वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बड़ा महत्व है. वास्तु के अनुसार यदि हम भोजन करते समय भी दिशाओं का ध्यान रखें, तो हम कभी बीमार नहीं पड़ेंगे. इसके और भी कई लाभ हो सकते हैं. इसलिए भोजन करते समय दिशाओं का ध्यान ज़रूर रखें.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार जिसे आयुष्य की इच्छा है, वह पूर्व दिशा में मुख कर, जिसे लक्ष्मी की इच्छा है, वह पश्चिम की ओर मुख कर भोजन करे. जिसको सदाचार और अच्छे गुण की इच्छा हो, वो उत्तराभिमुख बैठकर भोजन करे.
- शास्त्रों में भी विभिन्न कार्य करने के लिए दिशाओं के महत्व के बारे में बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार पूर्व दिशा में मुख कर अन्न ग्रहण करें, दक्षिण दिशा में मुख कर मलविसर्जन, उत्तर दिशा में मुख कर मूत्रविसर्जन एवं पश्चिम दिशा में मुख कर पैर धोएं.
किस दिशा में भोजन करने के क्या हैं लाभ?
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके भोजन करने से रोग और मानसिक तनाव दूर होता है. पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करने से तन-मन को एनर्जी मिलती है और आप हमेशा तरोताज़ा महसूस करते हैं. जो व्यक्ति या परिवार के जो बुजुर्ग अक्सर बीमार रहते हैं, ख़ासकर उन्हें पूर्व दिशा में बैठकर ही भोजन करना चाहिए. ऐसा करने से उन्हें स्वास्थ्य लाभ होगा.
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा में बैठकर भोजन करने से धन, विद्या एवं आध्यात्मिक शक्ति मिलती है. अगर कोई व्यक्ति अपना करियर शुरू करने की सोच रहा है या करियर में कुछ नया करने की प्लानिंग कर रहा है, तो उसे भी उत्तर दिशा में बैठकर भोजन करना चाहिए. इससे उन्हें सफलता ज़रूर मिलेगी.
पश्चिम दिशा
वास्तु शास्त्र में भोजन करने के लिए पश्चिम दिशा भी अच्छी मानी गई है. व्यापारी, नौकरीपेशा लोगों के लिए इस दिशा में अगर बैठकर भोजन करना अच्छा होता है. इसके अलावा क्रिएटिव फील्ड के लोग या जिन व्यक्तियों का दिमाग संबंधित कार्य है, उन्हें भी इस दिशा में बैठकर भोजन करना चाहिए.
दक्षिण दिशा में मुंह करके कभी न करें भोजन
- दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है, इसलिए कभी भी दक्षिण की ओर मुंह करके खाना नहीं खाना चाहिए.
- इससे दुर्भाग्य बढ़ता है और स्वास्थ्य ख़राब होने का डर रहता है.
- इससे व्यक्ति को पाचन समेत पेट संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मान-सम्मान पर भी प्रभाव पड़ता है.
इन बातों का भी रखें ख्याल
- वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में आए मेहमानों को दक्षिण या पश्चिम दिशा में बिठाकर खाना खिलाएं और खुद पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके खाएं.
- डाइनिंग टेबल को दक्षिण या पश्चिम की दीवार की तरफ रखें.
- वास्तुशास्त्र में गीले पैरों के साथ भोजन करना अच्छा माना गया है. इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु बढ़ती है.
- कभी भी टूटे या गंदे बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए. इससे दुर्भाग्य बढ़ता है और जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
- कभी भी बिस्तर पर बैठकर खाना न खाएं. इसके अलावा थाली को हाथ में उठाकर भी भोजन न करें. वास्तुशास्त्र में इसे अशुभ माना गया है.
- हमेशा ज़मीन पर बैठकर और पालथी मार कर खाना खाएं.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार हाथ-पैर-मुंह धोकर भोजन करने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है.
- खाने की थाली को हमेशा अपने
बैठने के स्थान से ऊपर रखें. ऐसा करने से परिवार में कभी भी खाने की कमी नहीं होती है.
- खाना खाने से पहले हमेशा भगवान को भोग लगाएं और खाते समय ना ही बात करें और ना ही कोई काम.
- डाइनिंग टेबल को हमेशा साफ-सुथरा रखें. खाना खाने के बाद डाइनिंग टेबल से सारे जूठे बर्तन तुरन्त हटा लें.
- खाने की टेबल को एकदम खाली न छोड़ें. उस पर हमेशा कोई खाने की वास्तु रखी रहने दें. इससे कभी भी खाने की कमी नहीं होगी.
- डाइनिंग रूम में यलो, ऑरेंज और रेड जैसे खुशनुमा कलर्स करवाएं. इससे परिवार में खुशियां आती हैं.
- डाइनिंग रूम में ब्लैक, ब्लू या डार्क ब्राउन कलर का इस्तेमाल कभी न करें.
इन दिशाओं में मुंह करके कभी न करें भोजन, हो जाएंगे बीमार
- नैऋत्य कोण में मुंह करके भोजन करने से पाचन शक्ति कमज़ोर होती है और तथा पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं.
- आग्रेय कोण में मुंह करके भोजन करने से अनेक सेक्सुअल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. स्वप्नदोष, ल्यूकोरिया, प्रदर रोग आदि समस्याएं परेशान कर सकती हैं.
- वायव्य कोण में बैठकर भोजन करने से वायु विकार हो सकते हैं.