बुज़ुर्गों का समाज में महत्व (Why It Is Important to Care For Our Elders)
चेहरे पर अनुभवों की सिल्वटें जब झुर्रियों के रूप में उभर आती हैं, तब ज़िंदगी काफ़ी बदल जाती है. एक लंबा अनुभव साथ होता है, लेकिन उन अनुभवों को बांटने के लिए उनके अपनों के पास ही व़क्त नहीं होता. ऐसे में बुज़ुर्ग ख़ुद को महत्वहीन समझने लगते हैं. जबकि सच यही है कि उनका महत्व समाज व परिवार दोनों ही के लिए बहुत ज़्यादा है.- हमें अपने रीति-रिवाज़ व संस्कार उन्हीं से मिलते हैं.
- जब ज़िंदगी कठिन मोड़ से गुज़रती है, तो उन्हीं की सलाह व प्रेरणा काम आती है.
- समाज को सही राह पर चलने की शिक्षा उन्हीं से मिलती है.
- आज की पीढ़ी व समाज में भी फ़िज़ूलख़र्ची और ज़िंदगी को लापरवाह अंदाज़ में जीने के तरी़के बढ़ रहे हैं, ऐसे में वो ही हमें सही राह दिखाते हैं.
- ज़िंदगी को अनुशासन से जीना कितना ज़रूरी है, समय की पाबंदी, पानी व बिजली की बचत, कम सुविधाओं में भी कैसे गुज़ारा किया जा सकता है आदि वो अच्छी तरह से जानते व समझा सकते हैं.
- विनम्रता का महत्व व सकारात्मकता से जीने का अंदाज़ उन्हीं से हम सीख सकते हैं.
- उन्होंने किस तरह से अभावों के बीच भी जीना व संघर्ष करना सीखा, जबकि हमें वो सारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, ऐसे में हमें ज़िंदगी से शिकायतें क्यों हैं? हम अपने घर के बड़े-बुज़र्गों को देखकर उनसे सबक ले सकते हैं.
- बेहतर होगा कि उनकी कांपती ज़िंदगी का दर्द हम समझें और उन्हें अपना व़क्त देकर उनका क़ीमती आशीर्वाद लें, ताकि ज़िंदगी आसान व ख़ुशगवार हो.
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