क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर की अधिकतर समस्याएं हमारे मन से जुड़ी होती है. जी हां, ज़्यादातर शारीरिक रोग मन से जुड़े होते हैं और उनका इलाज कहीं और नहीं ख़ुद हमारे पास होता है. स्वस्थ रहने के लिए तन को ही नहीं, मन को भी स्वस्थ रखना ज़रूरी है और इसके लिए हमारा हमारे मन पर कंट्रोल होना ज़रूरी है.
हामरे देश में लोग मन की समस्याओं को रोग मानते ही नहीं हैं इसीलिए डॉक्टर के पास तब जाते हैं, जब तकलीफ़ बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. स्कूल ऑफ एक्सलेंस की प्रमुख हरिनी रामचंद्रन के अनुसार, हमारे देश में मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य को बहुत नज़रअंदाज़ किया जाता है, जबकि ज़्यादातर बीमारियों की वजह मन से जुड़ी होती है. ऐसे में एन एल पी (न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग) टेकनीक मेंटल हेल्थ और सेल्फ इंप्रूवमेंट में सहायक साबित होती है. इससे हम अपने दिमाग़ को ट्रेनिंग दे सकते हैं और नकारात्मक सोच व नकारात्मक भावनाओं से बच सकते हैं. हरिनी ने हमें बताया कि किस तरह मानसिक समस्याएं शारीरिक रोगों के रूप में सामने आती हैं और उनसे कैसे निपटा जा सकता है-
मन से जुड़ी तन की बीमारियां
हमारे देश में शारीरिक रोगों के लिए ही लोग मुश्किल से डॉक्टर के पास जाते हैं, तो मन की समस्याएं तो बहुत दूर की बात है. मन से जुड़ी समस्याओं को अक्सर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो बाद में बहुत बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम के रूप में बाहर आती है. मन की तकलीफ़ों में दर्द नहीं होता इसलिए शरीर दर्द या रोगों के माध्यम से हमें संकेत देता है कि तन-मन के बीच सही तालमेल नहीं है, कहीं कोई गड़बड़ है. जैसे-
- तनाव, डिप्रेशन जैसी समस्याएं सीधे मन से जुड़ी होती हैं. जब हमारे मन मुताबिक काम नहीं होता तो हम तनावग्रस्त हो जाते हैं.
- एलर्जी, सोरायसिस जैसी स्किन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार मन से जुड़ी होती हैं. ऐसे में इलाज के बाद भी समस्या ठीक नहीं होती.
- डायबिटीज़ भी कई मामलों में मन से ही जुड़ी बीमारी के रूप में ही सामने आती है, वरना कई लोग तो मीठा खाते भी नहीं, फिर भी उन्हें डायबिटीज़ हो जाता है और ऐसा तनाव व ग़लत लाइफ स्टाइल के कारण होता है.
- कई लोगों में तनाव के कारण मोटापा बढ़ने लगता है. जब उन्हें कुछ नहीं सूझता तो वे खाने लग जाते हैं.
ऐसी कई शारीरिक समस्याएं हैं, जिनका सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य से होता है. जब हमारा मन बीमार होता है, तो उसका असर हमारे शरीर में रोग के रूप में दिखाई देने लगता है.
मन का हमारे व्यवहार से भी होता है गहरा संबंध
ये तो थे शारीरिक संकेत, लेकिन मन की स्थिति का हमारे व्यवहार पर भी असर होता है. मन यदि ठीक नहीं है, तो सिर्फ शारीरिक रोग ही हों, ऐसा ज़रूरी नहीं है, मन की स्थिति का हमारे व्यवहार पर भी असर होता है.
