चैत्र नवरात्रि 2021 कल यानी 13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं. ऐसे में हर कोई घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानना चाहता है. आपको घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि की जानकारी से रही हैं एस्ट्रो-टैरो एक्सपर्ट व न्यूमरोलॉजिस्ट मनीषा कौशिक.
चैत्र नवरात्रि 2021 कलश स्थापना मुहूर्त 13 अप्रैल 2021
चर लग्न: प्रातः 6:02 से 7:38 बजे तक
स्थिर लग्न: प्रातः 7:38 से 9:34 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: मध्याह्न 11:56 से 12:47 बजे तक
सिंह लग्न (स्थिर लग्न): अपराहन 14:07 से 16:25 बजे तक
चौघड़िया के अनुसार घटस्थापना के शुभ मुहूर्त
लाभ चौघड़िया प्रातः 10:50 से अपराहन 12:25 बजे तक
अमृत चौघड़िया अपराहन 12:26 से 2:01 बजे तक
चैत्र नवरात्रि 2021 घटस्थापना विधि
चैत्र नवरात्रि में शक्ति, प्रेम, सौम्यता की देवी मां दुर्गा की नौ दिन तक पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मां शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन तक व्रत करने का बहुत महत्व है. नवरात्री की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है. कलशस्थापना के साथ इस नवरात्रि में जौ बोना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसे घर की सुख-समृद्धि और संपन्नता के लिए बोया जाता है.कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को की जाती है. आप भी जानिए कलश स्थापना और पूजा विधि.
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ये है घटस्थापना विधि
- नवरात्रि के दिनों में दोनों वक़्त की पूजा उपासना बहुत ही महत्वपूर्ण है.
- सूर्य उदय के पूर्व उठें और स्नान आदि कर खुद को शुद्ध कर लें.
- सबसे पहले भगवान सूर्य को जल अर्पित करें.
- एक चौकी लें या मंदिर में ही कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं.
- उस पर लाल कपडा बिछाएं और मां दुर्गा का चित्र व मूर्ति स्थापित करें.
- एक लोटे में जल भर लें और उस पर आम के पत्ते रखें.
- लोटे के मुख पर कलावा बांधे और कुमकुम से उस पर स्वस्तिक बनाएं.
- अब मां दुर्गा का नाम लेते हुए भगवान गणेश जी को याद करते हुए नारियल को जल के लोटे पर स्थापित करें.
- कलश के आगे हाथ जोड़ कर सिर झुका कर प्रणाम करें.
- अब एक मिट्टी का पात्र लें, उस पर भी कलावा बांधे और रोली से स्वस्तिक बनाएं.
- उस मिटटी के पात्र में मिटटी के बीच जौ ज्वारे बो दें.
- अब मां के चरण धोएं और उन्हें जल का छींटा भी दें.
- उन्हें नए वस्त्र अर्पण करें, वस्त्र लाल या गुलाबी रंग के हो.
- अब उन्हें सोलाह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पण करें.
- उन्हें हल्दी कुमकुम का तिलक करें.
- मां को सुपारी, पंचमेवा, इलाइची, लौंग, बताशे आदि फल मिठाईयों का भोग लगाएं.
- अब जो सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, पूरे नवरात्री की- नवरात्री में अखंड जोत जलाई जाती है, जिसका फल बहुत ही शुभ होता है, परन्तु आप अपनी क्षमता व सामर्थ्य के अनुसार जोत जला सकतें हैं.
- अखंड जोत जलाने की विधि:
एक मिट्टी या पीतल या चांदी का दिया लें.
उसमें कलावे की बनी बत्ती लगाएं और उसमें घी पिघला कर डालें.
कुछ देर बत्ती को पूरा घी में डूबे रहने दें और फिर बत्ती बाहर निकाल उसे प्रज्वलित करें.
जोत जलाते समय मां दुर्गा का यह मंत्र पढ़ें-
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥
अर्थात: हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगल मयी हो. कल्याण दायिनी शिवा हो. सब पुरुषार्थो को (धर्म, अर्थ,काम, मोक्ष को) सिद्ध करने वाली हो. शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो. हे नारायणी, तुम्हें नमस्कार है. (यह मन्त्र अगर आप पढ़ पाएं तो बहुत उत्तम होगा अन्यथा आप इसे फ़ोन, टीवी पर या किसी भी तरह से चला सकतें हैं) - अब मां देवी सप्तशती का पाठ करें और आरती कर अपनी सुबह की पूजा समाप्त करें.
- शाम के समय प्रदोष काल के वक़्त मां दुर्गा चालीसा पढ़ें व उनकी आरती करें और उन्हें फलाहार भोजन जैसे कुट्टू की पकोड़ी, सामक की पूरी, आलू सब्ज़ी आदि का भोग लगाएं और खुद भी ग्रहण करें.