क्या आपको याद है आपने अपने अपनों के लिए आख़िरी बार कब और क्या स्पेशल किया था? क्या आपको याद है कि कब आपने उन्हें इत्मीनान से बैठकर बात की थी? कब उनकी तारीफ़ की थी, कब उन्हें थैंक्यू कहा था और कब केयरिंग और प्यारभरे मीठे शब्द कहे थे? नहीं याद आ रहा न... याद आएगा भी कैसे, क्योंकि आप तो यह समझकर बैठे हैं कि सब कुछ तो ठीक ही चल रहा है, तो कुछ ख़ास क्या करना और इसकी ज़रूरत भी क्या है... आप यह भी सोचते होंगे कि जब सामनेवाला कुछ कहना ही नहीं, उसे शिकायत ही नहीं, तो सब ख़ुश ही होंगे या फिर यह भी हो सकता है कि आप अपने रिश्तों के बारे में अब सोचते ही नहीं, क्योंकि आपको न तो ये ज़रूरी लगता और न ही आपको होश है इस बात का... जब आपकी सोच और ज़िंदगी इस मुकाम पर आ जाए, तो समझ जाएं कि आप कुछ खो रहे हैं... आप अपने रिश्तों को लेकर बेहद कैज़ुअल हो रहे हैं... और अगर ऐसा ही चलता रहा, तो एक दिन रिश्ते भी कैज़ुअल होकर दम तोड़ देंगे और आप रिश्तों में होकर भी ख़ुद को तन्हा ही पाएंगे.
बेहतर होगा अपने रिश्तों को लेकर यह लापरवाही भरा रवैया समय रहते ठीक कर लें, वरना बाद में बहुत देर हो जाएगी...
- अक्सर ऐसा होता है कि शुरू-शुरू में रिश्तों में गर्माहट रहती है, सब कुछ नया लगता है और हम एक्स्ट्रा एफर्ट लेते हैं अपने पार्टनर को ख़ुश करने के लिए, लेकिन समय के साथ-साथ ये सब कम होता जाता है और ज़िम्मेदारियों में या ज़िंदगी की भागदौड़ में हम अपने रिश्तों को भी बेपरवाही व लापरवाही से लेने लगते हैं.
- हमें लगता है कि सब तो ठीक ही है और इसी के चलते हम आपस में क्वालिटी टाइम तक बिताने का मौका नहीं ढूंढ़ते.
- ख़ास मौकों पर भी हम ठंडे ही रहते हैं और इसी के चलते हमारे रिश्तों में भी ठंडापन पसरने लगता है. आपको अंदाज़ा भी नहीं हो पाता कि कब आपका वो रिश्ता असंतुलित हो गया, जिसे आप अब तक परफेक्ट समझ रहे थे.
- अगर हम बेवजह ग़ुस्सा हो जाते हैं, तो अगले दिन सॉरी कहने की भी ज़रूरत नहीं समझते, क्योंकि हमें लगता है कि छोटी-सी ही तो घटना थी, सॉरी कहने की क्या ज़रूरत.
- आप अपने रिश्ते के प्रति इतने लापरवाह न हो जाएं कि एक-दूसरे की तरफ़ ध्यान ही न दें और धीरे-धीरे रिश्ते में से रोमांस ही गायब हो जाए.
- आजकल हम स्पेस भी चाहते हैं रिश्तों में, लेकिन स्पेस का मतलब रिश्ते के प्रति बेपरवाह हो जाना नहीं होता.
- आसपास होते हुए भी अगर हम आपस में बातचीत ही न करें, तो वो स्पेस नहीं, बेपरवाही है. या तो आपकी इच्छा ही नहीं होती अब आपस में शेयरिंग की, हालचाल जानने की, तबीयत या किसी तकलीफ़ पर बात करने की, क्योंकि आप सभी अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त हैं. एक-दूसरे के सुख-दुख को जानने-समझने की ़फुर्सत ही नहीं रह गई. धीरे-धीरे रिश्तों में ख़ामोशी पसर जाती है और न जाने कब एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं.
- हमारे इसी कैज़ुअल रवैये के चलते हमें पता भी नहीं चलता और हमारे बीच कम्यूनिकेशन गैप हमारे इस हद तक बढ़ जाता है कि यदि आगे चलकर हम कुछ सवाल करते भी हैं, तो सामनेवाले को वो दख़लअंदाज़ी लगने लगता है, क्योंकि उसको आदत ही नहीं इसकी.
- एक और वजह है कि हम अपने रिश्तों के प्रति लापरवाह हो रहे हैं, वो यह कि अब सोशल साइट्स के रिश्ते ज़्यादा भाने लगे हैं. डिजिटल वर्ल्ड की
रंगीन दुनिया हसीन लगने लगती है. डिनर टेबल पर सब अपने मोबाइल फोन्स के साथ बैठते हैं. कहने को साथ खाना खा रहे हैं, पर कनेक्टेड कहीं और ही रहते हैं... लेकिन ध्यान रहे कि ये रिश्ते हमें ठगते ज़्यादा हैं और संबल कम देते हैं. उनके आकर्षण इतना न खो जाएं कि रियल रिश्ते बोझ लगने लगें या आप उनके प्रति बेपरवाह होने लगें.