मन से जुड़ी आम व्यावहारिक समस्याएं
मन की स्थिति का हमारे व्यवहार पर भी असर होता है. कई बार हमें बेवजह कुछ चीज़ों से डर लगने लगता है. बेवजह ग़ुस्सा आने लगता है, किसी से मिलने का मन नहीं करता, हमें समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है, लेकिन ऐसी व्यवहार संबंधी समस्यओं का संबंध भी हमारे मन से ही होता है. ये हैं मन से जुड़ी कुछ आम व्यावहारिक समस्याएं:
- लोगों के बीच घुल-मिल न पाना
- याददाश्त कम हो जाना
- सिगरेट-शराब की लत लग जाना
- बात-बात पर ग़ुस्सा आना
- निर्णय न ले पाना
- ऊंचाई से डर लगना
- गाड़ी चलाने से डरना
मन से जुड़ी बच्चों की व्यावहारिक समस्याएं
कई बार बच्चे अचानक अजीब हरकतें करने लगते हैं और हम उसका कारण नहीं जान पाते. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हम सिर्फ बच्चे की शारीरिक गतिविधियां देख रहे होते हैं, हम कभी बच्चे का मन पढ़ने की कोशिश नहीं करते. ये हैं मन से जुड़ी बच्चों की कुछ आम व्यावहारिक समस्याएं:
- अपने में ही गुमसुम रहना
- नए लोगों से बातचीत न कर पाना
- पढ़ाई में मन न लगना
- किसी भी चीज़ में ध्यान केंद्रित न कर पाना
- अंधेरे से डर लगना
मन से जुड़ी जॉब संबंधित समस्याएं
जी हां, मन का हमारे शरीर, व्यवहार, यहां तक हमारी सफलता और जॉब पर भी असर पड़ता है. यदि मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, तो इसका असर हमारे परफॉर्मेंस पर भी पड़ता है, जिससे हमें अपनी जॉब में भी समस्याएं आने लगती हैं. ये हैं मन से जुड़ी जॉब संबंधित समस्याएं:
- ज़रूरी मीटिंग में अपनी बात न कह पाना
- सहकर्मियों के साथ घुलमिल न पाना
- काम समय पर पूरा न कर पाना
- वर्कप्रेशर बर्दाश्त न कर पाना
- जॉब बदलने से डरना
- आत्मविश्वासस की कमी
- नए लोगों से मिलने से डरना
मन से जुड़ी महिलाओं की समस्याएं
हमारे देश में महिलाएं अपने स्वास्थ्य को सबसे ज़्यादा नज़रअंदाज़ करती हैं. मानसिक स्वास्थ्य तो दूर, महिलाएं अपनी शरीरिक समस्याओं पर भी ध्यान नहीं देतीं. यही वजह है कि महिलाओं में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी बहुत देर से पता चलती हैं. आइए, जानते हैं महिलाओं की मन से जुड़ी तन की बीमारियों के बारे में:
- मेनस्ट्रुअल साइकल यानी मासिक धर्म में अनियमितता
- बार-बार सिस्ट हो जाना
- गर्भधारण न कर पाना
मन को वश में कैसे करें?
दुनिया में जितने भी क़ामयाब लोग हैं, उनका चीज़ों और स्थितियों को देखने का नज़रिया हमेशा सकारात्मक होता है. वो ग्लास को हमेशा आधा भरा हुआ देखते हैं, खाली नहीं. अपनी सोच और जीने का तरीक़ा बदलकर आप भी अपने मन को वश में कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपने दिमाग़ को सही ट्रेनिंग देनी होगी. जी हां, अपने दिमाग़ को सही ट्रेनिंग देकर हम कई हेल्थ प्रॉब्लम्स से छुटकारा पा सकते हैं.
क्या करें?
- आप हैं तो सबकुछ है इसलिए सबसे पहले ख़ुद से प्यार करना सीखें.
- अगर आप ख़ुश हैं तो आप दूसरों को भी ख़ुश रखते हैं इसलिए अपनी ख़ुशियों को प्राथमिकता दें.
- अच्छी यादों को सहेजकर रखें और जब भी मन दुखी हो, तो उन यादों को ताज़ा कर लें.
