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निर्भया… दरिंदगी के 4 साल, अब भी नहीं बदले हैं हालात (Nirbhaya case: nothing has changed in 4 years)

women_safety_1364903939_1364903949_540x540-600x350   पूरे देश को झकझोर कर रख देनेवाले निर्भया रेप कांड को आज 4 साल पूरे हो गए हैं. 16 दिसंबर 2012 की काली रात को चलती बस में मासूम निर्भया के साथ हुई दरिंदगी ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया, मगर दिल दहला देने वाली इस घटना के इतने साल बाद भी क्या महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में ठोस प्रयास हुए हैं? क्या महिलाएं अब ख़ुद को सुरक्षित महसूस करती हैं? क्या बिना डर के रात के अंधेरे में वो अकेली कहीं आ-जा सकती हैं? देर रात बेटी के आने पर क्या माता-पिता बेफिक्र रहते हैं? इन सारे सवालों का जवाब ‘नहीं’ है. कहां हैं आरोपी? निर्भया रेेप कांड के 6 गुनहगारों में से एक पहले ही सुसाइड कर चुका है और नाबालिग आरोपी 3 साल की मामूली सज़ा के बाद जेल से छूट चुका है. बाकी 4 गुनहगारों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है. चारों ने दिल्ली हाईकोर्ट के मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. 2012 में इस घटना के ख़िलाफ़ पूरा देश एकजुट दिखा था, मगर लगता है अब लोगों की याददाश्त पर समय की धूल जम चुकी है. निर्भया के माता-पिता हर सुनवाई पर कोर्ट के चक्कर लगाते हैं, इस उम्मीद के साथ कि उनकी बेटी को शायद अब इंसाफ मिल पाए. निर्भाया रेप कांड के बाद सरकार ने ये क़दम उठाए थे * बलात्कार विरोधी विधेयक पारित करके रेप और गैंगरेप के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया. * यदि कोई आरोपी दोबारा ऐसा अपराध करता है, तो उसे मृत्युदंड का प्रावधान किया गया. * चार साल पहले केंद्र ने 1000 करोड़ रुपए से ‘निर्भया फंड’ बनाया था. * अब यह फंड 4 हजार करोड़ का हो चुका है. पर इसका 10% भी इस्तेमाल नहीं हुआ है. अपराधियों के मन में सज़ा का ख़ौफ़ पैदा कर पाने में क्यों नाकाम है क़ानून? स़िर्फ राजधानी दिल्ली ही महिलाओं के लिए असुरक्षित है ऐसा नहीं है, देश के तक़रीबन हर शहर, गांव-कस्बों में महिलाओं/बच्चियों के सेक्सुअल एब्यूज़ की ख़बरें आती रहती हैं और इन अपराधों में अभी तक किसी भी गुनहगार को ऐसी सख़्त सज़ा नहीं मिल पाई है, जो अन्य अपराधियों के लिए सबक बने या जिससे उनके मन में क़ानून का डर पैदा हो. नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों से साफ़ पता चलता है कि 16 दिसंबर की घटना के बाद भी कुछ बदला नहीं है. Women Safety Tips नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में भी देश की राजधानी दिल्ली में रोज़ 6 बलात्कार और 15 मोलेस्टेशन के केस दर्ज होते रहे. NCRB के मुताबिक भारत में हर साल हुए इतने रेप: 2011- 24,206 2012- 24,923 2013- 33,707 2014- 37,000 2015- 34,651 आवाज़ उठाना है ज़रूरी आमतौर पर महिलाएं ऐसे मामलों में जल्दी आवाज़ नहीं उठा पातीं, वो डरती हैं. ख़ासतौर पर अपने ही घर व रिश्तेदारों द्वारा सेक्सुअली एब्यूज़ होने पर अक्सर उन्हें चुप रहने की सलाह दी जाती है, जो ग़लत है. यदि बेटी मां से कहती है कि फलां चाचा/मामा या व्यक्ति ने मुझे गंदी निगाह से देखा, ग़लत तरी़के से छुआ, कुछ कमेंट किया... तो उससे ये न कहें, ‘छोड़ो न बेटी’, बल्कि उसकी बात को गंभीरता से सुनें और उसे विरोध करना सिखाएं. उसमें इतनी हिम्मत और आत्मविश्‍वास जगाएं कि यदि कोई भीड़ में उसके साथ छेड़खानी करने की कोशिश करे, तो वो चिल्लाकर उसका विरोध कर सके. यदि आज आप एक व्यक्ति द्वारा की गई ग़लत हरकत को बर्दाश्त करती हैं, तो कल को चार और लोगों की हिम्मत बढ़ जाएगी, लेकिन आप यदि उसी वक़्त विरोध करती हैं, तो दोबारा कोई ऐसा करने से पहले 10 बार सोचेगा ज़रूर. अपने ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है कि महिलाएं अपनी चुप्पी तोड़ें. Women Safety Tips ख़ुद करें अपनी हिफाज़त अपनी सुरक्षा सुनिश्‍चित करने के लिए ख़ुद महिलाओं को भी पहल करनी होगी. सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग के साथ ही हर समय अलर्ट व जागरूक भी रहना होगा. अपनी सेफ्टी के लिए इन बातों का ख़्याल रखें. * सड़क पर चलते समय अपनी ही धुन में न रहें, अपने आसपास की चीज़ों व लोगों पर नज़र रखें. * अपने परिवार वालों और क़रीबी दोस्तों को इस बात की जानकारी अवश्य दें कि आप कहां और किसके साथ हैं. * महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग भी ज़रूरी है. * कहते हैं, महिलाओं का सिक्स्थ सेंस (छठी इंद्रिय) बहुत स्ट्रॉन्ग होती है. अतः आपको किसी व्यक्ति की हरकत या बातचीत के तरी़के पर यदि किसी  तरह का संदेह होता है, तो उस व्यक्ति से दूर रहें. संभव हो, तो वहां से चली जाएं. * रास्ते में किसी भी अनजान शख़्स से भले ही वो कितना भी सभ्य दिखे, लिफ्ट लेने की ग़लती न करें. * रात में रास्ते से कोई भी कैब लेने की बजाय टैक्सी स्टैंड से ही कैब लें. ऑटो भी प्री-पेड बूथ से लें, तो अच्छा रहेगा. * यदि बस से जाना हो, तो ऐसी बस में न चढ़ें, जिसमें स़िर्फ ड्राइवर व कंडक्टर हों. 4-5 लोग हों तो, भी बस में न चढ़ें. कई बार ये लोग ड्राइवर-कंडक्टर  के दोस्त या जानकार ही होते हैं. * ऑटो/कैब से जा रही हैं, तो आपको रास्ते की जानकारी होनी चाहिए. जिस इलाके में आपको जाना है, उसके बारे में जान लें और रोड मैप अपने पास  रखें या अपने स्मार्ट फोन में गूगल मैप का इस्तेमाल करें. * ऑटो या टैक्सी का नंबर अपने मोबाइल में टेक्स्ट के रूप में तैयार रखें. थोड़ी भी गड़बड़ी लगे, तो अपने किसी दोस्त या जानकार को नंबर एसएमएस  कर दें. * आजकल कई सेफ्टी ऐप्स भी मौजूद हैं, जिसे आप अपने स्मार्टफोन पर डाउलोड करके ख़ुद को प्रोटेक्ट कर सकती हैं. अपने स्मार्टफोन पर ये आप ये  ऐप्स डाउनलोड कर सकती हैं - Safetipin, Raksha - women safety alert, Himmat, Women safety, Smart 24x7, Shake2Safety, bSafe. Women Safety Tips कार चलाते समय रहें सावधान * गाड़ी में सेंट्रल लॉक लगाकर ड्राइव करें. एसी है तो शीशे चढ़ाकर रखें. यदि न हो, तो खिड़की लॉक करके रखें. बस, एक ही शीशा खोलें. * गाड़ी में तेज़ म्यूज़िक न चलाएं. ड्राइव करते समय फोन पर बात न करें. * रात के व़क्त बेसमेंट में कार पार्क करने से बचें. वहां मोबाइल काम करना बंद कर सकता है. गाड़ी रोशनी वाली जगह पर पार्क करें. * यदि सड़क पर अचानक कार ख़राब हो जाए, तो सबसे पहले अपने घरवालों या किसी ऐसे दोस्त/जानकार को फोन करके अपनी स्थिति के बारे में  बताएं, जो पास में रहता हो. तुरंत कार हेल्पलाइन को बुलाएं. ये नंबर हमेशा मोबाइल में होना चाहिए. * अगर कोई कार या बाइक लगाकर, पेड़ आदि गिराकर या फिर एक्सीडेंट का बहाना बनाकर आपका रास्ता रोक ले, तो घबराकर गाड़ी से उतरें नहीं.  खिड़की-दरवाज़े लॉक करके कार में ही बैठी रहें और पुलिस को कॉल करें. यदि सामने वाला उतरकर आपकी कार की तरफ़ आने लगे, तो जल्दी से  कार रिवर्स करके भगा लें. हिफ़ाज़त के हथियार अपने पास हमेशा कुछ ऐसी चीज़ें रखें, जिससे अचानक अपराधी से सामना होने पर आप उस पर हमला करके ख़ुद को बचा सकें. * हमलावर की आंखों पर डियोड्रेंट स्प्रे करें. * अपने पास पेपर स्प्रे (मिर्च का स्प्रे) रखें. इसे हमलावर की आंखों पर स्प्रे करें. * पर्स में नेल फाइलर, नेलकटर, पेपर कटर आदि रखें. * पर्स भी आपका हथियार बन सकता है. पर्स को घुमाकर कसकर हमलावर के मुंह पर मारें. * यदि आपने हाई हील सैंडल पहन रखी हैं, तो उनसे हमलावर के चेहरे पर ज़ोर से मारें. * बेल्ट से भी ज़ोरदार वार किया जा सकता है.

- कंचन सिंह

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