कॉन्ट्रोवर्सी क्वीन कंगना रनौत ने एक बार सोशल मीडिया पर ट्वीट करके अपने मन की भड़ास निकाली है. कोरोना के बढ़ते मामले पर एक बार फिर कंगना ने खुलकर आवाज़ उठाई है. कंगना ने आखिर क्यों कहा, 'शांत हो जाओ मूर्खों'?
देशभर में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जिसके चलते लोगों के मन में डर और तनाव बढ़ता जा रहा है. हॉस्पिटल में बेड, दवाइयां, ऑक्सीजन, यहां तक कि वैक्सीन की भी कमी होने लगी है. देशभर में कोरोना के मामले इतनी तेज़ी से बढ़ रहे हैं कि अस्पतालों के अलावा कई सामाजिक संस्थान भी आम लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. कई मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, वेडिंग हॉल आदि को कोविड केयर सेंटर में परिवर्तित कर दिया गया है. इसके बावजूद देशभर में अफरातफरी का माहौल है. लोगों के डर और हताशा को देखते हुए बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत ने ट्वीट कर लोगों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. आखिर कंगना को लोगों से क्या शिकायत है?
कॉन्ट्रोवर्सी क्वीन कंगना रनौत की ये खासियत है कि वो किसी से नहीं डरती और हर मुद्दे पर बेबाक होकर बोलती हैं. इस बार कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से त्रस्त लोगों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है और इसके लिए उन्हें खुद जिम्मेदार ठहराया है. कंगना रनौत ने ट्वीट करके लोगों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. कंगना ट्वीट करके लिखा है, 'मौजूदा हालात से जो भी नाराज, हताश और त्रस्त है, वो खुद इसका हकदार है और इसके लिए जिम्मेदार भी है. अगर सूरज ने न चमकने का फैसला किया, तो इसका उसे आपको कोई स्पष्टीकरण नहीं देना चाहिए. ये धरती माता जिसने आपको पोषित किया, यही अचानक आपकी दुश्मन हो गई, वह आपको स्पष्टीकरण नहीं देना चाहती. शांत हो जाओ मूर्खों.'
कंगना रनौत के इस ट्वीट पर कई लोगों ने कमेंट्स किए हैं. वैसे भी कंगना के ट्वीट होते ही ऐसे हैं कि लोग खुद को कमेंट करने से रोक नहीं पाते. कंगना रनौत ने कुछ समय बाद एक और ट्वीट किया. अपने इस ट्वीट में में कंगना ने लिखा, 'पृथ्वी आपके लिए अपनी धुरी पर नहीं चलती, सूरज आपकी मूर्ख मुद्रा के लिए नहीं चमकता. माइक्रोकॉस्म में भी ये पृथ्वी एक परमाणु की तरह है, जो इस विशाल ब्रह्मांड में आपके जीवन की चिंता करता है? चाहे हमें ज़िंदगी मिले या मौत, सिर्फ वाजिब भावनाओं के लिए आभार है, बैठ जाओमूर्खों.'
कंगना रनौत के ट्वीट एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. कंगना अपनी भड़ास के माध्यम से लोगों को सचेत करने की कोशिश कर रही हैं कि प्रकृति के इशारे को समझो. आप आज जो भुगत रहे हैं, इसके लिए आप खुद ही ज़िम्मेदार हैं. क्या वाकई हमने पृथ्वी और प्रकृति के साथ अति की है. हमें जो संसाधन पृथ्वी और प्रकृति ने दिए, क्या हमने उनका सही उपयोग किया? ये सवाल हम सभी को खुद से जरूर पूछना चाहिए.