- आप अगर यह समझते हैं कि हमारे बीच प्यार है, तो उसके इज़हार की ज़रूरत ही क्या है या फिर इतना अरसा हमने साथ गुज़ार लिया तो अब फॉर्मैलिटी क्यों करना, लेकिन यह सोच ग़लत है, प्यार जताना फॉर्मैलिटी नहीं है. प्यार है, तो उसका इज़हार भी ज़रूरी है.
- अगर आप अपनों के लिए कुछ ख़ास नहीं करते या उनकी दिनचर्या व रोज़मर्रा की बातों में दिलचस्पी ही नहीं लेते, तो उन्हें यही लगेगा आपको तो उनकी किसी भी बात से कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ता और दूसरी तरफ़ यह भी हो सकता है कि वो ग़लत राह पर भी चले जाएं, क्योंकि उन्हें यही लगने लगता है कि अब आपको कोई दिलचस्पी नहीं इस रिश्ते में तो भला वो ही क्यों वन वे ट्रैफिक चलाएं.
- क्या कभी समय से पहले घर आकर स़िर्फ अपनों के साथ बातें करने और उनका हालचाल जानने के लिए व़क्त निकाला है? शरीर से तो साथ रहते हैं, लेकिन मन दूर होते चले जाते हैं.
- कहीं ऐसा तो नहीं कि आप अपने पार्टनर के साथ एक बेड पर तो होते हो, लेकिन आप दोनों ही अपने-अपने फोन में बिज़ी रहते हो. आप दोनों को परवाह नहीं कि कौन, किससे बात कर रहा है, न ही इस बात की फिक्र है कि आपस में इतनी देर से आप दोनों के बीच कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही? जब इस तरह का ठंडापन आने लगता है, तो वो आपके कैज़ुअल रवैये का ही नतीजा होता है. इसका सीधा असर आपकी सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है, इसलिए इतने भी बेपरवाह न हो जाएं कि रिश्ते से रोमांस और फिर सेक्स गायब होने लगे.
क्या करें, क्या न करें?
- सबसे पहले अपना कैज़ुअल अप्रोच बदलें, थोड़ा सोचें और अगर आपको लग रहा है कि आपका रिश्ता पहले जैसा नहीं रहा, तो उसके कारणों पर आपस में बैठकर चर्चा करें और समाधान भी निकालें.
- रिश्ते की गर्मी बनाए रखने के लिए रोमांटिक बातें करें.
- एक-दूसरे के लिए, निजी पलों को जीने के लिए व़क्त समय निकालें, डेट्स प्लान करें, क्योंकि ऐसा न हो कि आप दोनों ही अपने-अपने फ्रेंड्स सर्कल के साथ ही पार्टी करते रह जाएं और यह भी याद न रहे कि आख़िरी बार आप दोनों ने साथ में व़क्त कब गुज़ारा था?
- छोटी-छोटी कोशिशें करें, आई लव यू और सॉरी कहें. गिफ्ट्स दें. सरप्राइज़ प्लान करें.
- टेक्स्ट मैसेज करें, फोन पर रोमांटिक बातें करें.
- अगर पार्टनर की तबीयत नासाज़ हो, तो ऑफिस से छुट्टी लेकर उनके साथ रहें, डॉक्टर के पास साथ जाएं. उन्हें कुछ बनाकर खिलाएं या बाहर से मंगवाएं.
- तारीफ़ करें, क्योंकि प्रशंसा सभी को अच्छी लगती है. उनके प्रयास को सराहें और उन्हें एहसास कराएं कि आपकी ज़िंदगी में उनकी क्या और कितनी अहमियत है.
- अब तक जो उन्होंने आप के लिए किया उसके लिए उनसे कहें कि आप क्या महसूस करते हैं, उनके बिना आपका जीवन कितना अधूरा और बेरंग है.
- उनकी पसंद का भी ख़्याल रखते हुए पहनें-ओढ़ें.
- कॉम्प्लीमेंट्स दें... ये तमाम छोटे-छोटे प्रयास बड़ा असर दिखाते हैं, लेकिन इन प्रयासों को करने के लिए आपको यह महसूस तो होना ज़रूरी है कि हां, आप अपने रिश्तों को वाकई कैज़ुअली लेने लगे हैं.
- न स़िर्फ पार्टनर बल्कि हर रिश्ते पर ये नियम लागू होता है, चाहे पैरेंट्स हों, भाई-बहन, दोस्ती या अन्य दोस्त... ज़रूरत से ज़्यादा कैज़ुअल अप्रोच आपके बीच दूरियां ही बढ़ाएगी.
- गोल्डी शर्मा