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बॉस बनने पर कैसे संभालें सहकर्मियोेंं को? (How to handle colleague after getting promotion? )

Leadership Skills ऑफिस में एक साथ काम करनेवाले एक-दूसरे के साथी हो जाते हैं. ऐसे में साल के अंत में मिली पदोन्नत्ति से क्या अब आपको उन्हीं दोस्तों के साथ पहले जैसा व्यवहार करना अनुचित लग रहा है? ये लाज़मी है कि ऊंचा पद पाने से आप थोड़े असहज हो जाएं, लेकिन उसके साथ ही इस बात को भी न भूलें कि बॉस और एंप्लॉयी के बीच की दूरी को कैसे मेंटेन करना है? आइए, हम आपको बताते हैं कि सहकर्मी से बॉस बनने के बाद कैसे करें कलीग से व्यवहार? सहज रहें अचानक मिली तरक्क़ी से ख़ुशी के साथ थोड़ा असहज होना आम बात है. ऐसे में कभी हमजोली रहे कलीग पर अचानक बॉसगीरी दिखाना उचित नहीं, लेकिन पहले जैसा व्यवहार करना भी जायज़ नहीं. काम के समय काम और उसके बाद आप अपने कलीग से पहले जैसा ही व्यवहार करें. उदाहरण के लिए उसके साथ चाय/कॉफ़ी पीने जाना, साथ में लंच करना वगैरह-वगैरह. इस तरह से आप अपने कलीग के दिल के बहुत क़रीब रहेंगे और उनके बीच आपकी वाहवाही भी होगी. दूरी मेंटेन करें कलीग से ढंग से बात करना और उनसे दूरी बरक़रार रखना, ये दोनों ही आपको बख़ूबी आना चाहिए. इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप उनसे पूरी तरह से बात न करें, उन्हें इग्नोर करें या फिर अपनी केबीन/जगह/चेयर छोड़कर दिनभर उन्हीं के आसपास भटकते रहें. काम से काम रखना आप दोनों के संबंध के लिए और कंपनी की तरक्क़ी के लिए बेहतर होगा. ऑफिस के अंदर बॉस का फ़र्ज़ तो ऑफिस से निकलने के बाद उन सहकर्मियों के साथ दोस्ताना व्यवहार निभाना आपकी समझदारी को दर्शाता है. तारीफ़ करने से बचें जब तक आप सहकर्मी होते हैं, आपके क्रियाकलाप से बहुत ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन जैसे ही आप बॉस की कुर्सी संभालते हैं पूरे ऑफिस की निगाहें आप पर टिक जाती हैं. ऐसे में किसी एंप्लॉयी को बढ़ावा देना, या मीटिंग में उसकी तारीफ़ के पुल बांधना, दूसरों से उसे अच्छा बताना आदि आपके ओहदे के लिए सही नहीं है. इसलिए बॉस की कुर्सी पर बैठने के बाद सभी ज़िम्मेदारियों को सही तरह से हैंडल करें. ऑफिस में किसी को भी ये एहसास न दिलाएं कि आप किसी एक के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं. व्यक्तिगत चीज़ों से बचें अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को अलग-अलग रखें. चाहे कोई सहकर्मी आपका कितना भी ख़ास क्यों न हो, उससे अपनी पर्सनल बातें करने से बचें. अब आप बॉस हैं. ऐसे में ख़ुद की प्राइवेसी रखना आपकी ज़िम्मेदारी है. अपने एंप्लॉयी के साथ प्यार से लेकिन एक दूरी बरक़रार रखते हुए काम लेने की कोशिश करें. सख़्त रहें ऑफिस के पुराने स्टाफ जो कभी आपके सहकर्मी हुआ करते थे, उनके साथ थोड़ी सख़्ती बरतना बहुत ज़रूरी है. हर बार उनकी हां में हां मिलाना और कंपनी या बॉस की बुराई करना अब आपका काम नहीं. उनकी ग़लतियों पर पर्दा डालने की बजाय उनको केबिन में बुलाकर ग़लतियों के बारे में बताएं. इसके साथ ही फिर कभी ऐसा न करने की हिदायत दें.

- श्वेता सिंह 

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