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कहानी- रूम नंबर ट्रिपल नाइन…3 (Story Series- Room Number Triple Nine…3)
‘‘जल्दी चलो यहां से.’’
‘‘तुम व्यर्थ ही घबरा रहे हो.’’ काव्या ने प्रतिवाद किया, किंतु समीर का सख़्त चेहरा देख वह ख़ामोश हो गई. लगभग खींचते हुए समीर उसे अपने रूम में ले आया. ‘‘जल्दी से तैयार हो जाओ. हम अभी यह होटल छोड़ रहे हैं.’’ अब काव्या से चुप नहीं रहा गया. वह खीजकर बोली, ‘‘हम कहीं नहीं जा रहे हैं समीर. मैं चुड़ैल, भूतप्रेत या आत्मा जैसी बेकार की बातों में विश्वास नहीं करती. अच्छी-भली लड़की को तुम आत्मा बता रहे हो.’’
यकायक बाहर हुई आहट से उसकी नींद टूट गई. समीर अभी तक नहीं आया था. उसने फोन मिलाया. फोन स्वीच ऑफ था. अचानक उसे घबराहट महसूस होने लगी. कहीं समीर उसे छोड़कर चला तो नही गया और उसकी अटैची? हे भगवान, यहीं पलंग के पास ही तो रखी हुई थी. कहां चली गई. उसका दिल धक् से रह गया. दिमाग़ में न जाने कितने क़िस्से घूम गए, जहां घर से भागी हुई लड़की को लड़का बीच मझधार में छोड़ गया था. वह तेज़ी से उठी. आलमारी खोली. ऊपर की शेल्फ पर अटैची देख उसकी जान में जान आई. बेवजह ही वह अपने प्यार पर संदेह कर रही थी. तभी समीर आ गया. उसे देखते ही वह उससे इस तरह लिपट गई, मानों बरसों की बिछड़ी हुई हो.
"क्या हुआ? इतनी परेशान क्यों हो?"
"कहां चले गए थे समीर? मेरा दिल बहुत घबरा रहा था.’’
‘‘घबराने की क्या बात है काव्या? अब तो हम ताउम्र साथ रहनेवाले हैं.’’ समीर ने मुस्कुराकर उसके बाल सहलाए.
‘‘चलो काव्या, रिसेप्शन हाॅल में चलकर ब्रेकफास्ट कर आते हैं.’’
अभी उन्होंने ब्रेकफास्ट ऑर्डर किया ही था कि काव्या की नज़र कोनेवाली टेबल पर पड़ी. उसने समीर की बांह हिलाई.
‘‘देखो समीर, वही सड़कवाली लड़की.’’ समीर ने देखा, वह उन दोनों को देखकर मुस्कुरा रही थी. भय की एक सर्द लहर समीर के समूचे शरीर में दौड़ गई. उसने काव्या की बांह कसकर पकड़ी और उठते हुए बोला, ‘‘जल्दी चलो यहां से.’’
‘‘तुम व्यर्थ ही घबरा रहे हो.’’ काव्या ने प्रतिवाद किया, किंतु समीर का सख़्त चेहरा देख वह ख़ामोश हो गई. लगभग खींचते हुए समीर उसे अपने रूम में ले आया. ‘‘जल्दी से तैयार हो जाओ. हम अभी यह होटल छोड़ रहे हैं.’’ अब काव्या से चुप नहीं रहा गया. वह खीजकर बोली, ‘‘हम कहीं नहीं जा रहे हैं समीर. मैं चुड़ैल, भूतप्रेत या आत्मा जैसी बेकार की बातों में विश्वास नहीं करती. अच्छी-भली लड़की को तुम आत्मा बता रहे हो.’’
‘‘काव्या, तुम मेरी बात पर विश्वास क्यों नहीं कर रही हो?" तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई. काव्या आगे बढ़ी. ‘‘दरवाजा मत खोलना काव्या.’’ समीर चिल्लाया, किंतु तब तक काव्या ने दरवाज़ा खोल दिया था. सामने चेहरे पर मुस्कान लिए वही लड़की खड़ी थी.
