग्स हों... सब सुनता हूं.घर से दूर जब होते हैं, तो क्या सबसे ज़्यादा मिस करते हैं? विदेश में होता हूं, तो अपने देश को मिस करता हूं. अपनी मिट्टी... अपना मुल्क तो सभी को याद आता है...
दोबारा आपको रिंग में कब देख पाएंगे? मार्च या अप्रैल तक. दूसरे टाइटल्स पर भी हमारी नज़र है कि वो भी हमारे देश के नाम हों, तो तैयारी चल रही है और उम्मीद है बहुत जल्द आप सब मुझे फिर से रिंग में देखेंगे.
शुक्रिया इतने बिज़ी शेड्यूल में भी हमें अपना समय देने के लिए. थैंक यू.
- गीता शर्मा