- ख़ुद पर ध्यान दें. यदि आपके व्यवहार या शरीर में कुछ ऐसा हो रहा है जिसकी वजह समझ में नहीं आ रही है, तो इसका कारण पता करने की कोशिश करें. यदि आपको अपनी समस्या का हल नहीं मिल रहा है, तो साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें.
- ऐसे लोगों से दूर रहें, जिनके साथ रहने से आपको ग़ुस्सा आता है या जो लोग हर समय नकारात्मक बातें करते हैं.
- ऐसे माहौल या लोगों के बीच रहने की कोशिश करें, जो हमेशा सकारात्मक बातें करते हैं, ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीते हैं और जिनका साथ आपको अच्छा लगता है.
क्या न करें?
- बुरी यादों को भुलाना आसान तो नहीं, लेकिन उन्हें बार-बार याद न करें. साथ ही ऐसे लोगों से दूर रहने की कोशिश करें जो आपसे उन बुरी यादों का ज़िक्र करते हैं.
- ऐसे लोगों से दूर रहें, जो हमेशा अपनी समस्याओं का रोना रोते रहते हैं. ऐसे लोग अपने आसपास हमेशा नकारात्मकता ही फैलाते हैं.
- अपनी कमियों या ग़लतियों को बार-बार याद न करें, बल्कि उन्हें दूर करने की कोशिश करें.
- दूसरों से ईर्ष्या न करें, उनकी तरह आगे बढ़ने की कोशिश करें.
भारत है सबसे अवसादग्रस्त देश
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे ज़्यादा अवसादग्रस्त देश है. इसका कारण है लोगों का मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार होना और सही तरह से उसका इलाज न हो पाना. डिप्रेशन किस वजह से हो रहा है ये लोग समझ नहीं पाते, जिससे उनका सही इलाज नहीं हो पाता. लापरवाही के चलते अक्सर लोग डिप्रेशन का इलाज नहीं कराते. बेहतर होगा कि आप इससे बचें और अपनों को भी इस गंभीर बीमारी से बचाएं.
जानें डर का मनोविज्ञान
क्या आप जानते हैं कि डर सिर्फ हमारे मन की उपज है? दरअसल, इंसान जन्म से सिर्फ दो डर लेकर पैदा होता है- तेज़ आवाज़ और गिरने का डर, बाकी सारे डर इंसान के मन की उपज होते हैं.
इस तरह रखें मन को स्वस्थ
मन को वश में रखना और उसे स्वस्थ रखना हमारी ज़िम्मेदारी है. मन को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएं ये तरी़के:
- हम चीज़ों को जिस नज़रिये से देखते हैं, उन पर हम प्रतिक्रिया भी वैसी ही करते हैं. अतः सबसे पहले अपना माइंडसेट बदलें. जब आप पॉज़िटिव सोचने लगेंगे, तो आपको हर चीज़ पॉज़िटिव नज़र आएगी.
- आपको क्या चाहिए ये आपसे बेहतर और कोई नहीं जान सकता. अतः अपनी इच्छा और क्षमता के बीच सही मूल्यांकन करके ही कोई निर्णय लें.
- आपकी बॉडी लैंग्वेज और बात करने के तरी़के से लोगों पर आपका पॉज़िटिव और निगेटिव इंप्रेशन पड़ता है. अतः हमेशा ख़ुश व एनर्जेटिक रहने की कोशिश करें. जितना हो सके दूसरों की मदद करें.
- दिमाग़ यदि डरना सीख सकता है तो उससे बाहर निकलना भी आसानी से सीख सकता है. अतः अपने मन से डर को बाहर निकालें.
- कॉन्शियस और सब कॉनिशयस माइंड के बीच अच्छा तालमेल होने पर ही हम तन-मन से स्वस्थ रह सकते हैं. अतः अपने सब कॉनिशयस माइंड की भी सुनें.
- कमला बडोनी