‘‘क्या मैं अंदर आ सकती हूं?" काव्या एक ओर हट गई. उसे देख समीर की आंखें आश्चर्यमिश्रित भय से फैल गईं.
‘‘कौन हो तुम?" लड़खड़ाती आवाज़ में उसने पूछा. ‘‘मुझे नहीं पहचाना समीर. मैं तुम्हारी रिया?"
"तुम रिया नहीं हो सकतीं. रिया मर चुकी है.’’ समीर चीखा.
रिया शांत स्वर में बोली, ‘‘समीर, मैं समझ गई हूं तुम मुझसे शादी करना नहीं चाहते. अब तुम्हारे जीवन में मेरी जगह इस लड़की ने ले ली है, किंतु मेरा इतना अपमान तो मत करो. देखो, मैं जीती-जागती तुम्हारे सामने खड़ी हूं और तुम मुझे मरा हुआ बता रहे हो. मुझे छूकर देखो.’’ रिया आगे बढ़ी.
‘‘नहीं नहीं, मेरे पास मत आना.’’ समीर लड़खड़ाकर पीछे हटा. तभी काव्या ने आगे बढ़कर रिया का हाथ पकड़ा, फिर समीर की तरफ़ मुड़ी.
‘‘रिया ठीक कह रही है समीर. यह ज़िंदा है.’’
‘‘नहीं, यह ज़िंदा कैसे हो सकती है? यह मर चुकी है.’’ समीर चिल्लाया.
काव्या उसकी बांह पकड़कर झिंझोड़ते हुए चीखी, ‘‘क्यों नहीं हो सकती? बताओ मुझे, रिया ज़िंदा क्यों नहीं हो सकती? आख़िर क्यों तुम एक जीती-जागती लड़की को मरा हुआ बता रहे हो? तुम्हारे पास क्या
सबूत है कि रिया मर चुकी है?"
"क्योंकि उसे ख़ुद मैंने मारा है." बेसाख़्ता समीर के मुंह से निकल गया, फिर सकपकाकर वह ख़ामोश हो गया.
‘‘थैंक्यू समीर, बस यही कबूलवाना था हमें तुमसे.’’ कहते हुए इंस्पैक्टर ने प्रवेश किया. समीर अचम्भित रह गया, ‘‘यह सब क्या है? कौन हो तुम?"
‘‘बंदे को सीआईडी इंस्पैक्टर विवेक कहते हैं.’’ नाटकीय ढंग से विवेक ने अपना सिर झुकाकर कहा. ‘‘सीआईडी इंस्पैक्टर के अलावा ये मेरे मंगेतर भी हैं.’’ मुस्कुराते हुए काव्या ने विवेक की बांह थाम ली. समीर के सिर पर मानों आसमान टूट पड़ा हो. वह बौखला उठा, ‘‘ओह, इसका मतलब तुम मुझे धोखा दे रही थीं. मुझे फंसाने की यह एक चाल थी. तुम सब आपस में मिले हुए हो.’’
‘‘वह कहते हैं न, लोहा लोहे को काटता है.’’ काव्या हंसी.
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‘‘तुम लोग कितनी भी स्मार्टनेस दिखा लो, कोर्ट में कुछ भी साबित नहीं कर पाओगे. तुम्हारे पास क्या सुबूत है इंस्पैक्टर कि मैंने रिया को मारा है. मैं तो अपने बयान से मुकर जाऊंगा."
इंसपैक्टर विवेक बोला, ‘‘तुम जैसे अपराधियों से निपटना मुझे ख़ूब आता है. मैंने तुम्हारा स्टेटमेंट रिकाॅर्ड कर लिया है.’’ तभी वहां रिया के मम्मी-पापा और कुछ न्यूज़ रिपोर्टर्स भी आ गए. इंस्पैक्टर के संकेत पर पुलिसवालों ने समीर को अरैस्ट कर लिया. समीर ने विरोध करते हुए कहा, ‘‘इंस्पैक्टर, रिया जब मरी ही नहीं, तो किस ज़ुर्म में मुझे अरैस्ट कर रहे. हो?"...
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...
रेनू मंडल
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