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कहानी- आंखें बोलती हैं… 5 (Story Series- Aankhen Bolti Hain… 5)
"मैंने तो बहुत मना किया था, पर मम्मी-पापा...” उसने बात अधूरी छोड़ दी.
सरस को लगा उसकी मजबूरी है शादी करना भी. वह चुप हो गया.
"आप क्या करते हैं..?
”मेरी जाॅब इसी साल लगी. बीटेक और एमबीए किया है.”
"रुहानी से भविष्य में आपका शादी का इरादा है..?”
"इरादा तो यही था पर...”
"पर..?” शीना ने बहुत हसरतभरी नज़र उस पर डाली.
... "यही मुश्किल मेरे साथ भी है. नीलेश से मेरी शादी भी तय होने को है, पर बात-बात पर शक करता रहता है. कभी-कभी बहुत परेशान हो जाती हूं. उसे पता चल गया होगा... पता नहीं क्या-क्या बोलेगा...” शीना की बड़ी आंखों में आंसू भर गए.
"साॅरी, मेरे कारण आपको परेशानी हो गई...”
"नहीं नहीं... आप क्यों साॅरी कहते हैं. सारी ग़लती तो मेरी थी...” शीना भी बैठती हुई बोली, "अब क्या करें?”
"वही मैं सोच रहा हूं. अब क्या करें..." दोनों ने एक-दूसरे को देखा.
"पहले फोन करते हैं...” दोनों के मुंह से एक साथ निकला.
दोनों ने फोन मिलाए. लेकिन नीलेश व रुहानी दोनों का पारा इतना हाई था कि वे उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे. दोनों अपने-अपने घर वापस जा चुके थे.
"गेट लाॅस्ट...” दोनों के मुंह से एक साथ निकला और दोनों ने अपने अपने फोन पटक दिए.
"अब..?" सरस ने शीना की तरफ़ देखा. वह भी उसकी तरफ़ ही देख रही थी. बड़ी-बड़ी शांत आंखों में उलझन थी. बहुत अधिक सुंदर न होते हुए भी उसके शांत व संतुलित से व्यक्तित्व में अजीब-सी कशिश थी.
लाजवाब लड़की है और कितनी कूल! नीलेश से घबराई हुई है. यहां तो रुहानी हर समय उसके ऊपर चढ़ाई करने को तैयार रहती है. वह ख़ुद हर समय उससे घबराया रहता है. बेहद ख़ूबसूरत रुहानी के परिवार का आर्थिक स्तर ऊंचा होने के कारण उसे इस बात का घमंड भी रहता है. बिज़नेस क्लास की लड़की होने के कारण उसके माता-पिता का इस शादी के लिए तैयार होना भी मुश्किल है और रुहानी जैसी नकचढ़ी लड़की की उसके माता-पिता के साथ पटरी बैठनी भी. उसे भी हर समय दबा रहना पड़ेगा. काश! इसके जैसी होती रुहानी.
शीना भी लगभग यही सोच रही थी. क्या लड़का है. सौम्य और शांत. पति तो ऐसा होना चाहिए दोस्त जैसा. जो तुम्हें समझ सके, यह नहीं कि कोई ग़लती हो जाए, तो दाना-पानी लेकर चढ़ जाए. आज उसकी ग़लती से इसके सामने कैसी परेशानी खड़ी हो गई, पर फिर भी कितनी विनम्रता से काम ले रहा है. नीलेश होता, तो किसी अजनबी लड़की को भी डांट देता. नीलेश के साथ वह हर समय एक खौफ़ महसूस करती है.
पलभर चुप रहकर सरस ने ही बात शुरू की, ”काॅलेज में पढ़ती हो...”
"हां, एमकाॅम फाइनल इयर में हूं."
"उसके बाद..?”
"उसके बाद... पता नहीं... मम्मी-पापा तो शादी करना चाहते हैं.”
"लेकिन इतनी जल्दी शादी क्यों कर रही हो. आजकल तो लड़कियां भी नौकरी के बाद शादी करती हैं.”
"मैंने तो बहुत मना किया था, पर मम्मी-पापा...” उसने बात अधूरी छोड़ दी.
सरस को लगा उसकी मजबूरी है शादी करना भी. वह चुप हो गया.
"आप क्या करते हैं..?
"मेरी जाॅब इसी साल लगी. बीटेक और एमबीए किया है.”
"रुहानी से भविष्य में आपका शादी का इरादा है..?”
"इरादा तो यही था पर...”
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"पर..?” शीना ने बहुत हसरतभरी नज़र उस पर डाली.
"आज के बाद क्या सीन होता है पता नहीं... बहुत ज़िदी और घमंडी लड़की है... हमेशा हवाई महल बनाती रहती है. कल्पनाओं के घोड़ों पर सवार रहती है." सरस इस समय रुहानी के व्यवहार से क्षुब्ध था.
शीना भी नीलेश के व्यवहार से दुखी थी. दोनों को एक-दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था.
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...
सुधा जुगरान
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